बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने बुधवार को लालू प्रसाद यादव और चारा घोटाले को लेकर सनसनीखेज दावा किया. उन्होंने बताया, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने चारा घोटाले की जांच में मदद करने के एवज में नीतीश कुमार की सरकार को गिराने की पेशकश की थी. सुशील मोदी ने बताया, “जब झारखंड उच्च न्यायालय ने लालू यादव के पक्ष में फैसला दिया तो सीबीआई ने हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. इसके बाद लालू प्रसाद यादव ने प्रेम गुप्ता को दूत बनाकर वित्त मंत्री अरुण जेटली के पास भेजा था.
सुशील मोदी के अनुसार, प्रेम गुप्ता ने अरुण जेटली से कहा कि वे सीबीआई को सुप्रीम कोर्ट में अपील करने से रोकें. प्रेम गुप्ता ने अरुण जेटली को लालू प्रसाद यादव का वह संदेश भी बताया, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगर चारा घोटाले में उन्हें केंद्र की मदद मिल जाती है तो 24 घंटे में नीतीश कुमार का इलाज कर दूंगा.
सुशील कुमार मोदी ने खुलासा करते हुए बताया, “बाद में लालू प्रसाद यादव और प्रेम गुप्ता दोनों ने अरुण जेटली से मुलाकात की थी और नीतीश कुमार की सरकार को गिराने की पेशकश की थी. हालांकि अरुण जेटली ने साफ कर दिया था कि केंद्र सरकार सीबीआई के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करेगी, क्योंकि वह एक स्वायत्त संस्थान है.
प्रसाद को जिन तीन मामलों में दोषी ठहराया गया है, वे 900 करोड़ रुपये के चारा घोटाले से संबंधित हैं. यह मामला 1990 के दशक की शुरुआत में पशुपालन विभाग में कोषागार से धन की धोखाधड़ी से संबंधित था, जब झारखंड बिहार का हिस्सा हुआ करता था. बिहार में मुख्यमंत्री के रूप में तब जनता दल सत्ता में थी और लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री.
सुशील कुमार मोदी ने बताया, उच्च न्यायालय में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने जमानत देने के लिए बुढ़ापे और खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया था. यादव (71) ने कहा था कि वह मधुमेह, रक्तचाप और अन्य बीमारियों से पीड़ित थे और चारा घोटाले के एक मामले में उन्हें पहले ही जमानत मिल चुकी थी.
लालू प्रसाद यादव को देवघर, दुमका और झारखंड में स्थित चाईबासा कोषागार से धन की धोखाधड़ी के लिए दोषी ठहराया गया है. वह वर्तमान में डोरंडा कोषागार से संबंधित एक और चारा घोटाला मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं और कुछ महीनों से रांची के राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS) में इलाज कर रहे हैं.