इच्छामृत्यु पर बनी फिल्म 'प्यूपा' मई में होगी रिलीज़, सेंसर बोर्ड से मिली मंज़ूरी
सुप्रीम कोर्ट ने इच्छामृत्यु पर दिशा-निर्देशों के साथ मंजूरी देते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया था। बंगाली सिनेमा जगत में इच्छामृत्यु विषय पर बनी फिल्म 'प्यूपा' जल्द बड़े पर्दे पर नज़र आएगी।
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने इच्छामृत्यु पर दिशा-निर्देशों के साथ मंजूरी देते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया था। अब बंगाली सिनेमा जगत में इच्छामृत्यु विषय पर बनी फिल्म 'प्यूपा' जल्द बड़े पर्दे पर नज़र आएगी।
इच्छामृत्यु पर बनी फिल्म 'प्यूपा' मई में सिनेमाघरों में दस्तक देगी।
सीबीएफसी ने बांग्ला फिल्म 'प्यूपा' को एक प्रमाण पत्र दिया है। बोर्ड ने फिल्म के निर्देशक को सिरिंज और शीशियों के दिखाए गए सीन्स को हटाने की मांग की है।
निर्देशक इंद्रेश आचार्य ने पीटीआई को बताया कि सीबीएफसी मुंबई ने फिल्म में यू/ए प्रमाण पत्र देने पर सहमति जताई है। बोर्ड ने फिल्म की शुरआत से पहले दया हत्या को बढ़ावा देने के डिस्क्लेमर देने की सिफारिश की है। इसके साथ ही में फिल्म में सिरिंज और शीशी के लेबल को धुंधला करने के लिए भी कहा है।
निर्देशक आचार्य ने कहा, 'सीबीएफसी कोलकाता ने छह महीने पहले मुझे सिरिंज और शीशों को दिखाए जाने वाले सीन्स को हटाने के लिए कहा था, जिसे मैं सहमत नहीं हूं। मैंने फिर से संशोधित समिति को स्थानांतरित कर दिया और छह महीने की लंबी लड़ाई के बाद अब मैं जीत महसूस कर रहा हूं। मैं इस फिल्म को व्यावसायिक रूप से इस मई तक रिलीज करने की उम्मीद करता हूं।'
उन्होंने कहा कि संशोधित समिति (Revising Committee) , ने सिरिंज और शीशियों के सीन्स में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया है।
आचार्य ने नए सीबीएफसी कोलकाता के कार्यालय प्रमुख सम्राट बांदोपाध्याय को धन्यवाद दिया।
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इच्छामृत्यु पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि किसी शख़्स को ये अधिकार दिया जा सकता है जिसमे वो ये वसीयत कर सके कि लाइलाज़ बीमारी से पीड़ित होने पर/ कोमा जैसी स्थिति में पहुचंने पर उसे लाइफ सपोर्ट सिस्टम के जरिये जबरन जिंदा ना रखा जाए।
इच्छा मृत्यु को भी कुछ शर्तों के साथ इजाजत दे दी गई। इसमे कोमा में पड़े लाइलाज मरीज़ को वेंटिलेटर जैसे लाइफ स्पोर्ट सिस्टम से निकाल कर मरने दिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लिविंग विल को परिवार के सदस्यों और डॉक्टर्स की एक टीम, जिसका मानना हो कि इलाज संभव नहीं है की अनुमति से ही लिखा जा सकता है।
क्या होती है लिविंग विल और इच्छामृत्यु ?
'लिविंग विल' एक लिखित वसीयत होती है जिसमें कोई मरीज पहले से यह निर्देश देता है कि मरणासन्न स्थिति में पहुंचने या रजामंदी नहीं दे पाने की स्थिति में पहुंचने पर उसे किस तरह का इलाज दिया जाए। इच्छामृत्यु वह स्थिति है जब किसी मरणासन्न व्यक्ति की मौत की तरफ बढ़ाने की मंशा से उसे इलाज देना बंद कर दिया जाता है।
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