BJP के गढ़ विदिशा में क्या सेंध लगा पाएगी कांग्रेस, जानिए यहां का समीकरण
1989 से लेकर आज तक यहां भाजपा का राज रहा है, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस लोकसभा सीट से मौजूदा सांसद हैं
भोपाल:
मध्यप्रदेश की इस लोकसभा सीट से सांसद भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज हैं. भाजपा की दिग्गज नेता सुषमा स्वराज ने साल 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के कद्दावर नेता लक्ष्मण सिंह को 41, 06,98 वोटों से हराकर बड़ी जीत अर्जित की थी. सुषमा स्वराज यहां से लगातार दो बार चुनाव जीत चुकी हैं. 2014 के पहले 2009 के चुनाव में भी उन्होंने यहां पर जीत हासिल की थी.
विदिशा संसदीय क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास
विदिशा संसदीय 1967 में सीट अस्तित्व में आई थी. पहले ही लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जीत का परचम लहराया था. पंडित शिव शर्मा यहां से पहले सांसद बने थे. इसके बाद 1971 के चुनाव में भी यहां भगवा पताका ही फहराई, लेकिन 1977 का चुनाव यहां से जनता पार्टी ने जीता. इसके बाद 1980 और 1984 के चुनाव में यहां से कांग्रेस जीती. 1989 के चुनाव में यहां भाजपा की जीत हुई और तब से लेकर आज तक केवल यहां भाजपा का राज रहा है.
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साल 1991 के चुनाव में यहां से देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने जीत दर्ज की थी. अटल बिहारी ने उस साल विदिशा के साथ-साथ लखनऊ से भी चुनाव लड़ा था और वो दोनों जगह से विजयी हुए थे. उन्होंने लखनऊ को चुना और विदिशा को छोड़ दिया था. इसी के चलते बीजेपी ने शिवराज सिंह चौहान को विदिशा से उपचुनाव लड़ाया और शिवराज सिंह चौहान 1991 से लेकर 2005 तक विदिशा के सांसद रहे. मध्य प्रदेश के सीएम बनने के बाद शिवराज सिंह को लोकसभा सीट से इस्तीफा देना पड़ा. जिसके बाद यहां उपचुनाव हुए भाजपा के रामपाल सिंह यहां से सांसद बने. साल 2009 का चुनाव यहां से सुषमा स्वराज ने जीता और वो लगातार दो बार से इस सीट पर सांसद हैं.
विदिशा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली विधानसभा क्षेत्र
विदिशा संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. जिसमें भोजपुर, सांची, सिलवानी, विदिशा, गंजबासौदा, बुधनी, इछावर, खातेगांव विधानसभा सीट हैं.
विदिशा की जनसंख्या और मतदाता
2011 की जनगणना के मुताबिक विदिशा की जनसंख्या 24 लाख 89 हजार 4 सौ 35 हैं. यहां की 81.39 फीसदी आबादी ग्रामीण और 18.61 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. विदिशा में 18.68 फीसदी लोग अनुसूचित जाति के हैं और 5.84 अनुसूचित जनजाति के हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां पर कुल 16 लाख 34 हजार 3 सौ 70 मतदाता थे. इनमें से 7 लाख 61 हजार 9 सौ 60 महिला मतदाता और 8 लाख 72 हजार 4 सौ 10 पुरुष मतदाता थे. 2014 के चुनाव में इस सीट पर 65.68 फीसदी मतदान हुआ था. 10 लाख 73 हजार 473 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था.
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विदिशा संसदीय क्षेत्र का राजनीतिक इतिहास
ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण विदिशा हिंदू, बौद्ध और जैन धर्म के समृद्ध केन्द्र के रूप में जाना जाता है. कैलाश सत्यार्थी को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने के बाद तो यह शहर विश्वस्तर पर लोकप्रिय हो गया है. बता दें कि कैलाश सत्यार्थी का जन्म स्थान विदिशा ही है. यहां की जनसंख्या 25 लाख 35 हजार 632 है, जिसमें से 76 प्रतिशत लोग गांवों में और 23 प्रतिशत शहरों में निवास करते हैं. विदिशा की 88 प्रतिशत आबादी हिंदू धर्म में और 10 प्रतिशत लोग इस्लाम धर्म में भरोसा रखते हैं. जहां विदिशा भाजपा का गढ़ बन गई है वहीं कांग्रेस अरसे से यहां जीत के लिए तरस रही है, हालांकि विधानसभा चुनावों के नतीजे के बाद उसके आत्मविश्वास में वृद्धि हुई है क्योंकि साल 1977 से लगातार जीतती आ रही विदिशा विधानसभा सीट पर इस बार कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की थी
कौन कब जीता
1967 पंडित शिव शर्मा जनसंघ
1971 रामनाथ गोयनका जनसंघ
1977 राघवजी जनसंघ
1980 प्रताप भानु शर्मा कांग्रेस-इंदिरा
1984 प्रताप भानु शर्मा कांग्रेस-इंदिरा
1989 राघवजी भाजपा
1991 अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा
1991 शिवराज सिंह चौहान भाजपा
1996, 98 शिवराज सिंह चौहान भाजपा
1999, 2004 शिवराज सिंह चौहान भाजपा
2006 रामपाल सिंह भाजपा(उपचुनाव)
2009 सुषमा स्वराज भाजपा
2014 सुषमा स्वराज भाजपा
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