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लोकतंत्र के महायज्ञ की पहली आहुति 11 अप्रैल को पड़नी है, जिसमें अब बस कुछ घंटों का ही इंतजार बचा है. ऐसे में सत्ता पक्ष और विपक्ष के दावे-प्रतिदावों के बीच राजनीतिक पंडित अपने-अपने कयास लगा रहे हैं. हालांकि अंतिम परिणाम जनता ही तय करेगी, जिसका पता मतगणना के दिन यानी 23 मई को चलेगा. फिर भी आपके पसंदीदा न्यूज चैनल न्यूज नेशन (News Nation) ने जनता का रुख और उसकी कसौटी जानने की कोशिश की. कौन से मुद्दे उन्हें प्रभावित करते हैं, उन पर कौन सी पार्टी खरी उतरती है और उनके हिसाब से इस बार सत्ता किसके हाथों होगी जैसे प्रश्नों के साथ न्यूज नेशन बेहद वैज्ञानिक और विश्वसनीय तरीके से प्राप्त परिणामों को आपके सम्मुख पेश कर रहा है. जानते हैं जनता की कसौटी और उसके रुख को...
सबसे बड़ा मुद्दा
कांग्रेस भले ही राफेल-राफेल और अंबानी-अंबानी रटती रही, लेकिन आम जनता अपने जीवन से जुड़े मसलों को तवज्जो देती है. मसलन उसके लिए रोजगार महंगाई और इन पर नियंत्रण रखने वाला यानी पीएम पद का उम्मीदवार प्रथम तीन प्राथमिकताएं हैं. इस कसौटी पर रोजगार 22 %, महंगाई 17 % और पीएम पद का उम्मीदवार 11 % लोगों की प्राथमिकता रही. राफेल उनकी प्राथमिकता में सबसे निचली पायदान पर रहा. भ्रष्टाचार 9 फीसदी लोगों को प्रभावित करता है, तो सर्जिकल स्ट्राइक यानी पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की इच्छा 6 % लोग रखते हैं. आतंकवाद 5 % लोगों को प्रभावित करता है. बिजली-पानी-सड़क, नोटबंदी-जीएसटी, खेती किसानी के मुद्दे 4 फीसदी लोगों के लिए महत्वपूर्ण है. महिला सुरक्षा-कानून व्यवस्था और जातिगत बिखराव या 10 फीसदी आर्थिक आरक्षण 2 फीसदी लोगों के लिए विचारणीय है. राम मंदिर यानी अयोध्या से प्रभावित होने वाले लोग महज 2 फीसदी हैं. यही वजह है कि सांप्रदायिकता को कसौटी सिर्फ 1 फीसदी जनता ने ही माना. 3 % लोग इन मुद्दों को अपनी कसौटी नहीं बना सके.
लोकसभा चुनाव 2019 में वोट देते समय आपके लिए सबसे बड़ा मुद्दा क्या होगा ?
रोजगार-22
महंगाई 17
प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार 11
भ्रष्टाचार 9
पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब 6
आतंकवाद 5
बिजली-पानी-सड़क 4
नोटबंदी - जीएसटी 4
खेती-किसानी से जुड़े मुद्दे 4
महिला सुरक्षा / कानून व्यवस्था 3
एससी एसटी एक्ट 2
सामान्य वर्ग के लिए आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण 2
स्थानीय प्रत्याशी 2
राम मंदिर 2
राफेल विमान खरीद पर आरोप प्रत्यारोप 1
सांप्रदायिकता 1
अन्य 2
कह नहीं सकते 3
पीएम पद की दौड़ में मोदी राहुल से आगे
कई राजनीतिक पंडितों का दावा है कि यह लोकसभा चुनाव कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच ही होगा. कुछ लोग महागठबंधन के अस्तित्व में आने के बाद सामने आए अन्य चेहरों पर भी दांव लगाने में हिचके नहीं. हालांकि 48 फीसीद जनता प्रधानमंत्री पद पर मोदी को ही देखना चाहती है. राहुल गांधी को 29 फीसदी लोग पीएम बनते देखना चाहते हैं. मायावती और प्रियंका गांधी को पीएम पद पर 5-5 % लोग देखना चाहते हैं. अन्य दावेदारों के पैरोकार 6 फीसदी हैं, जबकि सात फीसदी अभी तक तय नहीं कर सके हैं कि अगला प्रधानमंत्री वे किसे देखना चाहेंगे.
भारत के अगले प्रधानमंत्री के लिए सबसे उपयुक्त नेता कौन है?
नरेन्द्र मोदी 48
राहुल गांधी 29
मायावती 5
प्रियंका गांधी 5
अन्य 6
कह नहीं सकते 7
मोदी सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं 49 फीसद
केंद्र सरकार के कामकाज से संतुष्ट होने की कसौटी ही किसी भी राजनीतिक पार्टी के लिए सत्ता में दोबारा आने का रास्ता तैयार करती है. बीजेपी नीत केंद्र सरकार इस मामले में 49 % लोगों की कसौटी पर खरी उतरी है. 38 फीसदी मानते हैं कि मोदी सरकार का कामकाज संतुष्टि देने वाला नहीं रहा. हालांकि 13 फीसदी लोग अभी हां और ना के बीट झूल रहे हैं.
क्या बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं ? कुल मिलाकर केंद्र सरकार का कामकाज
हां 49
नहीं 38
कह नहीं सकते 13
पाकिस्तान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया मुंहतोड़ जवाब
पुलवामा आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी केंद्रों को बर्बाद करने के लिए की गई सर्जिकल स्ट्राइक लोगों को रास आई है. 60 % जनता इसके लिए केंद्र सरकार के साथ हैं, जबकि 30 फीसदी विरोध में हैं. यहां भी 10 फीसदी लोग अभी तक तय नहीं कर पाए हैं कि सरकार पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने में सफल रही है या नहीं.
क्या मोदी सरकार पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने में सफल रही है ?
हां 60
नहीं 30
कह नहीं सकते 10
पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक का चुनाव पर असर होगा या नहीं
विपक्षी दलों ने सर्जिकल स्ट्राइक के तुरंत बाद ही बीजेपी सरकार पर उसके राजनीतिकरण का आरोप लगाया था, तो निर्वाचन आयोग ने भी सेना और उसके पराक्रम के बखान पर रोक लगाई है. हालांकि 50 फीसदी आबादी मानती है कि सर्जिकल स्ट्राइक का बीजेपी-एनडीए को फायदा होगा. हालांकि 18 फीसदी लोगों का मानना है कि पाकिस्तान में जाकर जैश के ठिकानों पर बमबारी से बीजेपी-एनडीए सरकार को नुकसान होगा. 15 % लोग इस मसले पर भी फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं.
पुलवामा हमले के बाद भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान में घुसकर जैश के आतंकी ठिकाने पर बमबारी की है । क्या इसका लोकसभा चुनाव 2019 पर असर होगा ?
हां , बीजेपी / एनडीए को फायदा होगा 50
हां , बीजेपी / एनडीए को नुकसान होगा 17
नहीं , चुनाव पर असर नहीं होगा 18
कह नहीं सकते 15
पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक का राजनीतिकरण हुआ या नहीं
जाहिर है बीजेपी यह कह कर अपनी पीठ थपथपा रही है कि उसके नेतृत्व ने सेना को उचित कदम उठाने की खुली छूट दी, तो कांग्रेस समेत अन्य विपक्ष इसके राजनीतिकरण पर केंद्र को कठघरे में खड़ा कर रहा है. हालांकि जनता की नजर में बीजेपी-एनडीए इसके लिए 40 फीसदी दोषी हैं. आश्चर्यजनक बात तो यह है कि कांग्रेस पर इस मसले पर राजनीति करने की बात 34 फीसदी जनता कर रही है. शेष में 7 अन्य पार्टियों को दोष दे रही हैं तो 19 फीसदी कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं.
बालाकोट एयरस्ट्राइक पर चुनावी लाभ के लिये राजनीति कौन सी पार्टी कर रही है ?
बीजेपी / एनडीए 40
कांग्रेस / यूपीए 34
अन्य पार्टियां 7
कह नहीं सकते 19
मोदी सरकार ने विकास पर दिया ध्यान
अयोध्या राम मंदिर मसला हो य़ा फिर विकास का, मोदी सरकार पर मिश्रित आरोप लगते रहे हैं. फिर भी 47 फीसदी जनता मानती है कि पीएम मोदी की सरकार विकास के लिए काम कर रही है. 35 फीसद मानते हैं कि केंद्र राजनीति पर ध्यान केंद्रित किए हुए है. 18 फीसदी इन दो विकल्पों में भी किसी का भी चयन नहीं कर पाए हैं.
मोदी सरकार का मुख्य ध्यान विकास पर है या राजनीति पर ?
विकास पर 47
राजनीति पर 35
कह नहीं सकते 18
गरीबों को सालाना 72 हजार के कांग्रेस के वादे में है दम या बेदम!
न्यूनतम आय योजना कांग्रेस घोषणापत्र में केंद्र में है. कुछ राजनीतिक पंडित भी इस गेम चेंजर मान रहे हैं. न्यूज नेशन के सर्वेक्षण में इसमें बहुत बारीक अंतर ही सामने आया है. 42 % को लग रहा है कि कांग्रेस को इसका फायदा होगा, तो 41 फीसदी मानते हैं कि कांग्रेस का यह वादा समुचित उत्साह जगाने में कामयाब नहीं रहा है. 17 फीसदी इस मसले पर भी अधर में झूल रहे हैं.
राहुल गांधी ने कहा है कि अगर उनकी सरकार आई तो देश के 5 करोड़ गरीब परिवारों को सालाना 72 हजार रुपये दिये जायेंगे । क्या इसका लोकसभा चुनाव 2019 पर असर होगा?
हां , कांग्रेस / यूपीए को फायदा होगा 42
नहीं , चुनाव पर असर नहीं होगा 41
कह नहीं सकते 17
राफेल निकला फुसफुसा पटाखा
राफेल पर भी कांग्रेस को बढ़त कुछ खास नहीं है क्योंकि उसके पक्ष में गई जनता की राय से उलच राय रखने वालों में ज्यादा अंतर नहीं है. राफेल पर 39 फीसीद जनता कांग्रेस अध्यक्ष के आरोपों में दम मानती है, तो 44 फीसदी उनके आरोपों को सिरे से नकार देती है. 17 फीसदी जनता तय नहीं कर सकी है कि उसे राफेल पर सरकार या विपक्ष का साथ देना चाहिए या नहीं.
क्या राफेल के मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने वाले राहुल गांधी के आरोप में दम है ?
हां 39
नहीं 44
कह नहीं सकते 17
राम मंदिर मुद्दा नहीं बन सका
यही हाल राम मंदिर मसले का रहा. हालांकि माना भी जा रहा था कि बदले दौर के बदले वोटर राम मंदिर पर आंख बंद कर वोटिंग नहीं करेंगे. यही सर्वे में भी सामने आया राम मंदिर 39 फीसद लोगों के लिए मुद्दा है, तो 43 % के लिए कतई मुद्दा नहीं है. 18 फीसदी यहां भी चुप्पी साध गए.
क्या लोकसभा चुनाव में वोट डालते समय अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण आपके लिये मुद्दा होगा ?
हां 39
नहीं 43
कह नहीं सकते 18
जीवन स्तर बदला है मोदी सरकार में
सर्वे के विभिन्न प्रश्नों के जवाब जानने के बाद और लोगों की राय समझने के बाद समझ में आता है कि मोदी सरकार के साढ़े चार साल में 41 फीसद लोग मानते हैं कि उनके जीवन स्तर में बदलाव आया है. 34 फीसद यथास्थिति मानने वाले हैं. सिर्फ 16 मानते हैं कि मोदी सरकार में उनका जीवन स्तर खराब हुआ है. जीवन स्तर पर मोदी सरकार के प्रभाव से अनजान रहने वाले लोगों का प्रतिशत 16 है.
पिछले 4.5 साल में कुल मिलाकर आपके जीवन स्तर में क्या बदलाव आया है ?
पहले से बेहतर 41
पहले जैसी ही 34
पहले से खराब 16
कह नहीं सकते 9
Source : News Nation Bureau