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मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रोचक हुआ मुकाबला, क्‍या दिग्‍विजय सिंह के लिए चुनौती बन पाएंगी प्रज्ञा

मध्‍य प्रदेश की हॉट सीटों में से एक भोपाल का मुकाबला अब बेहद दिलचस्‍प होगा. तरफ सियासत के दिग्‍गज दिग्‍विजय सिंह हैं तो दूसरी तरफ उनके सामने होंगी प्रज्ञा ठाकुर

मध्‍य प्रदेश की हॉट सीटों में से एक भोपाल का मुकाबला अब बेहद दिलचस्‍प होगा. तरफ सियासत के दिग्‍गज दिग्‍विजय सिंह हैं तो दूसरी तरफ उनके सामने होंगी प्रज्ञा ठाकुर

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Drigraj Madheshia
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मध्‍य प्रदेश की राजधानी भोपाल में रोचक हुआ मुकाबला, क्‍या दिग्‍विजय सिंह के लिए चुनौती बन पाएंगी प्रज्ञा

मध्‍य प्रदेश की हॉट सीटों में से एक भोपाल का मुकाबला अब बेहद दिलचस्‍प होगा. तरफ सियासत के दिग्‍गज दिग्‍विजय सिंह हैं तो दूसरी तरफ उनके सामने होंगी प्रज्ञा ठाकुर. प्रज्ञा राजनीति में एक दिन पहले हीं कदम रखीं हैं. वैसे मध्‍य प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री दिग्‍विजय सिंह को कांग्रेस ने सबसे कठिन सीट दी है. यहां 3 दशक से पंजे को जीत नसीब नहीं हुई है. मध्य प्रदेश में भोपाल को कांग्रेस के लिहाज से सबसे मुश्किल सीटों में गिना जाता है. वहीं बीजेपी ने बुधवार को साध्‍वी प्रज्ञा ठाकुर को चुनाव मैदान में उतार दिया है. इस सीट पर सबसे ज्यादा बीजेपी के सुशील चंद्र वर्मा को जीत मिली है. वे लगातार 4 बार इस सीट पर जीत हासिल कर चुके हैं. वहीं कांग्रेस को इस सीट पर 5 बार जीत मिली चुकी है.

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दरअसल, भोपाल संसदीय क्षेत्र कांग्रेस के लिए सबसे दूरूह है. भोपाल में वर्ष 1989 के बाद से हुए सभी आठ चुनाव में भाजपा के उम्मीदवारों को जीत मिली है. यहां से सुशील चंद्र वर्मा, उमा भारती, पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी और आलोक संजर चुने जा चुके हैं. वहीं इस संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के अब तक छह सांसद चुने गए उनमें पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा प्रमुख रहे हैं. इसी तरह वर्ष 1967 में जनसंघ और वर्ष 1977 के चुनाव में लोकदल से आरिफ बेग निर्वाचित हुए थे.

इतिहास

  • भोपाल लोकसभा सीट पर पहली बार 1957 में चुनाव हुआ. तब कांग्रेस की मैमुना सुल्तान यहां पर जीत हासिल की थीं. इसके अगले चुनाव में भी उन्होंने जीत हासिल की.
  • पूर्व राष्ट्रपति और राज्य के पूर्व सीएम शंकर दयाल शर्मा ने 1971 और 1980 के चुनाव में इस सीट पर जीत हासिल की थी. 
  • 1977 में शंकर दयाल शर्मा को भारतीय लोकदल के आरिफ बेग का हाथों हार का सामना करना पड़ा.
  • 1989 में इस सीट पर बीजेपी का खाता खुला, जब मुख्य सचिव सुशील चंद्र वर्मा ने यहां से जीत हासिल की.
  • सुशील चंद्र वर्मा ने 1989, 1991, 1996 और 1998 के चुनाव में जीत हासिल की थी.
  • पूर्व सीएम उमा भारती 1999 के चुनाव में यहां से जीत हासिल कर संसद पहुंची थीं.
  • 2004 और 2009 के चुनाव में यहां से बीजेपी के कैलाश जोशी विजयी रहे थे.
  • मौजूदा सांसद आलोक संजर पहली बार इस सीट से जीत हासिल कर संसद पहुंचे हैं.

सियासी समीकरण

2011 की जनगणना के मुताबिक भोपाल की जनसंख्या 26,79,574 है. यहां की 23.71 फीसदी आबादी ग्रमीण क्षेत्र में रहती है, जबकि 76.29 फीसदी शहरी इलाके में रहती है.भोपाल की 15.38 फीसदी जनसंख्या अनुसूचित जाति की है और 2.79 फीसदी अनुसूचित जनजाति की है.

2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में आलोक संजर ने कांग्रेस के प्रकाश मंगीलाल शर्मा को पराजित किया था. आलोक संजर को इस सीट में 7,14,178(63.19) फीसदी वोट मिले थे. वहीं प्रकाश मंगीलाल को 3,43,482(30.39 फीसदी) वोट मिले थे. आलोक ससंजर ने प्रकाश मंगीलाल को 3,70,696 वोटों से हराया था. वहीं आम आदमी पार्टी इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही थी.

Source : DRIGRAJ MADHESHIA

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