logo-image

Lok Sabha Election : पहली बार लालकृष्ण आडवाणी के बिना चुनाव लड़ेगी बीजेपी, क्या हो पाएगी नैया पार

देश में लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) का बिगुल बज चुका है. सभी राजनीतिक पार्टियां अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर रही हैं.

Updated on: 22 Mar 2019, 09:30 AM

नई दिल्ली:

देश में लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Election 2019) का बिगुल बज चुका है. सभी राजनीतिक पार्टियां अपने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर रही हैं. पहली बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने दिग्गज नेता के बिना चुनाव लड़ने जा रही है. आम चुनाव के लिए बीजेपी ने अपने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी कर दी है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी में जान फूंकने वाले दिग्गज नेता का नाम नहीं है.

यह भी पढ़ें ः देखें BJP Candidates की पूरी लिस्ट, आडवाणी का पत्ता कटा, मोदी दोबारा वाराणसी से ही लड़ेंगे चुनाव

हम यहां बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की बात कर रहे हैं. आडवाणी गांधीनगर सीट से पहली बार 1991 में लोकसभा चुनाव जीते थे. इसके बाद उन्होंने यहां से 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में भी जीत हासिल की. आडवाणी ने पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के किरीटभाई ईश्वरभाई पटेल को 4.83 लाख वोटों से हराया था. आडवाणी पर हवाला घोटाले का आरोप लगा था, जिस पर उन्होंने 1996 में संसद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. हालांकि, इस मामले में क्लीनचिट मिलने के बाद साल 1998 में वह संसद के लिए फिर से निर्वाचित हुए थे.

यह भी पढ़ें ः आडवाणी की जगह अमित शाह पहली बार लोकसभा चुनाव में ठोकेंगे ताल, वाराणसी से मोदी होंगे मैदान में

बीजेपी ने गुरुवार को अपने प्रत्याशियों की पहली लिस्ट जारी की. इस लिस्ट में बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी का नाम नहीं है. 1991 से गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनाव जीतते आ रहे लालकृष्ण आडवाणी की जगह अमित शाह का नाम घोषित किया गया है. राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख रहे 91 वर्षीय आडवाणी लगातार 6 बार गांधीनगर लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं. इसके साथ ही अब आडवाणी युग का अंत हो गया है.

यह भी पढ़ें ः संसद में 296 दिन आने के बाद भी लालकृष्ण आडवाणी ने बोले केवल 365 शब्द

बीजेपी को खड़ा करने और उसे राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान है. वे कई बार बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं. आज भारतीय राजनीति में उनका एक बड़ा नाम हैं. गांधी के बाद वो दूसरे जननायक हैं, जिन्होंने हिन्दू आंदोलन का नेतृत्व किया और पहली बार बीजेपी की सरकार बनवाई, लेकिन पिछले कुछ समय से अपनी मौलिकता खोते हुए नजर आ रहे हैं.

यह भी पढ़ें ः आखिर क्यों लाल कृष्णा आडवाणी ने बजट के बीच पीयूष गोयल को 'उरी..' की याद दिलाई

वर्ष 1951 में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की थी. तब से लेकर सन् 1957 तक आडवाणी पार्टी के सचिव रहे. वर्ष 1973 से 1977 तक लालकृष्ण आडवाणी ने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाला. वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे. इसके बाद उन्होंने भी 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व संभाला.

यह भी पढ़ें ः गांधीनगर लोकसभा सीट: LK आडवाणी फिर जीते तो उनके नाम होगा यह अनूठा रिकॉर्ड

लालकृष्ण आडवाणी चार बार राज्यसभा और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे. वर्तमान में भी वो गुजरात के गांधीनगर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के सांसद हैं. वर्ष 1977 से 1979 तक पहली बार केंद्रीय सरकार में कैबिनेट मंत्री की हैसियत से लालकृष्ण आडवाणी ने दायित्व संभाला. इस दौरान आडवाणी सूचना प्रसारण मंत्री रहे. आडवाणी ने अभी तक के राजनीतिक जीवन में सत्ता का जो सर्वोच्च पद संभाला है वह है एनडीए शासनकाल के दौरान उपप्रधानमंत्री का. लालकृष्ण आडवाणी वर्ष 1999 में एनडीए की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेत़ृत्व में केंद्रीय गृहमंत्री बने और फिर इसी सरकार में उन्हें 29 जून 2002 को उपप्रधानमंत्री पद का दायित्व भी सौंपा गया.