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शिवसेना ने यूपी के चार लोकसभा सीटों पर उतारे अपने उम्मीदवार, बीजेपी की बढ़ेगी मुश्किल

एनडीए की सहयोगी पार्टि शिवसेना ने उत्तर प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है.

Updated on: 12 Apr 2019, 05:28 PM

नई दिल्ली:

एनडीए की सहयोगी पार्टि शिवसेना ने उत्तर प्रदेश की चार लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है. इसके लिए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना ने 4 उम्मीदवारों की लिस्ट भी जारी कर दी है. शिवसेना ने अयोध्या (फिरोजाबाद) से महेश तिवारी, बहराइच से श्रीमती रिन्कू शाहनी, धरौहरा से मुकेश कुमार गुप्ता और कानुपर से बलवीर सिंह को टिकट दिया है. खासबात यह है कि शिवसेना ने केंद्र में बीजेपी की सहयोगी पार्टी है और यूपी में बीजेपी पहले ही अपना दल जैसे कई छोटी पार्टियों से गठबंधन कर चुनाव लड़ रही है. ऐसे में शिवसेना का उम्मीदवार उतारना राजनीतिक पंडितों को भी समझ में नहीं आ रहा है लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि इससे जितना भी नुकसान होगा वो बीजेपी का ही होगा.

गौरतलब है कि चुनाव से ठीक पहले शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे अयोध्या आए थे और लोगों को भरोसा दिलाया था कि सिर्फ उनकी ही पार्टी यहां राम मंदिर का निर्माण करवा सकती है.

शिवसेना का कहना है कि बीजेपी को कश्मीर घाटी में शांति और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर 2014 में किए गए चुनावी वादों को लेकर लोगों के सवालों का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए. पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम का संदर्भ देते हुए कहा कि अब तक वह अपने 'मन की बात' रख रहे थे लेकिन 23 मई को लोगों की 'मन की बात' सामने आएगी. 

चुनाव आयोग के मुताबिक लोकसभा चुनाव 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में संपन्न होंगे और मतों की गिनती 23 मई को होगी. शिवसेना ने अपने मुखपत्र 'सामना' में कहा, 'इतिहास गवाह है कि लोगों को बहुत दिनों तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता. लोगों के पास भी सवाल हैं और वह मतपेटियों के जरिए जवाब मांगते हैं.'

उद्धव ठाकरे नीत पार्टी ने कहा कि कश्मीर घाटी में शांति का माहौल बनाने और राम मंदिर का निर्माण करने संबंधी वादे करके 2014 में बीजेपी को बड़ी जीत हासिल हुई थी.

पार्टी ने कहा, 'हालांकि दोनों ही मुद्दे 2019 में भी अनसुलझे ही हैं. लोग जब इस पर सवाल पूछेंगे तो उन्हें जवाब के साथ तैयार रहना चाहिए.'

शिवसेना केंद्र और महाराष्ट्र दोनों में ही भाजपा की सहयोगी है. शिवसेना ने कहा कि लोगों के मन में चुनाव में ईवीएम के इस्तेमाल को लेकर भी शंका है. 

शिवसेना ने पूछा, 'ईवीएम पर इतना जोर क्यों, जब अन्य देशों ने उसकी दोषपूर्ण प्रकृति को देखकर और इस तथ्य के चलते कि इन मशीनों को धनबल से नियंत्रित किया जा सकता है, इनका इस्तेमाल बंद कर दिया है?