विनोद खन्ना ने जब संन्यासी बनकर बेच दी अपनी मर्सिडीज़ कार, ओशो आश्रम में रहकर माली का भी किया काम
दिसंबर, 1980 में विनोद खन्ना ने फिल्मों से संन्यास लेने का फैसला किया।
नई दिल्ली:
सुपरस्टार विनोद खन्ना का गुरुवार को निधन हो गया। वो 70 साल के थे और कैंसर की बीमारी से जूझ रहे थे। कहा जाता है कि विनोद खन्ना जब स्टारडम की ऊंचाई पर थे तो आध्यात्मिक गुरु और दार्शनिक ओशो उनको चमक धमक की दुनिया से दूर आध्यात्म की दुनिया में ले गए।
ओशो ने नामचीन बॉलीवुड स्टार विनोद खन्ना की सिर्फ जिंदगी ही नहीं बदली बल्कि उनके सुपर स्टार का तमगा भी छीन लिया। विनोद खन्ना को जानने वाले बताते हैं कि अगर विनोद खन्ना आचार्य रजनीश के चक्कर में न पड़ते तो शायद बॉलीवुड का इतिहास कुछ और ही होता।
एक समय था जब फैमिली को वक्त देने के लिए विनोद संडे को काम नहीं करते थे। ऐसा करने वाले वो शशि कपूर के बाद दूसरे एक्टर थे, लेकिन ओशो से प्रभावित होकर उन्होंने अपना पारिवारिक जीवन तबाह कर लिया था।
कुछ लोगों का मानना है कि अगर विनोद खन्ना फिल्म इंड्रस्टी में लगातार काम करते रहते तो शायद अमिताभ बच्चन इतनी आसानी से सुपर स्टार नहीं बन पाते। 70-80 के दशक में विनोद खन्ना का जादू दर्शकों के सर चढ़ कर बोल रहा था।
लोग उनके दमदार व्यक्तित्व और शानदार अभिनय के कायल थे। लेकिन उसी दौरान दिसंबर, 1980 में विनोद खन्ना ने फिल्मों से संन्यास लेने का फैसला किया।
संन्यासी बनने के बाद विनोद खन्ना का जीवन
- विनोद अक्सर पुणे में ओशो के आश्रम जाते थे। यहां तक कि उन्होंने अपने कई शूटिंग शेड्यूल भी पुणे में ही रखवाए। पुणे के ओशो आश्रम में उन्हें औपचारिक तौर पर 31 दिसंबर, 1975 को दीक्षा दिलाई गई।
- आगे चलकर पुणे आश्रम में किसी दिक्कत की वजह से ओशो को अमेरिका जाना पड़ा। जिसके बाद ओशो ने विनोद खन्ना को भी अपने पास बुला लिया।
- ओशो से जुड़ने के बाद उन्होंने सैकडों जोड़ी सूट, अपनी मर्सिडिज़ कार कपड़े, जूते और अन्य लग्जरी सामान को लोगों में बांट दिया। इसके बाद वे पहले गेरुआ और बाद में आश्रम द्वारा निर्धारित मरून चोगा पहनने लगे।
- अमेरिका जाने की वजह से विनोद खन्ना को पूरी तरह से फिल्म इंड्रस्टी से किनारा करना पड़ा।
- ओशो आश्रम में जुड़ने से पहले विनोद खन्ना की पहचान बॉलीवुड के तीन सबसे सफल अभिनेताओं में होती थी।
- विनोद खन्ना, आचार्य रजनीश ओशो के साथ अमेरिका के ओरेगान में कम्यून स्थापित करने के लिए चले गए। वहां पहुंचने पर ओशो ने उन्हें अपने पर्सनल गार्डन की देखभाल के लिए बतौर माली नियुक्त किया।
- वहां वे तकरीबन चार साल तक रहे और अमेरिका द्वारा ओशो आश्रम बंद करने के बाद इंडिया आ गए। एक इंटरव्यू में खुद विनोद खन्ना ने स्वीकार किया था कि, अमेरिका के ओशो आश्रम में वे कई साल माली रहे, इस दौरान उन्होंने आश्रम में टॉयलेट से लेकर थाली तक धोया।
- 4-5 साल तक परिवार से दूर रहने वाले विनोद का परिवार पूरी तरह टूट गया था। जब वो इंडिया लौटे तो पत्नी उन्हें तलाक देने का फैसला कर चुकी थीं।
- फैमिली बिखरने के बाद 1987 में विनोद ने फिल्म 'इंसाफ' से फिर से बॉलीवुड में एंट्री की। दोबारा फिल्मी करियर शुरू करने के बाद विनोद ने 1990 में कविता से शादी की।
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