Loksabha Election 2019 : जयपुर में महिलाओं ने चुनावी सोच बदलने की लिए भरी हुंकार

सियासी दल वोटर्स को लुभाने के लिए महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का राग अलापते हैं, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है

सियासी दल वोटर्स को लुभाने के लिए महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का राग अलापते हैं, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है

author-image
Dalchand Kumar
एडिट
New Update
Loksabha Election 2019 : जयपुर में महिलाओं ने चुनावी सोच बदलने की लिए भरी हुंकार

लोकसभा चुनाव 2019 (Loksabha Election 2019) के नजदीक आते ही देशभर में सियासी शोर तेज हो गया है. राजनीतिक दल वोटर्स को अपने पक्ष में लाने के लिए तमाम मुद्दे उठा रहे हैं. इनमें से एक मुद्दा महिलाओं को लेकर भी है, जो अक्सर सियासत के गलियारे में गूंजता नजर आता है. सियासी दल वोटर्स को लुभाने के लिए महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण का राग अलापते हैं, मगर जमीनी हकीकत कुछ और ही है. आज जयपुर (Jaipur)में महिलाओं ने चुनावी सोच बदलने की लिए हुंकार भरी. जयपुर शहर में महिलाओं ने चुनावों में सोच समझकर वोट देने की अपील की.

Advertisment

यह भी पढ़ें- PM Narendra Modi LIVE: 3:40 बजे मुझे पता चल गया था कि सर्जिकल स्‍ट्राइक सफल रहा : पीएम मोदी

जयपुर शहर में 'औरतें उठी नहीं तो ज़ुल्म बढ़ता जाएगा-महिला मार्च बदलाव के लिए' की एक रैली का आयोजन किया गया. देशभर के अन्य शहरों की तरह यहां भी महिलाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया. 20 से अधिक महिला समूह और जन संगठनों की महिलाओं ने इसमें भाग लिया. जयपुर की सड़कों पर 200 से अधिक औरतों ने मार्च किया. बूढ़ी, जवान, किशोरियां सब औरतें पूरे जोश से रास्ते भर नारे लगाती चल रही थीं. बुर्के वाली मुस्लिम औरतें, घरेलू काम वाली औरतें, बस्तियों की किशोरियां सब ही आईं थीं.

यह भी पढ़ें- लालकृष्ण आडवाणी ने ब्लॉग लिखकर कहा- राजनीतिक असहमति का अर्थ 'राष्ट्र विरोधी' नहीं

मार्च के दौरान सभी महिलाएं नारे लगा रही थीं 'हमारा वोट बदलाव के लिए, लोकतन्त्र की रक्षा के लिए, अभिव्यक्ति के अधिकार के लिए'. इसके अलावा शहीद स्मारक से निकली रैली में महिलाओं ने देश में बढ़ रही नफरत, हिंसा, जाती और संप्रदाय के बिनाह पर भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई, नारे लगाए और पर्चे बांटे. साथ ही पिछले पांच साल में देश में बढ़ी बेरोजगारी, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं का निजीकरण, राशन पेंशन और नरेगा में लोगों का नाम काटने और सामाजिक सुरक्षा की नीतियों लापरवाही से चलाने की बात की.

यह भी पढ़ें- चुनावी हलचल LIVE: पश्‍चिमी उत्‍तर प्रदेश में चुनावी माहौल गरमाएंगे पीएम नरेंद्र मोदी, गाजियाबाद में प्रियंका गांधी का रोड शो

महिलाओं ने ऑनर किलिंग, यौन उत्पीडन, महिलाओं के हकों और आजादी पर वार और डायन हत्या, उनकी स्वतंत्रता पर रोक-टोक इत्यादि मुद्दों को भी इन चुनावों में अहम भूमिका देने के मांग की. महिलाओं ने नारों और पोस्टर द्वारा स्पष्ट किया कि उनका वोट उन्हीं को जाएगा जो देश के इन असली मुद्दों पर बात और काम करेगा, ना की वह जो जनता का ध्यान भटकाएगा.

पिछले 5 सालों के कुछ आंकड़े:

  • जहां 2011-12 में भारत में पुरुषों में बेरोजगारी दर 8 फीसदी थी, वह अब बढ़कर 18 फीसदी हो गई है. महिलाओं में वह 18 फीसदी से बढ़कर 27 फीसदी हो गई है.
  • राजस्थान में रोजगार क्षेत्र में हर 100 पुरुषों के लिए केवल 29 महिलाएं काम करती हैं. (तुलना के लिए तेलंगाना में हर 100 पुरुषों के लिए 60 महिलाएं काम करती हैं). यह आंकड़े पिछले 5 सालों में देशभर में और भी कम हो गए हैं.
  • राजस्थान विधानसभा में पिछली सरकार में सिर्फ 3.5 फीसदी विधायक (200 में से 27) महिलाएं थीं.
  • राजस्थान में अभी भी लगभग 35 फीसदी लड़कियों का विवाह 18 साल की उम्र से पहले कर दिया जाता है.
  • राजस्थान को घृणा के अपराधों में देश में तीसरा स्थान दिया है. यहां 2016-18 के बीच में अल्पसंख्यकों के खिलाफ 26 मामले सामने आए.
  • दलित अत्याचार के मामले में राजस्थान देश में दूसरे स्थान पर है. कुल मामलों में से केवल 3 फीसदी केसों अभियुक्तों को सजा हुई है.

Source : News Nation Bureau

loksabha election 2019 Jaipur jaipur mahila rally rajasthan Women march jaipur
Advertisment