logo-image

संसदीय दल के नेता चुने जाने के बाद नरेंद्र मोदी का नया NARA, सबका साथ-सबका विकास के बाद अब सबका विश्वास

लोकसभा चुनाव 2019 प्रचंड बहुमत से जीतने के बाद नरेंद्र मोदी शनिवार को सेंट्रल हॉल में NDA के सांसदों को संबोधित किया.

Updated on: 25 May 2019, 08:50 PM

नई दिल्‍ली:

लोकसभा चुनाव 2019 प्रचंड बहुमत से जीतने के बाद नरेंद्र मोदी शनिवार को सेंट्रल हॉल में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने सरकार बनाने का दावा पेश करने पहुंचे. जैसे ही नरेंद्र मोदी सेंट्रल हॉल में आए, वहां मौजूद सभी सदस्यों ने उनका स्वागत किया. मंच पर पीएम मोदी के साथ लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, प्रकाश सिंह बादल, राजनाथ सिंह, सुषमा स्वराज, अमित शाह, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान, उद्धव ठाकरे मौजूद रहे. मोदी ने इस दौरान आडवाणी, प्रकाश बादल और जोशी के पैर छूकर आशीर्वाद लिया. लोकसभा 2019 चुनाव में जीतने वाले बीजेपी के 303 सांसद भी इस बैठक में मौजूद हैं. इसमें सर्वसम्मति से पीएम नरेंद्र मोदी को संसदीय दल का नेता चुना गया. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने उनके नाम का प्रस्ताव रखा, जिस पर सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से हामी भरी.

यह भी पढ़ेंः मोदी की TSuNaMo में खुद अपना रिकॉर्ड नहीं बचा पाए नरेंद्र मोदी, इस लिस्‍ट से हुए बाहर

बीजेपी की सहयोगी पार्टियों ने एनडीए संसदीय दल के नेता के तौर पर मोदी के नाम पर मुहर लगाई. सबसे पहले एनडीए संसदीय दल के नेता के तौर पर अकाली दल के नेता प्रकाश सिंह बादल, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, एलजेपी चीफ रामविलास पासवान ने मोदी के नाम का प्रस्ताव रखा. इसका सभी ने समर्थन किया.
इस दौरान NDA के संसदीय दल के नेता चुने जाने के बाद अब एक नया नारा (NARA) दिया. उन्‍होंने इसकी व्‍याख्‍या करते हुए इसका मतलब भी समझाया. उन्‍होंने कहा कि NARA का मतलब है नेशनल एस्‍पिरेशन, रीजनल एस्‍पिरेशन. यानी राष्‍ट्रीय आकांक्षाओं और क्षेत्रीय आकांक्षाओं के अनुरूप हमें कार्य करना पड़ेगा. एनडीए के पास दो महत्वपूर्ण चीजेंं हैं. एक एनर्जी और दूसरा सिनर्जी. एनर्जी-सिनर्जी ऐसा केमिकल है, जिससे हम सामर्थ्यवान हुए हैं. भारत के लोकतंत्र के लिए सभी पार्टियों को जोड़कर चलना समय की मांग है. उसमें आज सफलतापूर्वक कोई गठबंधन चला है, तो वह है एनडीए है. '

सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास हमारा मंत्र 

उन्‍होंने अपने संबोधन में कहा कि "ये वह संविधान है, जिस पर देश के महापुरुषों के हस्ताक्षर हैं। पुराने तरीके काम नहीं आएंगे। एकमात्र मार्ग है कि 21वीं सदी में सभी को आगे ले जाना है। किसी को पंथ, जाति, भेदभाव के आधार पर पीछे छूटना नहीं चाहिए। छल को छेद करना है। हम उनको हैंडओवर करके बैठे रहें, यह मंजूर नहीं है। इस जिम्मेदारी को निभाएंगे तभी तो आगे बढ़ सकते हैं। सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास हमारा मंत्र है।''

यह भी पढ़ेंः क्या मुसलमानों ने किया है नरेंद्र मोदी को वोट? जानें आंकड़ों से पूरी कहानी

उन्‍होंने अपने संबोधन में कहा कि प्रचंड जनादेश जिम्मेदारियों को और बढ़ा देता है. कहा जाता है कि चुनाव दूरियां पैदा कर देता है,दीवार बना देता है. लेकिन 2019 के चुनाव ने दीवार तोड़ दी और दिलों को जोड़ा है. यह चुनाव सामाजिक एकता का आंदोलन बन गया है.उन्होंने कहा, जनप्रतिनिधि के लिए कोई भेद रेखा नहीं हो सकती. उसे बदला लेने का हक नहीं होता. वह सबके लिए समान होता है.

यह भी पढ़ेंः करारी हार के बाद केजरीवाल का नया अवतार, हार से पहले और बाद नेताओं के बोल

पीएम ने कहा, विश्वास की डोर जब मजबूत होती है तो प्रो-इंकंबेंसी लहर पैदा होती है. ये चुनाव पॉजिटिव वोट का चुनाव है. फिर से सरकार को लाना है, काम देना है, जिम्मेदारी देनी है. इस सकारात्मक सोच ने इतना बड़ा जनादेश दिया है. पीएम ने कहा, 2014 में भाजपा को जितने वोट मिले और 2019 में जो वोट मिले, उनमें जो वृद्धि हुई है, यह वृद्धि करीब-करीब 25 प्रतिशत है. लेकिन ग्लोबल परिदृश्य में देखें तो अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप को जितने वोट मिले थे, उतना हमारा इंक्रीमेंट है.