प्रियंका गांधी की गंगा यात्रा से क्‍या खत्‍म होगा 34 साल का सूखा, खिसक चुकी है कांग्रेस की राजनीतिक जमीन

गंगा यात्रा के दौरान प्रियंका पांच लोकसभा सीटों इलाहाबाद, फूलपुर, भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी से गुजरेंगेी.

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Drigraj Madheshia
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प्रियंका गांधी की गंगा यात्रा से क्‍या खत्‍म होगा 34 साल का सूखा, खिसक चुकी है कांग्रेस की राजनीतिक जमीन

प्रियंका गांधी

पूर्वी उत्‍तर प्रदेश की प्रभारी व कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सोमवार को अपनी गंगा यात्रा शुरू कर दी. इस तीन दिन की यात्रा के दौरान प्रियंका पांच लोकसभा सीटों इलाहाबाद, फूलपुर, भदोही, मिर्जापुर और वाराणसी से गुजरेंगेी.वोट के लिए प्रियंका गांधी की यह बोट यात्रा कितनी सफल होती है यह तो वक्‍त ही बताएगा, लेकिन जिन सीटों से प्रियंका गुजरेंगी वहां, वाराणसी को छोड़कर 1984 के बाद किसी भी सीट पर कांग्रेस जीत नहीं सकी है.

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प्रयागराज : देश को बड़ी राजनीतिक शख्सियतें दी हैं इस सीट ने

इलाहाबाद संसदीय सीट ने देश को बड़ी राजनीतिक शख्सियतें दी हैं. देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, मुरली मनोहर जोशी, जनेश्वर जैसे राजनीतिक दिग्गज यहां से चुनाव जीते हैं. हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज को हराकर अमिताभ बच्चन भी यहां के सांसद रह चुके हैं. पहले सांसद श्रीप्रकाश स्वतंत्रता सेनानी थे और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे. उनके बाद लाल बहादुर शास्त्री 1957 में यहां से सांसद चुने गए.

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1973 में भारतीय क्रांति दल के जनेश्वर मिश्रा को जनता ने चुना. 1984 में अमिताभ बच्चन कांग्रेस की टिकट पर सांसद बने. 1988 के उपचुनाव में वीपी सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते. 1998, 2004 और 2009 में मुरली मनोहर जोशी ने चुनाव जीता. 2004 में समाजवादी पार्टी के रेवती रमण सिंह यहां से सांसद रहे.

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2014 में यह सीट भाजपा के खाते में गईं. वर्तमान में श्यामाचरण गुप्ता ही यहां से सांसद हैं. मुरली मनोहर जोशी तीन बार इस संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. दो बार लाल बहादुर शास्त्री और दो बार कुंवर रेवतीरमण सिंह भी विजयी रहे हैं. वर्ष 1988 में हुए उपचुनाव में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कांग्रेस के सुनील शास्त्री को हराया था. बसपा संस्थापक कांशीराम तीसरे स्थान पर रहे थे.

वाराणसी : छह बार यह सीट भाजपा के खाते में आई

वाराणसी लोकसभा सीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वजह से वीवीआईपी हो चुकी है. पिछले 35 साल में यहां कांग्रेस सिर्फ एक बार जीती है. 1984 के बाद हुए आठ लोकसभा चुनावों में छह बार यह सीट भाजपा के खाते में आई. 1989 में यहां जनता दल जीती थी. सिर्फ एक बार 2004 में ये सीट कांग्रेस जीत सकी है. 2004 में कांग्रेस के राजेश कुमार मिश्रा ने भाजपा के शंकर प्रसाद जयसवाल को हराया था. पिछले चुनाव में नरेंद्र मोदी को 5,81,022 वोट मिले तो अरविंद केजरीवाल को 2,09,238 वहीं, कांग्रेस के अजय राय को केवल 75,614 वोटों से संतोष करना पड़ा.

चंदौली : 1989 के बाद दूसरे नंबर पर भी नहीं आ सकी

वाराणसी से सटी इस लोकसभा सीट पर भी कांग्रेस 1984 में अंतिम बार जीती थी. 1989 में पार्टी यहां दूसरे नंबर पर रही. 2009 में उसे तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा. इसके अलवा ऐसा कोई चुनाव नहीं गया जब कांग्रेस यहां टॉप तीन में भी आ पाई हो. 2014 में भाजपा के महेंद्रनाथ पांडेय यहां से जीते. पांडेय अभी उत्तरप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष हैं.

मिर्जापुर : 35 साल से यहां भी नहीं जीत सकी कांग्रेस

अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए प्रसिद्ध मिर्जापुर में 1984 में कांग्रेस के उमाकांत मिश्रा जीते थे. इसके बाद कांग्रेस यहां से अब तक नहीं जीती. इस दौरान हुए आठ चुनावों में तीन बार समाजवादी पार्टी, दो बार भाजपा, एक बार जनता दल, एक बार बसपा जीती. फिलहाल अपना दल की अनुप्रिया पटेल यहां से सांसद हैं. अनुप्रिया पटेल को 25% वोट मिले जबकि कांगेस के ललितेश पति त्रिपाठी को केवल 8%.

भदोही : एक बार बसपा और एक बार भाजपा जीती

2009 में परिसीमन के बाद ये सीट अस्तिव में आई. यहां 2009 में बसपा को जीत मिली जबकि 2014 में यहां से भाजपा के वीरेंद्र सिंह जीते. भदोही लोकसभा सीट में आने वाली पांच विधानसभाओं में से तीन पहले मिर्जापुर और दो फूलपुर लोकसभा में आती थीं. कांग्रेस को यहां अभी अपना खाता खुलने का इंतजार है.

Source : News Nation Bureau

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