बंगाल : पहले चरण के मतदान के बाद बीजेपी में दिख रहा उत्साह

भाजपा के आत्मविश्वास की वजह राज्य में कई सालों तक उसके द्वारा की गई कड़ी मेहनत और शहरी, ग्रामीण एवं आदिवासी इलाकों में अन्य दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी समूहों का समर्थन है.

भाजपा के आत्मविश्वास की वजह राज्य में कई सालों तक उसके द्वारा की गई कड़ी मेहनत और शहरी, ग्रामीण एवं आदिवासी इलाकों में अन्य दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी समूहों का समर्थन है.

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yogesh bhadauriya
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बंगाल : पहले चरण के मतदान के बाद बीजेपी में दिख रहा उत्साह

पीएम मोदी संग अमित शाह(फाइल फोटो)

पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के एक चरण के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में उत्साह नजर आ रहा है जहां परंपरागत रूप से पार्टी कमजोर रही है. भाजपा के आत्मविश्वास की वजह राज्य में कई सालों तक उसके द्वारा की गई कड़ी मेहनत और शहरी, ग्रामीण एवं आदिवासी इलाकों में अन्य दक्षिणपंथी हिंदुत्ववादी समूहों का समर्थन है. भाजपा की राज्य इकाई के सचिव रितेश तिवारी ने आईएएनएस से कहा, "मैं अब कुछ भरोसे के साथ कह सकता हूं कि हम राज्य की सभी 42 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. सवाल यह नहीं है कि हमने राज्य के इस क्षेत्र में पकड़ बनाई है या उस क्षेत्र में. हम हर जगह हैं. उत्तर में दार्जिलिंग से लेकर दक्षिण में बोंगाओं तक."

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भाजपा के एक अन्य पदाधिकारी ने कहा कि बीस सीटों पर तो मुकाबला इतना कड़ा है कि 'कुछ भी हो सकता है.' उन्होंने कहा, "केवल छह सीटों, तीन मुर्शिदाबाद जिले में, दो मालदा में और एक उत्तरी दिनाजपुर में मुकाबले में कई दावेदार हैं. अन्य 36 सीट पर मुकाबला सीधे तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच है."

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यह दावा एक ऐसी तस्वीर खींच रहा है जिसके बारे में तीन साल पहले विधानसभा चुनाव के वक्त कल्पना नहीं की जा सकती थी. लेकिन, यह विकास ऐसे ही अपने आप नहीं हो गया है. भाजपा के एक कार्यकर्ता ने नाम नहीं जाहिर करने के अनुरोध के साथ कहा, "हमने सालों कड़ी मेहनत की है. 2016 के चुनाव के फौैरन बाद, प्रशिक्षित काडर को जंगमहल व अन्य सीमावर्ती इलाकों में भेजा गया जहां भाजपा की संभावनाएं दिख रही थीं. चुनाव के नतीजों के आधार पर 20-22 उच्च प्राथमिकता वाली सीट चुनी गईं. बूथ स्तर पर संगठन को मजबूत किया गया. हालांकि, यह सही है कि नतीजा सभी जगह एक जैसा नहीं मिला."

इस बीच, संघ परिवार के अन्य घटक हिंदू समाज से जुड़े कार्यक्रम करते रहे. आरएसएस की शाखाओं में बढ़ोतरी हुई. आरएसएस के दक्षिण बंगाल प्रचार प्रमुख बिप्लब रॉय ने कहा कि अब राज्य में 2000 शाखाएं लगती हैं. 2013 में यह आंकड़ा 902 का था. आरएसएस के एक अन्य घटक वनवासी कल्याण आश्रम ने अनुसूचित जनजातियों के बीच अपना काम जारी रखा. सुदूर के जंगमहल, पश्चिमी मिदनापुर, झरगाम, पुरुलिया, बांकुरा और बीरभूम के कुछ इलाकों में विशेष सक्रियता रही. बीरभूम के मल्लारपुर जिले में इसने आदिवासी विद्यार्थियों के लिए हॉस्टल बनवाया.

रॉय ने आईएएनएस से कहा, "वनवासी कल्याण आश्रम राज्य में 1972-73 से काम कर रहा है. इसका पुरुलिया, बांकुरा और झरगाम में काफी प्रभाव है. 25 सालों से इसने विद्यार्थियों को स्कूलों में दाखिला दिलाने में भूमिका निभाई, अब इनमें से कई इसके सक्रिय सदस्य हैं. वे हमारी मदद कर रहे हैं."

उन्होंने कहा, "राज्य में सरस्वती शिशु मंदिर की संख्या बढ़कर 325 हो गई है." विश्व हिंदू परिषद ने राज्य में रामनवमी के अवसर पर इस साल 13 अप्रैल से अब तक सात सौ जुलूस निकाले हैं. इनमें चालीस लाख लोगों की भागीदारी रही. परिषद के बंगाल इकाई के प्रवक्ता सौरिश मुखर्जी ने आईएएनएस से कहा, "बंगाल में बड़ी समस्या राज्य सरकार की अल्पसंख्यक वोट बैंक के लिए तुष्टिकरण की नीति है. हम यहां हिंदू धर्म की रक्षा के लिए हैं."

पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने आईएएनएस से कहा कि 'बंगाल में कोई हिंदू-मुसलमान ध्रुवीकरण नहीं है, हालांकि तृणमूल कांग्रेस ने हमारी पार्टी को मुसलमान विरोधी बताते हुए अल्पसंख्यकों को गुमराह करने के लिए बेहद खराब सांप्रदायिक अभियान चलाया हुआ है. लेकिन, उनका प्लान सफल नहीं है. हमारे मुस्लिम प्रत्याशी भी हैं. बड़ी संख्या में मुस्लिम, जिनमें समुदाय के बुद्धिजीवी भी शामिल हैं, हमारे लिए प्रचार कर रहे हैं.'

बीजेपी को उम्मीद है कि अगर उत्तर प्रदेश या उत्तर भारत में उसे सीटों का नुकसान होता है तो पश्चिम बंगाल के नतीजे उसके आत्मविश्वास को बढ़ाने वाले होंगे.

Source : IANS

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