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Lok Sabha Election 2019 6th Phase Voting: दिल्ली का सबसे पिछड़ा इलाका, दांव पर राजनीतिक दुनिया की कायनात

उत्तर-पूर्वी दिल्ली में संसदीय सीट के साथ-साथ दांव पर बीजेपी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की प्रतिष्ठा भी लगी है. यहां से शीला दीक्षित और मनोज तिवारी मैदान में हैं.

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Nihar Saxena
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Lok Sabha Election 2019 6th Phase Voting: दिल्ली का सबसे पिछड़ा इलाका, दांव पर राजनीतिक दुनिया की कायनात

सांकेतिक चित्र

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इसे कहते हैं रोचक संयोग. रविवार को छठे चरण के मतदान के बीच दिल्ली की सात लोकसभा सीटों में से एक उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट कई मायनों में खास हो गई है. इस सीट से बीजेपी ने निवर्तमान सांसद और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) को मैदान में उतारा है. उनके सामने दिल्ली की तीन बार की सीएम और दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित (Sheila Dixit) हैं. यानी इस लोकसभा सीट से देश की दो प्रमुख पार्टियों के प्रदेश अध्यक्ष आमने-सामने हैं. जीते भले ही कोई, लेकिन कह सकते हैं कि दांव पर अध्यक्षीय तो लग ही गई है.

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दांव पर प्रदेश अध्यक्ष पद की प्रतिष्ठा
कह सकते हैं कि 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित और निगम चुनाव में जीत का सेहरा सिर बांधे मनोज तिवारी के लिए यह मुकाबला सिर्फ सांसद बनने का नहीं है, बल्कि प्रदेश अध्यक्ष पद की प्रतिष्ठा बचाने का भी है. यह प्रतिष्ठा इसलिए भी बड़ी हो गई है कि लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections 2019) के एक साल के भीतर ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. ऐसे में दोनों पार्टियां चाहेंगी कि जीते हुए प्रदेश प्रमुख के साथ ही विधानसभा चुनाव में उतरें.

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जो हारा उससे छिनेगा प्रदेश अध्यक्ष पद
दांव पर इतना कुछ देखते हुए कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि दोनों में जो भी हारेगा, उसे प्रदेश अध्यक्ष पद की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी. जाहिर सी बात है कि हारे हुए प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में कोई भी पार्टी विधानसभा चुनाव की वैतरणी पार करने का जोखिम मोल नहीं लेना चाहेगी. यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप समेत वादों का जमकर इस्तेमाल हो रहा है.

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कांग्रेस ने झोंका सब कुछ
हालांकि राजनीतिक पंडितों की मानें तो उम्र के लिहाज से 81 वर्षीय शीला दीक्षित के लिए भले ही प्रचार अभियान चुनौतीभरा रहा हो, लेकिन उनके मैदान में उतरने से दिल्ली कांग्रेस में जोश का संचार हुआ है. बेटे संदीप दीक्षित (Sandeep Dixit)भी दो बार सांसद रह चुके हैं, तो प्रचार की रही सही कसर उन्होंने ही पूरी की है. शीला दीक्षित को संदीप के होने का भी चुनाव में अच्छा लाभ उन्हें मिल रहा है.

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मनोज तिवारी के समर्थन में भी उतरे दिग्गज
ऐसे में अपने प्रदेश अध्यक्ष की प्रतिष्ठा बचाने के लिए भाजपा ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. मनोज तिवारी के लिए समर्थन जुटाने के वास्ते गृहमंत्री राजनाथ सिंह जनसभा कर चुके हैं. वहीं केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी बैठकों के जरिए कोई कसर नहीं छोड़ी है. हालांकि मनोज तिवारी के लिए हरियाणवी कलाकार सपना चौधरी (Sapna Chaudhri) ने युवाओं को मोड़ने का काम किया है, ऐसा माना जा रहा है. इन सबके बीच किसका पलड़ा भारी रहेगा यह तो 23 मई को पता चलेगा, लेकिन राजधानी का सबसे पिछड़ा इलाका दो दिग्गजों के मुकाबले का गवाह जरूर बन गया है.

HIGHLIGHTS

  • साल भीतर ही दिल्ली में विधानसभा चुनाव भी होने हैं. ऐसे में दोनों पार्टियां चाहेंगी कि विजयी प्रदेश प्रमुख के साथ चुनाव में उतरें.
  • राजधानी का सबसे पिछड़ा इलाका दो दिग्गजों के मुकाबले का गवाह जरूर बन गया है.
  • दोनों ने जीत के किए हैं दावे और लगाए हैं जीत के लिए जरूरी सभी समीकरण.

Source : News Nation Bureau

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