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बुर्के की आड़ में फर्जी वोटिंग रोकने को चुनाव आयोग ने उठाए कदम, जानें क्या हैं ये

फर्जी मतदान की शिकायतों को दूर करने के लिए चुनाव आयोग ने बुर्के में मतदान करने आई महिलाओं की पहचान सुनिश्चित करने को कहा है.

Updated on: 12 May 2019, 08:31 AM

highlights

  • चुनाव आयोग ने बुर्के में मतदान करने आई महिलाओं की पहचान सुनिश्चित करने को कहा है.
  • पहले चरण में मुजफ्फरनगर से बीजेपी प्रत्याशी संजीव बालियान ने बुर्के की आड़ में फर्जी मतदान की शिकायत की थी.
  • जिन बूथ पर पर्दानशीं महिला वोटर अधिक हों, वहां महिला पुलिस कॉन्स्टेबल के अलावा एक महिला पुलिस अधिकारी भी तैनात.

नई दिल्ली.:

उत्तर प्रदेश में छठे चरण (6th Phase Loksabha Elections 2019) का मतदान शुरू हो चुका है. इसके पहले के चरणों में बुर्के की आड़ में फर्जी मतदान की शिकायतों को दूर करने के लिए चुनाव आयोग ने बुर्के में मतदान करने आई महिलाओं की पहचान सुनिश्चित करने को कहा है. इस बाबत सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को बकायदा पत्र भेजकर दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. उत्तर प्रदेश में 14 सीटों पर रविवार को वोटिंग हो रही है. शेष सीटों पर 19 मई को मतदान होगा. संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी रत्नेश सिंह की ओर से भेजे पत्र में केंद्रीय चुनाव आयोग (Election Commission) के 8 मई के निर्देश का हवाला दिया गया है.

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पत्र भेजकर दिए गए व्यापक दिशा-निर्देश
पत्र में भेजे गए निर्देशों के अनुसार रिटर्निंग अफसरों से बुर्का (Veil) पहनकर वोट डालने आईं महिलाओं की पहचान के निर्देशों का पालन करने को कहा गया है. दिशा-निर्देशों में साफतौर पर कहा गया है कि जिन बूथ पर पर्दानशीं महिला वोटर अधिक हों, वहां पर महिला पुलिस कॉन्स्टेबल के अलावा एक महिला पुलिस अधिकारी भी तैनात किया जाए. यह व्यवस्था पहचान सुनिश्चित करने के लिए की गई है.

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बीजेपी कैंडीडेट संजीव बालियान ने की थी शिकायत
गौरतलब है कि पहले चरण में मुजफ्फरनगर से बीजेपी प्रत्याशी संजीव बालियान ने बुर्के की आड़ में फर्जी मतदान की शिकायत की थी. उन्होंने निर्वाचन आयोग से मांग की थी कि महिला मतदाताओं को बुर्का पहनकर मतदान करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इससे मतदाताओं की पहचान में दिक्कत आती है और फर्जी मतदान की आशंका बढ़ जाती है.

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चुनाव आयोग ने सावधानी बरतने को भी कहा
बताते हैं कि इस तरह की शिकायतों को कम से कम छठे और सातवें चरण में रोकने के लिए ही चुनाव आयोग ने यह कदम उठाया है. हालांकि दिशा-निर्देशों में स्पष्ट कहा गया है कि इस क्रम में ध्यान रखा जाए कि किसी की भी धार्मिक भावनाएं आहत नहीं होने पाएं.