शबाना आजमी की पहचान हिंदी सिनेमा जगत में एक मंझी हुई अदाकारा के रूप में है। शबाना पर्दे पर जिस किरदार में आती है खुद को ढ़ाल लेती है। उन्होंने हिंदी फिल्मों में अलग-अलग तरह के कई रोल अदा किये हैं। आज शबाना आजमी का जन्म दिन है। वह 67 साल की हो गईं हैं।
'अंकुर', 'निशांत', 'अर्थ', 'मासूम', 'गॉडमदर' और 'फायर' जैसी फिल्मों से अभिनय का लोहा मनवाया है। उन्हें जब जैसा किरदार मिला उन्होंने बखूबी निभाया।
प्रयोगात्मक सिनेमा में उनका योगदान उल्लेखनीय है। फायर जैसी विवादास्पद फिल्म में शबाना ने बेधड़क होकर अपनी अभिनय प्रतिभा का प्रमाण दिया वहीं, बाल फिल्म मकड़ी में वे चुड़ैल की भूमिका निभाती हुई नजर आई।
मासूम में मातृत्व की कोमल भावनाओं को जीवंत किया तो वहीं, गॉड मदर में प्रभावशाली महिला डॉन की भूमिका सबको चौकाया। अमर अकबर अंथोनी की शरारती चोरनी बन कर दर्शकों को हसंया। इन सभी फिल्मों से उन्होंने अपने वर्सेटाइल होने की बात सही साबित की।
फिल्म फायर में शबाना ने एक होमोसेक्सुअल किरदार निभा कर सबको चकित कर दिया। किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि वह पर्दे पर स्मूचिंग और इंटिमेट सींस दे सकती हैं। इस फिल्म से उन्होंने साबित कर दिया कि पर्दे पर उनके लिए कोई भी सीन या किरदार निभाना मुश्किल नहीं है।
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अपने काम से शबाना का प्यार ही है कि शुरूआती दिनों में स्मिता पाटिल के सामांतर अभिनेत्री बनी तो आज भी जब 15 पार्क एवेन्यू और हनीमून ट्रैवेल्स प्राइवेट लिमिटेड जैसी इस नए दौर की फिल्मों में अभिनय किया तो नई पीढ़ी की अभिनेत्रियों पर हावी हो गई।
शबाना आजमी को पांच बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है जो एक रिकॉर्ड है। उन्हें पहली बार 1975 में फिल्म अंकुर, फिर 1983 में अर्थ, 1984 में खंडहर, 1985 में पार और 1999 में फिल्म “गॉडफादर” के लिए यह सम्मान दिया गया था।
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Source : News Nation Bureau