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अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से हुई नेताओं को 'जूता मार' संस्कृति की शुरुआत

इस 'जूता मार बेइज्जती' की शुरुआत का श्रेय अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को जाता है. बगदाद में दिसंबर 2008 में एक प्रेस वार्ता के दौरान बुश जूनियर को एक इराकी संवाददाता मुंतधार अल जैदी ने एक नहीं, बल्कि अपने दोनों पैरों के जूते फेंक कर मारे थे

Updated on: 18 Apr 2019, 03:04 PM

नई दिल्ली.:

आज भले ही बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता जीवीएल नरसिंहा राव पर जूता फेंका गया हो, लेकिन इस 'जूता मार बेइज्जती' की शुरुआत का श्रेय अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को जाता है. बगदाद में दिसंबर 2008 में एक प्रेस वार्ता के दौरान बुश जूनियर को एक इराकी संवाददाता मुंतधार अल जैदी ने एक नहीं, बल्कि अपने दोनों पैरों के जूते फेंक कर मारे थे. यह अलग बात है कि 'कुशल खिलाड़ी' की तरह जॉर्ज बुश बड़ी सफाई से दोनों ही जूतों से बच निकले. उस घटना के बाद से ही अपनी नाखुशी जाहिर करने के लिए नेताओं पर जूता फेंक कर मारने का चलन शुरू हुआ.

भारत की बात करें तो यहां भी कई नेताओं को अब तक जूता मार संस्कृति से दो-चार होना पड़ा है. हालांकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल संभवतः अकेली ऐसी शख्सियत हैं, जिन्हें जूते समेत, मिर्च पाउडर, स्याही तक से मार खानी पड़ी है. उनके अलावा भी कई नाम इसी 'जूता मार बेइज्जती' के कारण इतिहास में अजर-अमर हो गए. एक नजर ऐसी ही कुछ बड़ी 'जूता मार' घटनाओं पर...

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जतिन राम मांझी
जनवरी 2015 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जतिन राम मांझी पर जूता फेंक कर मारा गया.

राहुल गांधी
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर 2012 में देहरादून रैली के दौरान जूता फेंक कर मारा गया. इसके बाद 2016 में भी राहुल गांधी पर एक और जूता फेंक कर मारा गया था.

उमर अब्दुल्ला
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला पर 2010 में एक पुलिस अधिकारी ने जूता फेंक कर मारा था. उमर स्वतंत्रता दिवस समारोह में हिस्सा ले रहे थे, जब उन पर जूता फेंका गया.

मनमोहन सिंह
मौन प्रधानमंत्री करार दिए गए मनमोहन सिंह पर 2009 में अहमदाबाद में एक चुनावी सभा के दौरान जूता फेंक कर मारा गया. हालांकि डॉक्टर साहब सौभाग्यशाली थे कि जूता उन तक पहुंचा ही नहीं.

एलके आडवाणी
भारतीय जनता पार्टी के भीष्म पितामह एलके आडवाणी का नाम भी इस सूची में शामिल है. उन पर तो पार्टी कार्यकर्ता पावस अग्रवाल ने ही जूता फेंक कर मारा था. वह आडवाणी के जिन्ना प्रेम से दुखी था.

पी चिदंबरम
बतौर केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम 2009 में नई दिल्ली में एक प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे, जब एक बड़े भाषाई अखबार के प्रतिनिधि ने उन पर जूता फेंक कर मारा था.

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विदेशों में भी चले हैं जूते
सिर्फ भारत ही 'शू मिसाइल' के लिए प्रख्यात नहीं है, विदेशों में भी कई बड़े और अच्छे-भले नेताओं को इस 'मिसाइल' से रूबरू होना पड़ा है. इनमें अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश से लेकर कई खेल हस्तियां तक शामिल हैं. एक नजर कुछ ऐसी ही अंतरराष्ट्रीय स्तर की घटनाओं पर...

जॉर्ज डब्ल्यू बुश
बगदाद में दिसंबर 2008 में एक प्रेस वार्ता के दौरान इराकी पत्रकार जैदी ने तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति पर जूता फेंक कर मारा था.

टोनी ब्लेयर
एक किताब के लोकार्पण के सिलसिले में डबलिन आयरलैंड गए ब्रिटिश प्रधानमंत्री पर तो जूते के साथ-साथ अंडे भी फेंक कर मारे गए. यह घटना सितंबर 2010 की है. दुर्भाग्य की बात यह रही कि इस घटना के अगले ही दिन ब्लेयर पर दोबारा जूतों, अंडों और खाली बोतलों से हमला किया गया.

मा यिंग झियू
चीनी राष्ट्रपति मा यिंग झियू का जूता खाने के मामले में रिकॉर्ड अभी तक कोई नहीं टूट पाया है. उन्हें एक-दो बार नहीं 2013 में साल भर में नौ बार अलग-अलग स्थानों पर जूता खाना पड़ा.

परवेज मुशर्रफ
कराची के एक वकील तजम्मुल लौधी ने मार्च 2013 में भूतपूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर जूता फेंक मारा था. वह पाकिस्तान में लोकतंत्र की हत्या के लिए मुशर्रफ को दोषी मानता था.