Lok sabha Election 2019 : क्‍या है चुनावी बांड, कैसे यह चुनाव में कालाधन का इस्‍तेमाल रोकेगा

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha Election 2019) में सभी लोग जानना चाहते हैं कि आखिर चुनावी बांड क्या है?

author-image
Deepak Pandey
एडिट
New Update
Lok sabha Election 2019 : क्‍या है चुनावी बांड, कैसे यह चुनाव में कालाधन का इस्‍तेमाल रोकेगा

फाइल फोटो

लोकसभा चुनाव 2019 (Lok sabha Election 2019) में सभी लोग जानना चाहते हैं कि आखिर चुनावी बांड क्या है? पहले तो आप ये जान जाएं कि इसका सही नाम इलेक्शन बांड नहीं बल्कि इलेक्टोरल बांड (electoral bond) है. केंद्र सरकार ने चुनावों में राजनीतिक दलों के चंदा जुटाने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए वित्त वर्ष 2017-18 के बजट के दौरान इसकी घोषणा की थी. घोषणा के मुताबिक, ये चुनावी बांड भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शाखाओं से मिलेगा और इसकी न्यूनतम कीमत एक हजार लेकर अधिकतम एक करोड़ रुपये होगी. ये चुनावी बॉन्ड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख रुपये, 10 लाख रुपये और एक करोड़ रुपये के मूल्य में उपलब्ध होंगे.

Advertisment

यह भी पढ़ें ः Lok sabha Election 2019 : मोदी की नीतियों के चलते भारत में बढ़ा आतंकवाद : राहुल गांधी

गौरतलब है कि भारत में चुनाव काफी मंहगे होते जा रहे हैं. इस दौरान खर्च किए जाने वाले पैसों में से सबसे ज्यादा कालाधन होता है. जबकि राजनीतिक पाटियां कहते हैं कि यह पैसा उन्हें अपने समर्थकों से चंदे के रूप में मिलता है. वर्ष 2017 के बजट से पहले यह नियम था कि बीस हजार रुपये से ऊपर का चंदा चेक से और उससे कम का बिना रसीद के लिए जाने का प्रावधान था. राजनीतिक पार्टियां इस प्रावधान का गलत इस्तेमाल करने लगी थीं. अर्थात उनका अधिकांश चंदा बीस हजार से कम का यानी बिना किसी रसीद के लिया हुआ होता था. जिसका कोई हिसाब नहीं देना होता था. इस व्यवस्था के चलते देश में कालाधन पैदा होता था और इस धन का इस्तेमाल चुनाव में होता था. कुछ राजनीतिक दलों ने तो यह दिखाया कि उन्हें 80-90 प्रतिशत चंदा 20 हजार रुपये से कम राशि के फुटकर दान के जरिये ही मिला था.

यह भी पढ़ें ः अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पिता के बारे में कह दी ये बड़ी बात

चुनाव आयोग की सिफारिश पर 2017-18 के बजट सत्र में केंद्र सरकार ने गुमनाम नकद दान की सीमा को घटाकर 2000 रुपये कर दिया था. अर्थात 2000 रुपये से अधिक का चंदा लेने पर राजनीतिक पार्टी को यह बताना होगा कि उसे किस स्रोत से चंदा मिला है. चुनावी बांड के चलते लोकसभा चुनाव 2019 में कालाधन का कम इस्तेमाल होगा. साथ ही पार्टियों को ये भी बताना होगा कि चंद्रा उन्हें किस व्यक्ति या स्त्रोत ले मिला है.

यह भी पढ़ें ः Lok sabha Election 2019 : '50 साल बनाम 50 महीना' पर बीजेपी स्टार प्रचारक करेंगे इतनी सभाएं

चुनावी बॉन्ड से संबंधित ये हैं रोचक तथ्य

  • भारत का कोई भी नागरिक या संस्था या कंपनी चुनावी चंदे के लिए बांड खरीद सकेंगे.
  • ये चुनावी बांड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, एक लाख, 10 लाख और एक करोड़ रुपए के मूल्य में उपलब्ध होंगे.
  • दानकर्ता चुनाव आयोग में रजिस्टर किसी उस पार्टी को ये दान दे सकते हैं, जिस पार्टी ने पिछले चुनावों में कुल वोटों का कम से कम 1% वोट हासिल किया है.
  • दानकर्ता को अपनी सारी जानकारी (केवाईसी) बैंक को देनी होगी.
  • चुनावी बांड खरीदने वालों के नाम गुप्त रखा जाएगा.
  • चुनावी बांड पर बैंक द्वारा कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा.
  • इन बांड को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चुनिन्दा शाखाओं से ही खरीदा जा सकेगा.
  • बैंक के पास इस बात की जानकारी होगी कि चुनावी बांड किसने खरीदा है.
  • बॉन्ड खरीदने वाले को उसका जिक्र अपनी बैलेंस शीट में भी करना होगा.
  • बांड को जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर महीने में खरीदा जा सकता है.
  • बांड खरीदे जाने के 15 दिन तक मान्य होंगे.
  • राजनीतिक दलों को चुनाव आयोग को भी बताना होगा कि उन्हें कितना धन चुनावी बांड से मिला है.

Source : News Nation Bureau

rahul gandhi congress General Election 2019 Lok Sabha seats Electoral Bond Meaning lok sabha election 2019 BJP Chunavi Bond electoral bonds Lok Sabha Election 2019 Schedule Date Lok Sabha PM Narendra Modi
      
Advertisment