नौ बार के रामपुर से विधायक रहे समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव आजम खां पहली बार लोकसभा (Lok Sabha Election 2019) का चुनाव में ताल ठोकेंगे. सपा-बसपा गठबंधन के तहत रामपुर लोकसभा सीट से आजम खां मैदान में उतरेंगे. रविवार को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने उनके नाम की घोषणा भी कर दी.
पहली बार मिली थी हार
आजम खां अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में वह छात्रसंघ के महासचिव रहे. 1977 में रामपुर विधानसभा क्षेत्र से पहला चुनाव लड़े, हालांकि इसमें सफलता नहीं मिली. इसके बाद 1980 में रामपुर से विधायक बने. 1985 और 89 के चुनाव में भी सफल रहे. 1989 में जब प्रदेश में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सरकार बनी तो उसमें आजम खान को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया. इसके बाद 1991 और 1993 में हुए चुनाव में भी आजम खां विजयी हुए.
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1993 में बनी मुलायम सरकार में आजम खां को कैबिनेट मंत्री बने. इसके बाद 1996 में हुए चुनाव में वह हार गए . तब समाजवादी पार्टी ने उन्हें राज्यसभा भेजा. 2002 में भी वह विधायक चुने गए. 2003 में सपा की सरकार बनी तो वह संसदीय कार्य एवं नगर विकास समेत पांच विभागों के मंत्री बनाए गए. 2007 और 2012 में भी विधायक बने. अखिलेश यादव की सरकार में भी वह संसदीय कार्य, नगर विकास, अल्पसंख्यक कल्याण समेत आठ विभागो के मंत्री रहे. मोदी-योगी की लहर के बावजूद 2017 के चुनाव में भी रामपुर शहर से विधायक चुने गए. उनके बेटे अब्दुल्ला आजम स्वार टांडा विधानसभा सीट से विधायक हैं, जबकि उनकी पत्नी डॉक्टर तजीम फातमा राज्यसभा सदस्य हैं .
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हालांकि इससे पहले रामपुर में समाजवादी पार्टी प्रशासन पर माहौल खराब करने का आरोप लगाते हुए लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान कर चुकी है. आजम खां के बेटे अब्दुल्ला आजम ने खुद अखिलेश यादव से मुलाकात कर सारे प्रकरण की जानकारी दी थी. तब अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग को खत लिखा था. आयोग ने मुरादाबाद के कमिश्नर और हमले की जांच भी कराई है, लेकिन अभी तक कोई फैसला नहीं लिया गया है. उधर सपा मुखिया द्वारा आजम खां को प्रत्याशी घोषित कर दिए जाने के बाद सपाई अब चुनाव बहिष्कार के फैसले पर दोबारा विचार करेंगे.
Source : News Nation Bureau