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Lok Sbha Elections 2019: अकेली पड़ीं शीला दीक्षित, कांग्रेस-AAP के बीच गठबंधन लगभग तय, आज ऐलान संभव

लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को मात देने के लिए अब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच रार खत्‍म होती नजर आ रही है.

Updated on: 18 Mar 2019, 12:25 PM

नई दिल्‍ली:

लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी को मात देने के लिए अब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच रार खत्‍म होती नजर आ रही है. पार्टी सूत्रों की मानें तो केंद्रीय नेतृत्व के संकेत के बाद दिल्ली कांग्रेस के लगभग सभी बड़े नेता गठबंधन के लिए तैयार हैं. जबकि, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित को मनाने के लिए पार्टी के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको के साथ सोमवार को महत्वपूर्ण बैठक होने की संभावना है.

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ना-नुकुर के बाद दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन लगभग तय हो चुका है. कांग्रेस से गठबंधन के लए बेकरार 'आप' लगातार खुले मंच से कांग्रेस के साथ होने की बात कह रही थी. लेकिन दिल्ली कांग्रेस के नेताओं की तरफ से इससे इनकार किया जाता रहा है. लेकिन, बीते दो दिनों में पार्टी के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने खुलकर गठबंधन के पक्ष में अपनी बात कही. सूत्रों की मानें तो इस मुद्दे पर शीला दीक्षित अकेली पड़ गईं हैं.

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कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो अभी तक आम आदमी पार्टी के साथ आधिकारिक तौर पर गठबंधन पर चर्चा शुरू नहीं हुई है. सोमवार को केंद्रीय नेतृत्व की ओर से इस पर हरी झंडी दिखाए जाने की उम्मीद है. इसके बाद दोनों पार्टियों के बीच दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर चर्चा होगी.

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‘आप' के प्रदेश संयोजक गोपाल राय ने रविवार को कहा कि देशहित में हम गठबंधन के पक्ष में थे. मगर, कांग्रेस गंभीर नहीं दिख रही थी. कांग्रेस अगर गंभीर है तो बातचीत के दरवाजे खुले हुए हैं. हम दिल्ली के साथ पंजाब, हरियाणा, गोवा और चंडीगढ़ की सभी सीटों पर बात करने के लिए तैयार हैं.

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‘आप' की ओर से दिल्ली के सातवें लोकसभा उम्मीदवार की घोषणा कर दी गई. आम आदमी पार्टी कांग्रेस पर गंभीर नहीं होने का आरोप लगाकर उम्मीदवार की घोषणा को सही बता रही है और यह भी कह रही है कि कांग्रेस ने गठबंधन को लकर बहुत देर कर दी है. अब सात नहीं बल्कि 33 लोकसभा सीटों पर बात होगी.

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उन्होंने कहा कि देश की जनता को मोदी और शाह की तानाशाही से बचाने के लिए आम आदमी पार्टी ने सोचा था कि कांग्रेस के साथ भी अगर समझौता करना पड़े तो करेंगे. परंतु पिछले तीन महीने से कांग्रेस जो गैर जिम्मेदराना व्यवहार कर रही है वह निराशाजनक रहा है.