भारतीय जनता पार्टी ने निर्वाचन आयोग से योगी आदित्यनाथ पर 72 घंटे का लगा प्रतिबंध हटाने की मांग की है. आयोग ने 'उनके अली तो हमारे बजरंगबली' कहकर सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयास की शिकायत पर कार्रवाई की है. बीजेपी के स्टार प्रचारक योगी अभी चुनाव प्रचार व प्रेसवार्ता नहीं कर पाएंगे. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय ने कहा, "हमारी पार्टी एक अनुशासित राजनीतिक दल है और हम भारतीय निर्वाचन आयोग के हर निर्णय का सम्मान करते हैं. लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहीं भी किसी भी प्रकार से न तो कहीं धार्मिक भावनाओं को भड़काने का काम किया और न ही धार्मिक उन्माद फैलाने वाला बयान दिया. बल्कि योगी ने सिर्फ अपने आराध्य का नाम लिया है."
डॉ. पांडेय ने कहा कि दूसरी तरफ बसपा प्रमुख मायावती और सपा नेता आजम खां ने धार्मिक आधार पर वोट मांगा और वोटों के लिए धार्मिक उन्माद भी फैलाने का प्रयास किया. आजम खां ने तो सामान्य मानवीय मूल्यों की पराकाष्ठा पार करते हुए अभद्र व अमर्यादित भाषा का उपयोग किया. कार्रवाई तो ऐसे लोगों के खिलाफ होनी चाहिए, न कि मुख्यमंत्री योगी के खिलाफ.
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उन्होंने निर्वाचन आयोग से अपील की है कि मुख्यमंत्री योगी पर 72 घंटे का प्रतिबंध लगाए जाने के अपने निर्णय पर पुनर्विचार करते हुए प्रतिबंध को समाप्त करे. निर्वाचन आयोग ने मायावती पर भी 48 घंटे का प्रतिबंध लगाया है और आजम खां के खिलाफ मामला दर्ज हो चुका है.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी ने बीते दिनों चुनावी जनसभाओं में विपक्षी दलों पर तीखे शब्दों का प्रयोग करते हुए हमला बोला था. उन्होंने 'अली-बजरंगबली' वाला बयान देने के अलावा भारत की सेना को 'मोदीजी की सेना' कहा था. इसका संज्ञान लेते हुए निर्वाचन आयोग ने सोमवार को योगी पर जनसभा या प्रेसवार्ता करने पर 16 अप्रैल की सुबह 6 बजे से 72 घंटे के लिए प्रतिबंध लगा दिया है.
Source : News Nation Bureau