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लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश की फिरोजाबाद सीट पर इस बार मुकाबला काफी दिलचस्प होने जा रहा है. 23 अप्रैल को सुहाग की नगरी की जनता 6 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेगी. यह सीट इस बार इसलिए चर्चा में है क्योंकि यहां चाचा और भतीजे एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं. एक तरफ पिछले चुनाव में 5 लाख से ज्यादा वोट पाने वाले समाजवादी पार्टी के अक्षय यादव हैं तो दूसरी तरफ उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव. इसके अलावा भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के डॉक्टर चंद्रसेन जादौन भी मैदान में हैं और 2 उम्मीदवार बतौर निर्दलीय हैं.
उतार-चढ़ाव वाली सीट है फिरोजाबाद
फिरोजाबाद लोकसभा सीट के शुरुआती चुनावों के इतिहास के हिसाब से देखा जाए तो यह सीट कभी किसी एक पार्टी के हक में नहीं रही और जनता ने लगातार अपना मिजाज यहां पर बदला. इस सीट पर जाट और मुस्लिम वोटरों का वर्चस्व है. समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के गठबंधन बाद जाहिर है ये गठबंधन को इससे फायदा मिलेगा. वहीं सपा से अलग होने के बाद शिवपाल यादव के यहां से ताल ठोकने से मामल दिलचस्प हो गया है. वैसे तो कुल 6 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं, लेकिन मुख्य मुकाबला अक्षय और सपा से अलग होकर नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी बनाने वाले चाचा शिवपाल से है.
जनता ने लगातार बदला अपना मिजाज
इतिहास गवाह है फिरोजाबाद लोकसभा सीट कभी किसी एक पार्टी के हक में नहीं रही और जनता ने लगातार अपना मिजाज बदला. 1957 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए जिसमें निर्दलीय उम्मीदवार ने जीत दर्ज कराई थी. 1967 में सोशलिस्ट पार्टी, 1971 में कांग्रेस जीती. इसके बाद 1977 से लेकर 1989 तक हुए कुल चार चुनाव में भी कांग्रेस सिर्फ एक बार ही जीत सकी. रामलहर के बाद 1991 के बाद बीजेपी के प्रभु दयाल कठेरिया ने यहां से जीत की हैट्रिक लगाई.
1999 और 2004 में समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन व समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने भी 2009 से इस सीट पर चुनाव लड़ा और जीते भी. 2009 में हुए उपचुनाव में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर और 2014 में समाजवादी पार्टी नेता रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव ने यहां से बड़ी जीत हासिल की.
15 फीसदी से ज्यादा मुसलमान
2011 की जनसंख्या के आंकड़ों को मानें तो फिरोजाबाद क्षेत्र में 15 फीसदी से अधिक मुस्लिम जनसंख्या है, यानी मुस्लिम मतदाता यहां पर निर्णायक स्थिति में हैं. पिछले आम चुनाव में फिरोजाबाद में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर हुई थी, हालांकि समाजवादी पार्टी के अक्षय यादव ने बाजी मार ली थी. अक्षय यादव को 5 लाख से ज्यादा यानी 48.4% वोट मिले थे वहीं भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार को 38 फीसदी वोट मिले थे. पिछले चुनाव में यहां पर करीब 67 फीसदी मतदान हुआ था.
Source : DRIGRAJ MADHESHIA