मौत के इतने साल बाद गुरुद्वारे में आज भी जिंदा है ये बॉलीवुड एक्ट्रेस, हर साल लगाती है अरदास

बॉलीवुड की दिग्गज एक्ट्रेस Madhubala आज अपनी मौत के इतने साल बाद भी एक गुरुद्वारे में जिंदा हैं. एक मुस्लिम परिवार से होने के बाद भी उनकी आस्था गुरुनानक देव के प्रति बहुत ज्यादा थी.

author-image
Gaveshna Sharma
New Update
article

मौत के इतने साल बाद गुरुद्वारे में आज भी जिंदा है ये बॉलीवुड एक्ट्रेस( Photo Credit : Social Media)

अपने जमाने की मशहूर बॉलीवुड ऐक्ट्रेस मधुबाला (Bollywood Actress Madhubala) का जन्म भले ही एक मुस्लिम परिवार में हुआ हो लेकिन उनकी आस्था गुरुनानक देव के प्रति ज्यादा थी. गुरुनानक देव के लिए उनकी दीवानगी का ये आलम था कि आखिरी वक़्त तक मधुबाला के पर्स में 'जपुजी साहिब' की किताब मौजूद थी. इस किताब को मधुबाला हर रोज पढ़ती थी, जिसे पढ़कर उन्हें बेहद सुकून मिलता था. गुरुनानक देव के प्रति मधुबाला का प्यार यही तक सीमित नहीं था, बल्कि हर साल गुरुनानक देव जी के जन्मोत्सव यानी गुरुपर्व पर मुंबई के अंधेरी गुरुद्वारे भी उनके दर्शन करने जाती थी. 

Advertisment

यह भी पढ़ें: Nia Sharma ने कार से निकलकर सड़क पर सबके सामने किया ऐसा काम, वीडियो हुआ वायरल

मधुबाला जब अपने कैरियर की बुलंदी पर थीं, तब फ़िल्म निर्माताओं से उनकी एक ही शर्त होती थी कि वे पूरे साल देश-दुनिया में कहीं भी शूटिंग करती रहेंगी लेकिन गुरुनानक देव जी के जन्मोत्सव पर वह मुंबई के अंधेरी गुरुद्वारे में उनके दर्शन के लिए जरुर जाएंगी. अपनी इस शर्त को वे प्रोड्यूसर के साथ होने वाले एग्रीमेंट में भी लिखवा लेती थीं.

                                  publive-image

वहीं, मधुबाला के इस्लामिक होने के बावजूद उनकी गुरुनानक देव के लिए इस कदर की दीवानगी का खुलासा उस दौर के संगीत निर्देशक एस महेन्द्र ने किया था. एस महेन्द्र से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि, 'जब एक दिन किसी फ़िल्म के सेट पर अगले शॉट की तैयारी चल रही थी. इस दौरान खाली वक़्त में मधुबाला ने अपने पर्स में से एक छोटी-सी किताब निकाली और अपना सिर दुपट्टे से ढककर उसे पढ़ने लगीं. जब कुछ देर बाद उन्हें सीन शूट के लिए बुलाया गया तब वो अपना पर्स और वह किताब मेरे जिम्मे छोड़ शॉट देने के लिए चली गईं. जब मैनें किताब खोलकर देखी तो वह फारसी भाषा में लिखा जपुजी साहिब था.

                                  publive-image

वही शूटिंग से फ़्री होने के बाद महेंद्र ने जब मधुबाला से इस बारे में पूछा तो मधुबाला ने बताया, 'सब कुछ होने के बावजूद मैं भीतर से पूरी तरह टूट चुकी थी. तब एक दिन मेरे एक जानकार अंधेरी के गुरुद्वारे में ले गए. दर्शन के बाद वहां के ग्रंथी को जब मेरी परेशानी के बारे में बताया तो उन्होंने रोज जपुजी साहिब का पाठ करने का सुझाव दिया. चूंकि मुझे गुरमुखी नहीं आती, लिहाज़ा मैंने फारसी भाषा में छपी यह किताब मंगवाई. तबसे मैं इसे हर रोज पढ़ती हूं. वही इसको पढ़ने के बाद एक अजीब-सा सुकून व शांति मिलती है.'

                                 publive-image

वहीं, इस बारें में अंधेरी गुरुद्वारे के ग्रंथी बताते हैं कि, 1969 में अपनी मौत से सात साल पहले मधुबाला ने ये इच्छा जाहिर की थी कि वह गुरुनानक देव जी के जन्मोत्सव पर लंगर की सेवा देना चाहती हैं. उस दिन के लंगर पर जितना भी खर्च आता उसका चेक वह गुरुद्वारा कमेटी को दे देती और यह सिलसिला सात साल तक लगातार चलता रहा. वहीं, जब मधुबाला का निधन हो गया उसके बाद करीब छह साल तक उनके पिता ने यह सेवा संभाली.

                                 publive-image

बाद में जब मधुबाला के पिता भी गुजर गए तब गुरुद्वारा कमेटी और वहां के श्रद्धालुओं ने ये फैसला किया कि मधुबाला भले ही अब जीवित ना हो लेकिन गुरुनानक देव के प्रति उनकी श्रद्धा आज भी इस गुरुद्वारे में जीवंत है. लिहाजा हर साल गुरुनानक देव जी के जन्मोत्सव पर होने वाली अरदास में यह बोला जाता है, 'है पातशाह, आपकी बच्ची मधुबाला की तरफ से लंगर-प्रशाद की सेवा हाजिर है, उसे अपने चरणों से जोड़े रखना.'

bollywood latest news hindi madhurbala interesting facts mumbai andheri gurudwara bollywood latest news entertainment madhubala interesting story news nation bollywood Madhubala bollywood actress madhubala madhubala serial madhubala songs madhubala films
      
Advertisment