लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की संख्या घटी, क्या 2019 में स्थिति बदलेगी?

लोकसभा चुनाव 2019 की सरगर्मी तेज हो गई है. ऐसे में यह मुद्दा भी चिंता का एक विषय है कि लोकसभा में मुस्लिम सांसदों का प्रतिनिधित्व घट रहा है.

लोकसभा चुनाव 2019 की सरगर्मी तेज हो गई है. ऐसे में यह मुद्दा भी चिंता का एक विषय है कि लोकसभा में मुस्लिम सांसदों का प्रतिनिधित्व घट रहा है.

author-image
Drigraj Madheshia
एडिट
New Update
लोकसभा में मुस्लिम सांसदों की संख्या घटी, क्या 2019 में स्थिति बदलेगी?

संसद भवन

लोकसभा चुनाव 2019 की सरगर्मी तेज हो गई है. ऐसे में यह मुद्दा भी चिंता का एक विषय है कि लोकसभा में मुस्लिम सांसदों का प्रतिनिधित्व घट रहा है. यह मुद्दा चिंता का विषय इसलिए है, क्योंकि संसद देश के सामाजिक ताने-बाने का प्रतिनिधित्व करता है. यह देखना है कि कितने मुस्लिम नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा जाएगा और उनमें से कितने इसमें जीत हासिल करेंगे. लेकिन अगर 2014 लोकसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डाली जाए, तो 2019 में इस मामले में ज्यादा बदलाव की उम्मीद नहीं की जा सकती.

Advertisment

यह भी पढ़ेंः लोकसभा चुनाव की तारीख के ऐलान से पहले पीएम ने 30 दिन में निपटाए इतने काम

2014 में केवल 23 मुस्लिम नेता मुख्य रूप से छह राज्यों -पश्चिम बंगाल (8), बिहार (4), केरल (3), जम्मू एवं कश्मीर (3), असम (2) और आंध्र प्रदेश (1) से चुने गए थे. केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप से भी एक मुस्लिम सांसद चुना गया था.

यह भी पढ़ेंः लोकसभा के साथ इन राज्यों में भी विधानसभा चुनावों की तारीखों का हो सकता है ऐलान

परिदृश्य पर एक व्यापक नजर डालें तो पता चलता है कि 2014 में 53 मुस्लिम नेता दूसरे स्थान पर रहे थे. लद्दाख से एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरे गुलाम रजा भी भाजपा के थुपस्तान चेवांग से महज 36 वोटों से हार गए थे.

यह भी पढ़ेंः Lok Sabha Elections 2019: जानिए क्या होता है Model Code of Conduct

कांग्रेस के हमीदुल्लाह सयीद लक्षद्वीप सीट से मोहम्मद फैजल से केवल 1,535 वोटों से हार गए थे. माकपा के ए. एन. शमसीर केरल की वडाकारा सीट से कांग्रेस के मुल्लापल्ली रामचंद्रन से केवल 3,306 वोटों से हार गए थे और समाजवादी पार्टी के डॉ. शफीक उर रहमान बराक संभल सीट से भाजपा के सत्यपाल सिंह से 5,174 वोटों से हार गए थे. इन सीटों को छोड़कर सभी मुस्लिम नेता भारी अंतर से हारे थे.

यह भी पढ़ेंः RSS नेता भैय्याजी जोशी ने कहा, राम मंदिर के लिए जारी रहेगा आंदोलन, कोर्ट जल्द दे फैसला

पिछले लोकसभा चुनाव का एक और पहलू यह है कि केवल नौ मुस्लिम नेता ही मुस्लिम उम्मीदवारों से हारे थे, जबकि बाकी सभी सीटों पर गैर-मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे.उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मुस्लिम उम्मीदवार (19) दूसरे स्थान पर रहे थे, जिसके बाद पश्चिम बंगाल से नौ और बिहार से पांच मुस्लिम उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे.

यह भी पढ़ेंः Lok Sabha Elections 2019: इस बार लोकसभा चुनाव में हावी होंगे ये 5 बड़े मुद्दे

माकपा के मोहम्मद सलीम ने पश्चिम बंगाल की रायगंज सीट केवल 1,356 वोटों से जीती थी. पश्चिम बंगाल के आरामबाग से 3,46,845 वोटों के अंतर से जीतने वाली तृणमूल कांग्रेस की अपरूपा पोद्दार (आफरीन अली) सबसे ज्यादा अंतर से जीतने वाली मुस्लिम विजेता थीं.

यह भी पढ़ेंः लोकसभा चुनाव में महिलाओं को मिलेगा 33 प्रतिशत का आरक्षण : सीएम नवीन पटनायक

2011 की जनगणना के अनुसार, देश की मुस्लिम आबादी 17.2 करोड़ है, लेकिन लोकसभा में उनका प्रतिनिधित्व 10 प्रतिशत से भी कम है. लोकसभा में सबसे ज्यादा मुस्लिम सदस्य 1980 में थे, जब 49 नेता सदन के लिए चुने गए थे.

Source : IANS

EC election commission General Election 2019 Lok Sabha polls
Advertisment