पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने विसनगर दंगा मामले में दोषी ठहराए जाने के फैसले पर रोक की मांग की अर्जी पर जल्द सुनवाई से इन्कार किया. इसके चलते उनके इस लोकसभा चुनाव में लड़ने की संभावना कम हो गई है.
"अगस्त से अब तक क्या कर रहे थे"?
कोर्ट में आज जब हार्दिक के वकील ने अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग की तो जस्टिस अरुण मिश्रा ने इससे इन्कार करते हुए कहा, "आपकी सजा को पिछले साल अगस्त में सस्पेंड किया गया था, तब से लेकर अब तक आप क्या कर रहे थे. अभी तक आपने दोषी ठहराए जाने के फैसले को चुनौती क्यों नहीं दी. अब आप अचानक से जागते है और अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग करते है. अगर आप अपनी मदद नहीं कर सकते तो हम भी आपकी मदद नहीं कर सकते हैं. गुजरात सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी जल्द सुनवाई की मांग का विरोध किया.
क्या है मामला
हार्दिक पटेल को पिछले साल विसनगर इलाके में हुए दंगा मामले में दोषी ठहराते हुए सेशन कोर्ट ने दो साल की सजा सुनाई थी. चूंकि जनप्रतिनित्व कानून के चलते दो साल या उससे अधिक की सजा पाने वाले शख्श सजा की अवधि पूरी होने के बाद अगले छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकते. लिहाजा हार्दिक पटेल भी इस सजा के चलते इस लोकसभा चुनाव में चुनाव नहीं लड़ सकते हैं. कांगेस में शामिल होने के बाद इस साल 12 मार्च को हार्दिक ने गुजरात हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर दोषी ठहराए जाने के फैसले को चुनौती दी, लेकिन हाईकोर्ट से उन्हें कोई राहत नहीं मिली. इसके चलते हार्दिक को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर करनी पड़ी.
अब आगे क्या होगा
गुजरात में 23 अप्रैल को मतदान है. इसमें नामांकन की आखिरी तारीख 4 अप्रैल है. ऐसे में अगर 4 अप्रैल तक दोषी ठहराए जाने के फैसले पर रोक नहीं लगती तो हार्दिक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. ये न केवल हार्दिक के लिए, बल्कि कांग्रेस के लिए भी एक बड़ा झटका साबित होगा, जो हार्दिक के जरिये पाटीदार वोट बैंक को अपने पक्ष में करना चाहती है.
Source : News Nation Bureau