पिछले ढाई महीने तक चले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2019) के नतीजे आने में अब चंद घंटे रह गए है. 23 मई यानी गुरुवार को वोटों की गिनती शुरू होगी और इसी के साथ यह तय हो जाएगा कि अबकी बार किसकी सरकार. अगर आपने कभी मतगणना नहीं देखी हो और स्ट्रांग रूम, काउंटिंग सेंटर, ऑब्जर्वर, पोस्टल बैलट जैसे शब्दों से ज्यादा परिचित नहीं हैं तो आइए समझे मतगणना की पूरी प्रक्रिया..
स्ट्रांग रूम वह जगह है जहां EVM रखे जाते हैं. यह काउंटिंग सेंटर यानी मतगणना केंद्र में ही बना होता है. मतगणना के दिन यहां धारा 144 लागू होती है. काउंटिंग सेंटर के पास 100 मीटर तक किसी भी वाहन के प्रवेश पर बैन होता है. काउंटिंग सेंटर में पर्यवेक्षक (जिला निर्वाचन अधिकारी) के अलावा कोई भी मोबाइल फोन नहीं ले जा सकता. काउंटिंग के दौरान मतगणना अधिकारी सेंटर से बाहर नहीं जा सकते.
इनके सामने खोला जाता है स्ट्रांग रूम
स्ट्रांग रूम को पुलिस अधीक्षक, ऑब्जर्वर, अभ्यर्थियों , पर्यवेक्षक, और राजनीतिक प्रतिनिधियों के साथ रिटर्निंग ऑफिसर और सहायक रिटर्निंग ऑफिसर की मौजूदगी में खोला जाता है. सीलिंग के दौरान भरे गए फॉर्म के आधार एक बार ईवीएम की जांच की जाती है कि कहीं कोई गड़बड़ी नहीं हुई. सबकुछ सही पाए जाने के बाद हीआगे की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है.
ये करते हैं वोटों की गिनती
Counting से पहले किसी भी अधिकारी-कर्मचारी को यह नहीं बताया जाता है कि उसे किस सेंटर पर भेजा जाएगा. काउंटिंग के दिन इन कर्मचारियों को सुबह 5 बजे काउंटिंग टेबल पर बैठना होता है. हर काउंटिंग टेबल पर काउंटिंग सुपरवाइजर, असिस्टेंट व माइक्रो पर्यवेक्षक होता है. इसके बाद इनके टेबल पर बैलेट यूनिट रखी जाती हैं. टेबल के चारों ओर जाली की घेराबंदी भी की जाती है.
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मतगणना में सरकारी विभागों में कार्यरत केंद्रीय और राज्य सरकार के कर्मचारी शामिल होते हैं. इन्हें एक हफ्ते पहले काउंटिंग सेंटर पर ट्रेनिंग दी जाती है. ट्रेनिंग में जिला निर्वाचन अधिकारी और चुनाव से संबंधित जिले के वे अधिकारी शामिल होते हैं जिनकी ड्यूटी चुनाव में लगी है. काउंटिंग से एक दिन पहले ट्रेंनिंग देने बाद उन्हें संबंधित संसदीय क्षेत्र में 24 घंटे के लिए भेज जाता है.
कब से शुरू होती है काउंटिंग
सुबह 7:45 से मतों की गणनाशुरू हो जाती है. सरकारी ड्यूटी में तैनात कर्मचारियों द्वारा पोस्टल बैलेट के जरिए डाले गए वोटों की गिनती पहले होती है. सेना के कर्मचारियों को भी पोस्टल बैलेट से मतदान का अधिकार है. पोस्टल बैलेट के लिए चार टेबल तय होते हैं. सभी राजनीतिक दलों या उम्मीदवारों के नुमाइंदे इस गणना के गवाह होते हैं. हरेक टेबल पर मतगणना कर्मचारी को हरेक राउंड के लिए पांच सौ से ज्यादा बैलेट पेपर नहीं दिए जाते हैं.
गिनती शुरू करने की क्या है नियमावली
पोस्टल बैलेट बाद इलेक्ट्रॉनिक ट्रांसफरेबल पोस्टल बैलेट (ETPBS) भी अगर आए हों तो उनकी गिनती होती है. इन पर QR कोड होता है. उसके जरिए गिनती होती है. आयोग की नियमावली के मुताबिक पोस्टल बैलेट और ईटीपीबीएस की गिनती पूरी होने के आधा घंटा बाद ईवीएम में दिए गए मतों की गिनती शुरू होती है. इसके लिए हरेक विधान सभा इलाके के हिसाब से सेंटर में 14 टेबल लगाए जाते हैं.
एक राउंड की गणना में लगता है इतना समय
प्रत्येक विधान सभा क्षेत्र के लिए एक साथ 14 ईवीएम की गिनती एक साथ होती है. अमूमन हर दौर में 30 से 45 मिनट का समय लगता है. मतगणना टेबल के चारों ओर पार्टियों या उम्मीदवारों के एजेंट पैनी निगाह रखे रहते हैं. उनके लिए भी मतगणना अधिकारी तय फार्म 17 सी का अंतिम हिस्सा भरवाते हैं. फॉर्म 17 सी का पहला हिस्सा मतदान के पोलिंग एजेंट की मौजूदगी और दस्तखत के साथ पोलिंग प्रक्रिया शुरू करते समय भरा जाता है. मतगणना के समय आखिरी हिस्सा भरा जाता है.
EVM और VVPAT की पर्चियों का मिलान
बैलेट यूनिट पर जितने उम्मीदवारों के नाम दर्ज होते हैं, उनके एक-एक प्रतिनिधि का नाम पता और अन्य जरूरी जानकारियां दर्ज कर अंदर प्रवेश करने दिया जाता है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से आयोग औचक आधार पर पांच मशीनों को पहले ही अलग कर लेता है, जिनकी ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों की गिनती का मिलान सबसे आखिर में होता है.