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सहयोगी दलों की एकजुटजा दिखाकर वाराणसी से पूर्वांचल को साध गए पीएम नरेंद्र मोदी, पढ़ें पूरी खबर

पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वाराणसी में न केवल अपना नामांकन पत्र दाखिल किया, बल्कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पूरे कुनबे को यहां जुटाकर पूर्वांचल की कई सीटों को भी सहेजा.

Updated on: 27 Apr 2019, 10:28 AM

नई दिल्ली:

पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को वाराणसी में न केवल अपना नामांकन पत्र दाखिल किया, बल्कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पूरे कुनबे को यहां जुटाकर पूर्वांचल की कई सीटों को भी सहेजा. वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी पूर्वांचन में जोर भर रही हैं. पिछले दिनों नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रियंका गांधी के चुनाव लड़ने की चर्चा चल रही थीं, लेकिन बाद में राहुल गांधी ने इस सीट से अजय राय को उतार दिया. अजय राय की 2014 के आम चुनाव में जमानत जब्त हो गई थी.

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पीएम नरेंद्र मोदी ने एनडीए के सभी नेताओं को अपने नामांकन के दौरान काशी में बुलाकर पूरे देश को सहयोगी दलों में एकजुटता का संदेश दिया. उनके नामांकन के दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के अलावा बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, मेघालय के मुख्यमंत्री सीके संगमा, नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो, तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री ओ पन्नीरसेल्वम, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, अपना दल की अनुप्रिया पटेल और लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान समेत एनडीए के सभी प्रमुख नेता मौजूद रहे.

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दरअसल, वाराणसी का चुनावी समीकरण पूर्वांचल के करीब दो दर्जन लोकसभा सीटों को प्रभावित करता है. साथ ही यहां से बिहार की भी कई सीटों को साधा जाता है. पूर्व में भी बिहार की सियासत को वाराणसी से प्रभावित किया जाता रहा है. इसके अलावा वाराणसी शिक्षा और स्वास्थ्य का एक बड़ा केंद्र भी है. इसके चलते वाराणसी से सटे बलिया, गाजीपुर, आजमगढ़, जौनपुर और गोरखपुर जैसे जिलों के लोग यहां से बहुतायत जुड़े हैं. ऐसे में यहां का सियासी माहौल इन जिलों को भी काफी हद तक प्रभावित करता है. शायद इसीलिए काशी को पूर्वांचल और बिहार के कुछ जिलों का बेसकैंप भी कहा जाता है.

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सियासी समीक्षकों का मानना है कि वाराणसी के इस मिजाज के मद्देनजर ही पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने नामांकन के दौरान सहयोगी दलों की एकजुटता का यहां प्रदर्शन किया. काशी में चर्चा है कि यहां से सटे गाजीपुर और चंदौली सीटों पर इस बार चुनावी समीकरण बीजेपी के पक्ष में कमजोर है. ऐसे में मोदी ने अपने नामांकन के दौरान यहां शक्ति प्रदर्शन कर सभी कमजोर सीटों को संबल देने का प्रयास किया.