मध्य प्रदेश : क्या दमोह लोकसभा सीट पर BJP का किला भेद पाएगी कांग्रेस, जानिए कैसा रहा है अब तक मुकाबला

यहां पर शुरुआती 3 चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. इसके बाद से ही यहां पर बीजेपी का विजयी सफर जारी है

author-image
Dalchand Kumar
एडिट
New Update
मध्य प्रदेश : क्या दमोह लोकसभा सीट पर BJP का किला भेद पाएगी कांग्रेस, जानिए कैसा रहा है अब तक मुकाबला

फाइल फोटो

दमोह लोकसभा सीट मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में बीजेपी का अभेद किला मानी जाती है. यहां पर शुरुआती 3 चुनाव में कांग्रेस (Congress) को जीत मिली थी. पहली बार 1989 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने दमोह की लोकसभा सीट पर जीत का स्वाद चखा. इसके बाद से ही यहां पर बीजेपी का विजयी सफर जारी है. वह लगातार 8 चुनावों में यहां पर जीत हासिल कर चुकी है. ऐसे में कांग्रेस के सामने दमोह लोकसभा सीट पर जीत हासिल करना आसान नहीं है. बीजेपी ने इस बार भी कद्दावर नेता पहलाद पटेल को मैदान में उतारा है तो वही कांग्रेस की प्रत्याशी की तलाश प्रताप सिंह लोधी पर आकर खत्म हुई है.

Advertisment

यह भी पढ़ें- अगस्‍ता वेस्‍टलैंड घोटाला : भांजे को ED ने बुलाया तो कमलनाथ बाेले, ऐसे मामले चुनाव के समय ही क्‍यों आते हैं

दमोह लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1962 में हुआ था. तब यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित थी. इस चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. 1967 में परिसीमन के बाद यह सीट सामान्य हो गई. 1989 में पहली जीत हासिल करने के बाद से बीजेपी को इस सीट पर हार नहीं मिली. उसके जीत का सफर लगातार जारी है. 

2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रहलाद सिंह पटेल को 513079 (56.25 फीसदी) वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस के चौधरी महेंद्र प्रताप सिंह को 299780 (32.87 फीसदी) वोट मिले थे. दोनों के बीच हार जीत का अंतर 213299 वोटों का था. इस चुनाव में बसपा 3.46 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी.

यह भी पढ़ें- देश के दिल से दिल्ली तक बजेगा कांग्रेस का थीम सॉन्‍ग, जानें कौन है इसे बनाने वाला

इससे पहले 2009 के चुनाव में बीजेपी के शिवराज सिंह लोढी को जीत मिली थी. उन्होंने कांग्रेस के चंद्रभान को का हराया था. शिवराज सिंह लोढी को 302673 (50.52 फीसदी) वोट मिले थे. वहीं चंद्रभान को 231796 (38.69 फीसदी) वोट मिले थे. दोनों के बीच हार जीत का अंतर 70877 वोटों का था. इस चुनाव में सपा 1.31 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थी.

दमोह सागर संभाग का एक जिला और बुंदेलखंड अंचल का शहर है. 2011 की जनगणना के मुताबिक दमोह की जनसंख्या 2509956 है. यहां की 82.01 फीसदी आबादी ग्रामीण क्षेत्र और 17.99 फीसदी आबादी शहरी क्षेत्र में रहती है. दमोह में 19.44 फीसदी लोग अनुसूचित जाति और 13.13 फीसदी लोग अनुसूचित जनजाति के हैं.

यह भी पढ़ें- मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने 12 कैंडिडेट की जारी की लिस्ट, कमलनाथ के बेटे नकुल यहां से ठोकेंगे ताल

दमोह की लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण भी बड़ा ही दिलचस्प है. यहां सबसे ज्यादा लोधी कुर्मी और जैन हैं. ऐसे में दमोह लोकसभा सीट पर जातिगत समीकरण बिठाना भी कांग्रेस और बीजेपी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने लोधी समाज से आने वाले बीजेपी के कद्दावर नेता पहलाद पटेल को मैदान में उतारा और उन्होंने करीब 2 लाख मतों से जीत हासिल की. बाहरी प्रत्याशी होने के बावजूद भी पहलाद पटेल को दमोह की जनता ने स्वीकार किया.

यह भी पढ़ें-  मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार के '100 दिन' कितने असरदार

ऐसे में अब 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के सामने सबसे बड़ी चुनौती पहलाद पटेल के बराबर का नेता खड़ा करना था. कांग्रेस ने इसके लिए लंबे समय से तलाश जारी रखी. जो प्रताप सिंह लोधी पर आकर खत्म हुई. माना जा रहा है कि कांग्रेस ने भी लोधी समाज को साधने के लिए प्रताप सिंह लोधी पर दांव खेला है.

यह वीडियो देखें-

Source : News Nation Bureau

loksabha election 2019 madhya pradesh election congress madhya-pradesh Pratap Singh Lodhi Prahlad Patel BJP damoh loksabha seat Damoh
      
Advertisment