जानें कौन है सपा की उम्मीदवार शालिनी यादव, वाराणसी में PM मोदी को देंगी टक्कर

शालिनी यादव के पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात की जाए तो उनका कांग्रेस से पुराना रिश्ता है. वे इससे पहले वाराणसी से मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं.

शालिनी यादव के पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात की जाए तो उनका कांग्रेस से पुराना रिश्ता है. वे इससे पहले वाराणसी से मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं.

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Vineeta Mandal
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जानें कौन है सपा की उम्मीदवार शालिनी यादव, वाराणसी में PM मोदी को देंगी टक्कर

अखिलेश यादव के साथ शालिनी यादव (फाइल फोटो)

कांग्रेस को झटका देते हुए समाजवादी पार्टी में शामिल हुई शालिनी यादव अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीको चुनावी मैदान में टक्कर देती नजर आएंगी. सपाने शालिनी को वाराणसी सीट से उतारा है. वाराणसी सीट लोकसभा चुनाव 2014 के बाद से ही सबसे वीआईपी सीट में तब्दील हो चुकी है. यहां अगर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी खुद नहीं उतरतीं हैं तो लड़ाई बेहद आसान साबित हो सकती है. 

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शालिनी यादव का जीवन परिचय

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शालिनी यादव के पारिवारिक पृष्ठभूमि की बात की जाए तो उनका कांग्रेस से पुराना रिश्ता है. वे इससे पहले वाराणसी से मेयर का चुनाव लड़ चुकी हैं. शालिनी यादव कांग्रेस के पूर्व सांसद और राज्यसभा के पूर्व उपसभापति श्यामलाल यादव की पुत्रवधू हैं. जानकारी के मुताबिक उन्होंने बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से अंग्रेजी में ग्रैजुएट हैं और उनके पास फैशन डिजाइनिंग में भी डिग्री हासिल की है.

शालिनी यादव ने नगर निकाय चुनाव में उन्होंने कांग्रेस से मेयर के पद पर दावेदारी की थी. जिसमें उन्हें 1.13 लाख वोट मिले थे.

वाराणसी लोकसभी सीट का इतिहास

नरेंद्र मोदी के आने से पहले वाराणसी से 2009 का चुनाव बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी ने लड़ा था और विजयी रहे थे. 2014 में भी जोशी यहीं से लड़ना चाहते थे, लेकिन मोदी की वजह से उन्हें यह सीट छोड़नी पड़ गई थी. 1952 में वाराणसी (सेंट्रल) से कांग्रेस के रघुनाथ सिंह को जीत मिली थी और वह 1962 तक यहां से लगातार 3 बार विजयी रहे थे. 1967 के चुनाव में सत्यनारायण सिंह ने कम्युनिस्ट पार्टी की टिकट पर लड़े और उन्हें यहां से जीत मिली.

शालिनी यादव को बीजेपी से मिल सकती है कड़ी टक्कर

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1990 के दशक देश में मंदिर आंदोलन शुरू होने के बाद बीजेपी एक नई ताकत के रूप में उभरी और 1991 से 1999 तक लगातार 4 चुनावों में बीजेपी को जीत हासिल हुई. 2004 के चुनाव में कांग्रेस ने एक अरसे बाद वापसी की. कांग्रेस उम्मीदवार डॉक्टर राजेश कुमार मिश्रा ने यहां से 3 बार के सांसद शंकर प्रसाद जयसवाल को हरा दिया. फिर 2009 के चुनाव में बीजेपी ने कद्दावर नेता मुरली मनोहर जोशी को टिकट दिया और उन्होंने जीत हासिल करते हुए अपनी पार्टी की पकड़ को बनाए रखा. फिर 2014 के चुनाव में नरेंद्र मोदी ने यहां आकर बड़ी जीत हासिल की और देश के प्रधानमंत्री पद पर काबिज हुए. 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी एक बार फिर बीजेपी प्रत्याशी के रूप में अपनी चुनौती पेश कर रहे हैं.

साल 2014 का लोकसभा चुनाव

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2014 के लोकसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला BJP की ओर से प्रधानमंत्री पद के दावेदार नरेंद्र मोदी और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बीच था. हालांकि इस मुकाबले में मैदान में 42 प्रत्याशियों ने अपनी चुनौती पेश की थी. इसमें 20 उम्मीदवार बतौर निर्दलीय मैदान में थे. नरेंद्र मोदी ने आसान मुकाबले में केजरीवाल को 3,71,784 मतों के अंतर से हराया था. मोदी को कुल पड़े वोटों में 581,022 यानी 56.4% वोट हासिल हुए जबकि आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी अरविंद केजरीवाल के खाते में 2,09,238 (20.3%) वोट पड़े. तीसरे नंबर पर कांग्रेस के उम्मीदवार अजय राय रहे जिनके खाते में महज 75,614 वोट ही पड़े. अब देखते हैं कि बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस और सपा-बसपा गठबंधन अलग-अलग किस तरह से जीतने दावेदारी पेश कर सकते हैं.

Source : News Nation Bureau

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