रोचक तथ्‍य : करीब 65 साल में आधी सीटों पर आज तक नहीं चुनी गई एक भी महिला सांसद

वर्ष 1951 में पहली लोकसभा में 24 महिला सांसद थीं. वर्तमान लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 66 है.

वर्ष 1951 में पहली लोकसभा में 24 महिला सांसद थीं. वर्तमान लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 66 है.

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Drigraj Madheshia
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रोचक तथ्‍य : करीब 65 साल में आधी सीटों पर आज तक नहीं चुनी गई एक भी महिला सांसद

लोकसभा (Loksabha) में महिला सांसदों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है

वर्तमान में लोकसभा (Loksabha) में 12 फीसदी महिला सांसद (Woman MP) हैं. गौरतलब है कि 1951 में संसद में महिला सांसदों की संख्या 5 फीसदी थी. इन वर्षों में संसद में महिलाओं की संख्या, पूर्ण संख्या एवं प्रतिशत दोनों में वृद्धि हुई है. वर्ष 1951 में पहली लोकसभा (general election 1952)  में 24 महिला सांसद थीं. वर्तमान लोकसभा (16th Loksabha) में महिला सांसदों की संख्या 66 है. छह दशक एवं 16 लोकसभा चुनावों (Loksabha election) के दौरान, लोकसभा (Loksabha) में महिला सांसदों की संख्या में तीन गुना वृद्धि हुई है. 2009 में 58 महिला संसद (MP) पहुंची थी, जबकि 2004 में 45 और 1999 में 49 महिलाएं विजयी हुई थीं. लोकसभा में सबसे कम महिलाएं 1957 में दिखी थी, जब उनकी संख्या सिर्फ 22 थी.

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महिला सांसदों की संख्या में होती वृद्धि में उल्लेखनीय अपवाद 1977 में 6ठी लोकसभा, 1989 में 9 वीं लोकसभा और 2004 में 14 वीं लोकसभा के दौरान देखी गई है जहां महिलाओं सांसदों की संख्या में कमी हुई है. महिला सांसदों की मौजूदा औसत प्रतिनिधित्व (12.15 फीसदी) राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के प्रतिनिधियों के राष्ट्रीय औसत की तुलना में अधिक है, जोकि 9 फीसदी है. लोकसभा की 543 में से 269 यानी क़रीब आधी सीटों पर आज तक एक भी महिला सांसद नहीं चुनी गई है.

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इसमें गुजरात का गांधीनगर, हरियाणा का गुरुग्राम, कर्नाटक का मैसूर, मध्य प्रदेश का उज्जैन, तेलंगाना का हैदराबाद और बिहार का नालंदा इसमें शामिल हैं. उत्तर-पूर्व के राज्य जहां समाज में औरतों का दर्जा बेहतर माना जाता है, वहां भी राजनीति में उनका प्रतिनिधित्व न के बराबर है. अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम और त्रिपुरा राज्य से एक भी महिला सांसद नहीं चुनी गई है.महाराष्ट्र के पुणे, राजस्थान के अजमेर, तमिलनाडु के कन्याकुमारी, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर और केरल के तिरुवनंतपुरम जैसे शहरों में एक ही बार महिला सांसद चुनी गईं हैं.

ऐसी 130 सीटें हैं जहां से महिला सांसद सिर्फ़ एक ही बार चुनी गईं हैं, यानी किसी भी लोकसभा चुनाव क्षेत्र से महिला सांसदों का बार-बार चुना जाना कम ही देखा गया है. 1952 में पहली लोकसभा से 2014 में 16वीं लोकसभा तक के आंकड़ों को देखें तो सिर्फ़ 15 सीटें ऐसी हैं जहां महिला सांसद पांच बार से ज़्यादा बार चुनी गईं. इनमें भी ज़्यादातर या तो किसी राजनीतिक पार्टी का गढ़ रही हैं या फिर उनमें वर्चस्व वाली औरत चुनी गईं, जैसे मध्य प्रदेश के इंदौर से सुमित्रा महाजन या फिर पश्चिम बंगाल के पंसकुरा से वामपंथी नेता गीता मुखर्जी.

16वीं लोकसभा में 66 महिला उम्मीदवार जीत कर पहुंची हैं. 543 सदस्यीय लोकसभा में महिला उम्मीदवारों की संख्या 2009 के 58 से ज्यादा है. प्रमुख महिला उम्मीदवार जो संसद का रास्ता तय करने में कामयाब रहीं उनमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी (रायबरेली), भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज (विदिशा), मेनका गांधी (पीलीभीत), उमा भारती (झांसी),  किरन खेर (चंडीगढ़), पूनम महाजन (मुंबई उत्तर मध्य), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की सुप्रिया सुले (बारामती), समाजवादी पार्टी (सपा) नेता डिंपल यादव (कन्नौज) हैं.

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गौरतलब है इनमें सोनिया, सुषमा, उमा, मेनका, सुप्रिया, डिंपल पहले भी संसद चुनीं जा चुकी हैं, पूनम, किरन के लिए यह पहला कार्यकाल होगा. इस चुनाव में कई प्रमुख महिला उम्मीदवारों को हार का सामना करना पड़ा है, जिनमें कांग्रेस नेता अंबिका सोनी (अंबाला), कृष्णा तीरथ (उत्तर पश्चिम दिल्ली), गिरिजा व्यास (चित्तौड़गढ़), लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार (सासाराम), बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी (सारण), उनकी पुत्री मीसा भारती (पाटलिपुत्र) शामिल हैं. पश्चिम बंगाल से सबसे अधिक 13 महिला सांसद जीत कर संसद के निचले सदन पहुंचने में कामयाब रही, जबकि उत्तर प्रदेश से 11 महिलाओं को इस बार संसद जाने का मौका मिला है.

Source : News Nation Bureau

16th Loksabha Interesting Facts not A single woman elected to half of the mp seats in nearly 65 years
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