लोकसभा चुनाव के प्रचार अभियान के दौरान विवादित टिप्पणी करने पर निर्वाचन आयोग ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और बीएसपी सुप्रीमो मायावती के चुनाव प्रचार करने पर 72 और 48 घंटे के लिए प्रतिबंध लगा दिया है. चुनाव आयोग के इस कार्रवाई के बाद मायावती ने सोमवार यानी आज रात लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इस प्रतिबंध पर सवाल खड़ा किया.
मायावती ने कहा, '11 अप्रैल को चुनाव आयोग ने कारण बताओ नोटिस में आरोप नहीं लगाया था कि हमने उकसाने वाला भाषण दिया था. इसमें केवल एक आरोप था कि हम एक विशेष समुदाय के नाम पर वोट मांग रहे थे. चुनाव आयोग ने एकतरफा फैसला दिया. मुझे बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार से वंचित कर दिया गया है. इस दिन को चुनाव आयोग के इतिहास में एक काले दिन के रूप में जाना जाएगा.'
इसके साथ ही बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पीएम नरेंद्र मोदी के बयान को लेकर मायावती ने कहा कि आयोग ने साफ कहा है कि राजनीतिक लाभ के लिए सेना का इस्तेमाल नहीं करना है, लेकिन मोदी और बीजेपी नेता लगातार ऐसा कर रहे हैं और आयोग इनपर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. आचार संहिता के उल्लंघन का सीधा आरोप मोदी पर है, लेकिन चुनाव आयोग उनपर कार्रवाई नहीं करता है, जबकि मुझे बलि का बकरा बनाया गया है.
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मायावती ने आगे कहा, 'मंगलवार को गठबंधन की संयुक्त रैली है, जिसमें चुनाव आयोग की दलित विरोधी मानसिकता की वजह से मैं हिस्सा नहीं ले पाउंगी. लेकिन मैं लोगों से अपील करती हूं कि इस रैली को कामयाब बनाना है. मेरे कल रैली में ना होने से लोग निराश ना हो. चुनाव होने के बाद सरकार बनने के बाद मैं सबसे पहले आगरा और फतेहपुर के लोगों से ही मिलने आऊंगी.'
इसके साथ ही मायावती ने कहा कि मेरी रैलियों में हो रही भीड़ से बीजेपी डरी हुई है इसलिए मुझे रोकने के लिए चुनाव आयोग का सहारा लिया है.
Source : News Nation Bureau