राहुल ही नहीं, देश के ये दिग्गज नेता भी लड़ चुके हैं एक से अधिक सीटों पर चुनाव, पढ़ें पूरा इतिहास
एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की शुरुआत तो आजादी के एक दशक बाद 1957 में ही हो गई थी
नई दिल्ली:
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) 2019 के चुनाव में दो लोकसभा सीटों पर अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. राहुल इस बार उत्तर प्रदेश की अमेठी और केरल की वायनाड सीट से चुनावी मैदान में है. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी (BJP) राहुल गांधी पर अमेठी से भागने का आरोप लगा रही है तो कांग्रेस इसे दक्षिण भारत में पार्टी को मजबूत करना बता रही है. हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब कोई नेता एक से अधिक सीटों पर एक साथ चुनाव लड़ा रहा हो. इसकी शुरुआत तो आजादी के एक दशक बाद 1957 में ही हो गई थी. आइए जानते हैं कि राहुल गांधी से पहले भारत में किन-किन नेताओं ने एक से अधिक सीट से चुनाव लड़ा था.
अटल बिहारी वाजपेयी
देश में सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी ने एक से अधिक सीटों से चुनाव लड़ा था. उन्होंने 1957 में हुए आम चुनावों में एक नहीं बल्कि 3 संसदीय सीटों पर अपनी दावेदारी ठोकी. वो भारतीय जनसंघ के टिकट पर लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर सीट से चुनावी मैदान में उतरे. अटल बिहारी वाजपेयी बलरामपुर सीट पर चुनाव जीतने में सफल रहे. लेकिन उन्हें लखनऊ और मथुरा में हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद अटल ने 1991 में विदिशा और लखनऊ से चुनाव लड़ा. इन दोनों सीटों पर उन्हें जीत मिली. उन्होंने 1996 में भी लखनऊ और गांधीनगर सीटें एक साथ जीतीं.
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इंदिरा गांधी
साल 1978 में इंदिरा गांधी ने कर्नाटक के चिकमंगलूर में हुए उप चुनाव में जीत हासिल की थी. इसके बाद 1980 में हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी ने आंध्र प्रदेश की मेडक और उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा और दोनों सीटों पर जीत हासिल की. जब इंदिरा गांधी कांग्रेस को दोबारा सत्ता में लाने में सफल हुई थीं.
लाल कृष्ण आडवाणी
साल 1991 में अटल बिहारी वाजपेयी के अलावा उन्ही के पार्टी के नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने भी एक से अधिक सीट पर चुनाव लड़ा. आडवाणी ने नई दिल्ली और गांधी नगर लोकसभा क्षेत्र से अपनी दावेदारी ठोकी और दोनों सीटों पर जीत दर्ज की. लेकिन बाद में नई दिल्ली सीट छोड़ दी थी.
सोनिया गांधी
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इन नेताओं की लिस्ट में शामिल हैं. सोनिया गांधी 1999 में कर्नाटक के बेल्लारी और उत्तर प्रदेश के अमेठी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरी थीं. उन्होंने बेल्लारी सीट पर बीजेपी की सुषमा स्वराज को हराया और अमेठी की सीट भी जीती. हालांकि बाद में उन्होंने बेल्लारी से त्यागपत्र दे दिया था.
चौधरी देवीलाल
हरियाणा के जन नायक चौधरी देवीलाल भी ऐसे प्रत्याशी रहे थे, जिन्होंने एक साथ तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था. साल 1989 में उन्होंने हरियाणा की रोहतक, राजस्थान की सीकर और पंजाब की फिरोजपुर सीट से चुनाव लड़ा. वे दो सीटों रोहतक और सीकर पर चुनाव जीते थे, जबकि फिरोजपुर सीट पर हार मिली थी.
एनटी रामाराव
दक्षिण भारत के दिग्गज नेता और तेलुगू देशम पार्टी के संस्थापक एनटी रामाराव भी 1985 के विधानसभा चुनाव में आंध्र प्रदेश की गुडीवडा, हिंदुपुर और नलगोंडा सीट से लड़े और सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद उन्होंने हिंदुपुर सीट बरकरार रखी.
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लालू प्रसाद यादव
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू यादव भी उन नेताओं में शुमार हैं, जिन्होंने एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा. लालू यादव ने साल 2004 में छपरा और मधेपुरा से चुनाव लड़ा और दोनों सीटों से जीते. इसके बाद भी 2009 में वो दो सीटों से चुनावी मैदान में उतरे. इस साल लालू यादव ने सारण और पाटलीपुत्र सीट को चुना. इनमें से उन्होंने सारण सीट पर जीत हासिल की, जबकि पाटलीपुत्र सीट हार गए.
अखिलेश यादव
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने साल 2009 में कन्नौज और फिरोजाबाद सीट से चुनावी मैदान में कूदे थे. अखिलेश ने इन दोनों सीटों पर ही जीत हासिल की.
मुलायम सिंह यादव
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा नेता मुलायम सिंह यादव भी एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ चुके हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने आजमगढ़ और मैनपुरी सीट पर चुनाव लड़ा और दोनों सीटों पर जीते.
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नरेंद्र मोदी
देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इन नेताओं की लिस्ट में शामिल हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश की वाराणसी और गुजरात की वडोदरा सीट से चुनाव लड़ा. उन्होंने दोनों ही सीटें जीतीं. हालांकि बाद में उन्होंने वडोदरा सीट छोड़ दी थी.
राहुल गांधी
अब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी अपनी दादी और मां की राह पर चल रहे हैं. इस बार वो उत्तर प्रदेश की अमेठी और केरल की वायनाड संसदीय सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.
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