उत्तर प्रदेश में क्षेत्रफल की दृष्टि से लोकसभा खीरी सबसे बड़ा जिला है. यहां की आबादी तकरीबन 40 लाख से अधिक है, जिसमें 21 लाख पुरुष,18 लाख से अधिक महिलाएं हैं. वहीं करीब 20 फीसदी मतदाता मुस्लिम समुदाय से आते हैं. खीरी शारदा, घाघरा, जैसी नदियों के साथ प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है, जिसे तराई के तौर पर भी पहचाना जाता है. प्रमुख तौर पर खीरी में गन्ने की खेती होती है. इसी वजह से प्रदेश की सबसे ज्यादा चीनी मिले भी यही हैं. इस लोकसभा चुनाव 2024 के चौथे चरण में यहां मतदान होना है, लिहाजा चलिए खीरी सीट की पूरी सियासत को समझते हैं...
ऐसा रहा है सियासी इतिहास
खीरी में पहली बार 1957 में लोकसभा चुनाव हुए थे, जिसमें सोशलिस्ट पार्टी ने जीत दर्ज की थी. फिर 1962 से 1971 तक कांग्रेस ने इसे अपने कब्जे में रखा. आपातकाल के बाद 1977 के चुनाव में कांग्रेस को कड़ी मात देते हुए भारतीय लोकदल यहां कब्जा जमाने में कामयाब हुआ.
फिर 1980, 1984, 1989 में कांग्रेस ने यहां जबरदस्त जीत दर्ज की थी. अगले ही साल 1990 में देशभर में राम मंदिर आंदोलन सुर्खियों में था, लिहाजा भारतीय जनता पार्टी ने इसका जमकर फायदा उठाया और 1991 और 1996 में खीरी पर सियासी कब्जा जमा लिया.
जब खीरी में एंट्री हुई थर्ड पार्टी
2 साल बाद ही भाजपा के हाथों से खीरी की सत्ता समाजवादी पार्टी ने छीन ली और जीत की हैट्रिक लगाते हुए 1998, 1999 और 2000 के चुनाव में SP ने जबरदस्त प्रदर्शन किया. हालांकि फिर 2009 के चुनाव में कांग्रेस तो, 2014 के चुनाव में मोदी लहर में भाजपा ने बाजी मारी.
2019 का जनादेश
लोकसभा चुनाव 2019 में खीरी सीट से बीजेपी प्रत्याशी अजय मिश्र टेनी ने 6,09,589 वोट के साथ जबरदस्त जीत हासिल की थी. जबकि सपा प्रत्याशी डॉ पूर्वी वर्मा 3,90,782 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर और कांग्रेस के जफर अली नकवी 92,155 वोट पाकर तीसरे स्थान पर थे. चौथे नंबर पर 11,857 वोटों के साथ सीपीई प्रत्याशी विपनेश शुक्ला रहे. बता दें कि, साल 2019 में खीरी लोकसभा सीट पर 64 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ था.
Source : News Nation Bureau