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उप्र : रालोद ने गठबंधन में शामिल होने की नहीं छोड़ी उम्मीद, सीटों को लेकर फंसा है पेंच

समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के गठबंधन के बाद भी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को उम्मीद है कि उन्हें इस गठबंधन में शामिल किया जाएगा

Updated on: 13 Jan 2019, 12:32 PM

लखनऊ:

समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के गठबंधन के बाद भी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को उम्मीद है कि उन्हें इस गठबंधन में शामिल किया जाएगा, लेकिन अभी भी सीटों को लेकर पेंच फंसा है.  रालोद पांच सीटें मांग रही है जबकि सपा और BSP ने दो ही सीटें सहयोगियों के लिए छोड़ी हैं. दोनों दलों ने कल संवाददाता सम्मेलन के दौरान रालोद का नाम भी नहीं लिया. हालांकि सूत्र बताते हैं कि सपा अपने कोटे से भी उसे एक सीट दे सकती है लेकिन तीन सीटों पर रालोद कितना तैयार होगा यह देखना है. इसीलिए रालोद प्रमुख अजीत सिंह ने अन्य विकल्प भी खोल रखे हैं.

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इससे पहले गठबंधन में शमिल होने को लेकर अजीत सिंह के बेटे जयंत बात कर रहे थे. लेकिन अब अचानक चौधरी अजीत सिंह प्रकट हुए उन्होंने मीडिया के सामने अपने बयान देने शुरू कर दिए. बताया जा रहा है कि उन्हें सपा BSP ने अपने होने वाले संवाददाता सम्मेलन से पहले विश्वास में नहीं लिया है. यह बात चौधरी को नगवार गुजरी है. वह लगातार सीट शेयरिंग की बात करने लगे हैं. अन्य विकल्प भी तलाशने शुरू कर दिए हैं.

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जयंत ने सपा मुखिया अखिलेश से पांच सीटें मांगी थी. इनमें बागपत, अमरोहा, हाथरस, मुजफ्फरनगर, मथुरा शामिल हैं. लेकिन सपा BSP उन्हें केवल दो सीटें देने की बात कह रहा है. रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मसूद अहमद की मानें तो गठबंधन को लेकर अभी जयंत की चर्चा चल रही है. उम्मीद है की एक सप्ताह में तस्वीर साफ हो जाएगी. रालोद के राष्ट्रीय प्रवक्ता अनिल दुबे का कहना है कि अभी गठबंधन पर बात चल रही है. हमारे लिए सीटों का कोई मुद्दा नहीं है. हमारा मकसद भाजपा को हराना है.

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राजनीतिक विश्लेषक रतनमणि लाल ने बताया कि राष्ट्रीय लोक दल को पता है कि सपा BSP उन्हें दो सीटों से ज्यादा देने वाली नहीं है. इससे ज्यादा यह जीत भी नहीं सकते हैं. लेकिन रालोद को अपने कार्यकतार्ओं को भी संतुष्ट करना है कि पार्टी केवल बाप-बेटे की नहीं है अन्य कार्यकताओर्ं की भी बात की जाती है. इसीलिए अभी वह ज्यादा सीटों के लिए दबाव बना रही है.

उन्होंने बताया कि सपा-BSP भी जानते हैं कि रालोद को दो सीट से ज्यादा देने का कोई फायदा नहीं है. इससे पहले कोई ऐसी चर्चा भी नहीं हुई है क्योंकि सपा को निषाद पार्टी और कौमी एकता मंच को भी संतुष्ट करना होगा. ऐसे में रालोद के पास कांग्रेस और शिवपाल के साथ जाने के विकल्प खुले हुए हैं. उन्होंने बताया कि जयंत के निर्णय और उनके कम अनुभव के चलते अजीत सिंह ने खुद आकर फ्रंट में खेलना शुरू किया है. वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि वह गठबंधन में अपनी जगह सुनिश्चित कर सकें.

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इस बारे राजनीतिक समीक्षक राजीव श्रीवास्तव ने बताया, "अजीत सिंह हमेशा से सत्ता के साथ रहने वाले हैं. उनका इतिहास उठाकर देखें तो यह बात साफ झलकती है. अगर उनके अनुसार गठबंधन नहीं हुआ तो उनके लिए अन्य विकल्प भी खुले हैं. वह भाजपा और कांग्रेस की ओर भी अपना रुख कर सकते हैं. अभी तक सारे निर्णय जयंत कर रहे थे. लेकिन आज अचानक अजीत सिंह ने आकर फ्रंट में खेलना शुरू किया है. अगर उनके मनमुताबिक गठबंधन ना हुआ तो वह खेल बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं. "