2019 का लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) कई मायनों में ऐतिहासिक रहा. इस चुनाव में जहां बीजेपी (BJP) ने पहली बार प्रचंड बहुमत के साथ लोकसभा में वापसी की वहीं अपना कार्यकाल पूरा कर लगातार दूसरी बार सत्ता में वापसी करने वाले पीएम नरेंद्र मोदी तीसरे प्रधानमंत्री बनें. इस लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) में कांग्रेस (Congress) अपने पूरे दम-खम के साथ मैदान में उतरी. इतना ही नहीं पहली बार चुनाव के दौरान कांग्रेस (Congress) ने उत्तर प्रदेश में नेहरू-गांधी परिवार की सबसे छोटी सदस्य प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को भी मैदान में उतारा. एक ओर जहां कई राजनीतिक विशेषज्ञ इसे कांग्रेस (Congress) का मास्टरस्ट्रोक बता रहे थे वहीं कांग्रेस (Congress) के लिए यह दाव पूरी तरह से फुस्स साबित हुआ.
कांग्रेस (Congress) के लिए प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने चुनाव शुरू होने के ठीक तीन महीने पहले कमान संभाली थी. प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था. उनके साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया था. दोनों को पार्टी में महासचिव का पद दिया गया था. उत्तर प्रदेश में त्रिकोणीय मुकाबला था.
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एक तरफ मजबूत बीजेपी (BJP) गठबंधन था, दूसरी तरफ सपा बसपा का महागठबंधन था. इन दोनों की मौजूदगी में प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के सामने कांग्रेस (Congress) का खोया जनाधार वापस लाने की चुनौती थी. इस लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) में पूरे प्रचार के दौरान प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने 38 रैलियां की जिनमें से 26 रैलियां सिर्फ यूपी में थी. बाकी कि रैलियां उन्होंने मध्य प्रदेश, दिल्ली, झारखंड और हरियाणा में की थी.
लेकिन यहां पर एक बेहद दिलचस्प आंकड़ा निकल कर सामने आया है, प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) ने 38 रैलियों के दौरान जितनी सीटों पर प्रचार किया उनमें से 97 फीसदी सीटें कांग्रेस (Congress) हार गई है.
पूर्वी उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 41 सीटों पर प्रियंका अपनी पूरी ताकत झोंकती दिखी लेकिन राज्य के मतदाताओं पर प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) का जादू नहीं चला. प्रियंका पूर्वी उत्तर प्रदेश में अपनी पार्टी को एक भी सीट जिता पाने में पूरी तरह से नाकाम रही.
इसी क्षेत्र में राज्य की कई वीआईपी सीटें भी शामिल हैं, जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वाराणसी सीट या फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोरखपुर सीट, गांधी नेहरू परिवार की अमेठी और रायबरेली सीट आदि.
यहां तक की बीजेपी (BJP) ने नेहरू गांधी परिवार के सबसे मजबूत किलों में से एक अमेठी को भी ढहा दिया. बीजेपी (BJP) की स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को करीब 31 हजार वोटों से हराकर अमेठी में जीत दर्ज की. हालांकि, सोनिया गांधी अपना गढ़ रायबरेली बचाने में कामयाब रहीं.
इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) में भी कांग्रेस (Congress) मात्र दो सीटें ही जीत सकी थी, अमेठी और रायबरेली. जबकि बीजेपी (BJP) को पूरे प्रदेश वे 73 सीटें मिली थीं. यहां तक कि 2017 में हुए राज्य के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस (Congress) ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और इस गठबंधन को 403 में से मात्र 54 सीटें हासिल हुई थीं.
Source : News Nation Bureau