एक तरफ महागठबंधन देवबंद में पहली साझा रैली कर राजनीतिक संदेश देने में व्यस्त था, दूसरी तरफ मुसलमानों के सबसे बड़े मदरसा देवबंद से भी एक बड़ा धार्मिक संदेश सामने आ रहा था. यह संदेश केंद्र सरकार के लिए था, जिसमें कहा गया कि केंद्र तीन तलाक के मामले में हस्तक्षेप नहीं करे, क्योंकि यह मुसलमानों का धार्मिक मामला है.
समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत करते हुए देवबंद निवासी शमिला अहमद ने कहा, 'पवित्र कुरान में दर्ज एक-एक बात सत्य है. आखिर सरकार पति-पत्नी के निजी मामलों में हस्तक्षेप क्यों कर रही है? मेरे विचार से सरकार के पास करने के लिए और भी बहुत कुछ है.' उन्होंने कहा कि मुस्लिम लड़कियों की शिक्षा एक बड़ा मसला है. यहां तक बीए, एमए या नेट पास उच्च शिक्षित मुस्लिम महिलाएं भी बेरोजगार हैं. रोजगार नहीं होने से उनकी सारी पढ़ाई-लिखाई और गुण किसी काम के नहीं रहते.
एक अन्य महिला का कहना था कि ऐसे तमाम मसले हैं, जिनकी तरफ ध्यान देना ही होगा. सड़कों का स्थिति खराब है, शिक्षा को मसला है ही, रोजगार भी एक बड़ा मसला है. तीन तलाक पर पूछने पर उन्होंने कहा कि यह हमारा निजी मामला है और इसमें किसी भी सरकार को हस्तक्षेप करने की कतई जरूरत नहीं है. यह हमारे शरिया के अनुरूप है औऱ हम इसके विरोध में नहीं जा सकते.
देवबंद के स्थानीय निवासियों का मानना था कि मुसलमानों को चुनाव के दौरान राजनीतिक हथियार बतौर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. स्थानीय निवासी मोहम्मद तारिक ने कहा, 'यह शांति पसंद शहर है. नेताओं को देश भर में शिक्षा का स्तर सुधार रोजगार के अवसर बढ़ाने चाहिए. सभी को एक समान अवसर मिलने चाहिए और सभी को एकसमान नजरिये से देखना चाहिए. मुसलमान आरक्षण नहीं चाहता है, लेकिन समाज के वंचित और हाशिये पर पड़े लोगों के विकास पर सोचना होगा.'
Source : News Nation Bureau