जानिए मध्य प्रदेश में तीसरे चरण की 8 सीटों पर कैसे हैं राजनीतिक समीकरण
आज हो रहे मतदान में 138 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा. 2014 में बीजेपी ने इनमें से सात सीटों पर कब्जा किया था.
नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव (Loksabha Elections) अपने अंतिम दौर में हैं. आज देश के छठे और मध्य प्रदेश की तीसरे चरण का मतदान हो रहा है. इस चरण में प्रदेश की 8 सीटों गुना, सागर, विदिशा, मुरैना, भिंड, ग्वालियर, राजगढ़, भोपाल में वोट डाले जा रहे हैं. मतदान सुबह 7 बजे से शुरू होकर शाम 6 बजे तक होगा. इस चरण की 8 सीटों पर 1 करोड़ 44 लाख मतदाता मताधिकार का प्रयोग करेंगे. आज हो रहे मतदान में 138 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा. 2014 में बीजेपी ने इनमें से सात सीटों पर कब्जा किया था. यहां हम आपको बताएंगे कि इन 8 सीटों पर क्या हैं राजनीतिक समीकरण
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भोपाल
लोकसभा चुनाव में भोपाल सीट मध्यप्रदेश की सबसे हाईप्रोफाइल सीट है और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया की निगाहों में हैं. यहां कांग्रेसी दिग्गज दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) और कट्टर हिंदुत्व छवि वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (Sadhvi Pragya Thakur) के बीच मुकाबला है. इस सीट पर 1989 के बाद से बीजेपी लगातार काबिज है. नाक की लड़ाई बने भोपाल का फैसला 19,56,936 मतदाताओं में करीब चार लाख मुस्लिम, साढ़े तीन लाख ब्राह्मण, ढाई लाख कायस्थ, दो लाख अनुसूचित जाति-जनजाति, सवा लाख क्षत्रिय, इतने ही सिन्धी मतदाता करेंगे.
ग्वालियर
ग्वालियर सीट पर भी बीजेपी-कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है. यहां बीजेपी ने मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का टिकट काटकर यहीं से मेयर विवेक नारायण शेजवलकर को मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने तीन बार से लगातार हार का सामना कर रहे अशोक सिंह को टिकट दिया है. 2014 की मोदी लहर के बावजूद बीजेपी यहां से महज 29600 मतों से जीत पाई थी. ऐसे में कांग्रेस (Congress) बड़ी चुनौती को फिर तैयार है.
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गुना
सिंधिया परिवार के लिए अपारजेय इस सीट पर मुकाबला कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया और बीजेपी के नए प्रत्याशी डॉ. केपी यादव के बीच है. इस सीट से कांग्रेस और सिंधिया परिवार के नुमाइंदे ही जीतते रहे हैं. यहां 1999 से कांग्रेस का कब्जा है. 2014 में कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया चौथी बार जीते. इनसे पहले माधवराव सिंधिया और भारतीय जनता पार्टी (BJP) की संस्थापक सदस्य विजयाराजे सिंधिया सांसद रहीं. पहले बीजेपी की विजयाराजे सिंधिया 1989 से 1999 तक सांसद रहीं. ऐसे में कांग्रेस का पलड़ा भारी है ऐसे में बीजेपी का नया प्रयोग उसके मतों का कितना प्रतिशत बढ़ाएगा, यही देखा जाएगा.
मुरैना
यह सीट पर मध्य प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीटों में से एक है. यहां सीधा मुकाबला बीजेपी प्रत्याशी केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और बीता विधानसभा चुनाव हारे कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत में है. बसपा भी ठीक-ठाक स्थिति में है जिससे गुर्जर जाति के करतार सिंह भड़ाना सामने हैं. इस सीट पर 7 बार बीजेपी, दो बार कांग्रेस, एक-एक बार जनसंघ, भारतीय लोकदल और निर्दलीय चुनाव जीते हैं. यहां बीजेपी अपना दबदबा बनाए रखने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है तो कांग्रेस ने भी बिसातें बिछा दी हैं. मुख्य मुकाबला इन्हीं दोनों के बीच है. इस बीच बसपा किसका समीकरण बिगाड़ेगी देखना दिलचस्प होगा.
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राजगढ़
यह सीट पर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के दबदबे वाली सीट मानी जाती है. जहां दो बार खुद दिग्गी राजा तो 5 बार उनके भाई लक्ष्मण सिंह सांसद रहे. पिछली बार यह सीट बीजेपी की झोली में थी. कांग्रेस ने पहली बार किसी महिला को उम्मीदवार बनाया है. वहीं बीजेपी ने वर्तमान सांसद रोडमल नागर पर ही दांव खेला है.
विदिशा
किसी समय यह सीट मध्य प्रदेश की सबसे हाईप्रोफाइल थी. अटलजी, सुषमा स्वराज, रामनाथ गोयनका, शिवराज सिंह, राघवजी जैसे दिग्गजों ने यहां प्रतिनिधित्व किया. लेकिन इस बार किसी हाईप्रोफाइल के नहीं लड़ने से यहां मुकाबला बेहद शांत है. नए व सीधे सरल स्वभाव के रमाकान्त भार्गव को बीजेपी का टिकट मिला. कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता पूर्व विधायक शैलेन्द्र पटेल को खड़ा किया है. इस संसदीय क्षेत्र की 6 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस तो 6 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है. ऐसे में राजनीतिक गोटियां भी बिछाई गई हैं. यकीनन विदिशा का फैसला रोचक होगा.
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भिंड
इस बार भिंड सीट पर कांग्रेस-बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है. कांग्रेस ने पिछले साल भारत बंद के दौरान ग्वालियर-चंबल में दलित बनाम सवर्ण से एकाएक सुर्खियों में आए युवा चेहरा देवाशीष जरारिया को उम्मीदवार बनाया है तो बीजेपी ने पूर्व ब्यूरोक्रेट और मौजूदा सांसद भागीरथ प्रसाद का टिकट काटकर मुरैना के दिमनी की पूर्व विधायक संध्या राय पर दांव खेला है. इतिहास में झांके तो 8 बार बीजेपी तो केवल 3 बार कांग्रेस यहां परचम लहरा सकी.
सागर
यहां मुकाबला बीजेपी-कांग्रेस के बीच दो दागी ठाकुरों में सीधा-सीधा है. बीजेपी ने दो बार के सांसद लक्ष्मीनारायण यादव की जगह नया चेहरा नगर निगम के अध्यक्ष रायबहादुर सिंह ठाकुर को, जबकि कांग्रेस ने प्रभुसिंह ठाकुर को मैदान में उतारा है. यहां 6 बार से बीजेपी जीत रही है. जातिगत समीकरण के लिहाज से ठाकुर और जैन समुदाय का वर्चस्व है.
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