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Lok Sabha Election 2019 Results: UP की सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार मेनका गांधी आगे

सुल्तानपुर सीट पर 1977 में कांग्रेस को पहली हार का मुंह देखना पड़ा, जब जनता पार्टी के ज़ुलफिकुंरुल्ला कांग्रेस को हराकर सांसद बने.

Updated on: 23 May 2019, 01:48 PM

highlights

  • 1991 से 2014 के बीच 4 बार BJP को मिली जीत
  • 2 बार बसपा ने सुल्तानपुर में मारी बाजी
  • 5 में से 4 विधानसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा

नई दिल्ली:

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) के वोटों की गिनती जारी है. सुल्तानपुर में बीजेपी कैंडिडेट और केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और बसपा उम्मीदवार चंद्रभद्र सिंह के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. खबर लिखे जाने तक यहां पर मेनका गांधी चंद्रभद्र सिंह से 4400 वोटों से आगे चल रहीं थी. इसके पहले पिछले लोकसभा चुनाव में सुल्तानपुर से मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी जीते थे.

गोमती नदी के किनारे बसे सुल्तानपुर की सल्तनत पर लंबे समय तक कांग्रेस का कब्जा रहा है, लेकिन रायबरेली और अमेठी की तरह कभी इसे वीवीआईपी सीट का दर्जा नहीं मिल सका इस सीट पर कांग्रेस, बीजेपी, जनता दल और बसपा भी अपनी जीत का परचम एक से अधिक बार लहरा चुके हैं लेकिन समाजवादी पार्टी अभी तक कभी भी यहां से लोकसभा सीट नहीं जीती है.  2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने कांग्रेस के दुर्ग से सटे हुए क्षेत्र से 'गांधी परिवार' के वारिस वरुण गांधी को उतारकर इसे हाई प्रोफाइल तो बनाया. साथ ही साथ 16 साल के अपने सूखे को भी खत्म कर कमल खिलाने में कामयाब रही.

सुल्तानपुर लोकसभा सीट का इतिहास
देश के आजाद होने के बाद सुल्तानपुर लोकसभा सीट पर अब तक कुल 16 लोकसभा चुनाव और 3 उपचुनाव हुए हैं. 1951 से 1971 तक कांग्रेस का कब्जा रहा इस बीच जनसंघ ने कांग्रेस से सीट छीनने की कोशिश तो बहुत की लेकिन कभी कामयाबी हाथ नहीं लगी.  साल 1977 में पहली बार जनता पार्टी को इस सीट पर सफलता मिली. इसके पहले 1957 में गोविन्द मालवीय, 1962 में कुंवर कृष्णा वर्मा, 1967 में गनपत सहाय और 1971 में केदार नाथ सिंह चुनाव जीतने में कामयाब रहे. सुल्तानपुर सीट पर 1977 में कांग्रेस को पहली हार का मुंह देखना पड़ा, जब जनता पार्टी के ज़ुलफिकुंरुल्ला कांग्रेस को हराकर सांसद बने. हालांकि, इस सीट पर 1980 में कांग्रेस ने एक बार फिर वापसी की और 1984 में दोबारा जीत मिली. लेकिन इसके बाद कांग्रेस को इस सीट पर जीत के लिए काफी सालों तक इंतजार करना पड़ा 2009 में कांग्रेस से संजय सिंह ने जीतकर कांग्रेस का सूखा खत्म किया.

साल 1989 में जनता दल से रामसिंह सांसद बने. 90 के दशक में राममंदिर आंदोलन के दौर में बीजेपी ने इस सीट पर कमल खिलाने में कामयाब रही थी. 1991 से
लेकर 2014 के बीच बीजेपी ने चार बार जीत हासिल की है. 1991 और 1996 में विश्ननाथ शास्त्री जीते, 1998 में देवेन्द्र बहादुर और 2014 में वरुण गांधी. वहीं, बसपा
इस सीट पर दो बार जीत हासिल की है, लेकिन दोनों बार सांसद अलग रहे हैं. पहली बार 1999 में जय भद्र सिंह और 2004 में मोहम्मद ताहिर खान बसपा से सांसद
चुने गए.

इस बार के चुनाव  (Lok Sabha Election) में देखना होगा कि मेनका गांधी पिछली बार की बीजेपी की जीत का सिलसिला बरकरार रख पाएंगी या फिर सुल्तानपुर के स्थानीय सपा-बसपा गठबंधन से खड़े चंद्रभद्र सिंह बाजी मारेंगे. इसका फैसला (Lok Sabha Election results 2019) 23 मई यानी गुरुवार को को पता चल जाएगा. गुरुवार को सुबह 8 बजे से मतगणना के रुझान मिलने शुरू हो जाएंगे. तो बने रहिए NewsState.com के साथ...