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कांग्रेस के असमंजस की स्थिति अब आम आदमी पार्टी को भी नागवार गुजर रही

भाजपा जहां अपनी मौजूदा सीटो पर सर्वे कर रही है तो वहीं कांग्रेस-आप गठबंधन के फेर में फंसी है.

Updated on: 19 Mar 2019, 09:26 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली में मौसम का पारा अभी ठंडा है लेकिन राजनीति का पारा अब चढ़ने लगा है. भाजपा जहां अपनी मौजूदा सीटो पर सर्वे कर रही है तो वहीं कांग्रेस-आप गठबंधन के फेर में फंसी है. लेकिन हैरानी की बात ये है कि दिल्ली की सत्ता में अर्श से फर्श पर पहुंची कांग्रेस के तेवर में कोई कमींनहीं है. चुनाव से पहले तक क्षेत्रीय पार्टीयों के साथ मंच पर हाथ में हाथ डाले खड़ी कांग्रेस ने ना तो बंगाल में ना उत्तरप्रदेश में और ना ही दिल्ली में इन दलों को कोई अहमियत दी.

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हैरान करने वाली बात है कि दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी ने तमाम विरोध के बावजूद हाथ आगे बढ़ाने में कोई हिचक नहीं दिखाई. लेकिन कांग्रेस की दिल्ली इकाई ने झाड़ू को ऐसे झटका की अब तक हाथ और झाड़ू मिल नहीं पाए. शीला दीक्षित समेत तमाम दिल्ली के नेताओ ने इस गठबंधन का जमकर विरोध किया. यहां तक कि सभी ने मिलकर राहुल गांधी और सोनिया गांधी को पत्र तक लिख दिया.

कांग्रेस में गठबंधन की मुश्किलें बाहर से ज्यादा अंदर उलझी नज़र आती है जहां दिल्ली इकाई विरोध में है तो आलाकमान का रुख गठबंधन को लेकर नरम दिख रहा है पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन और दिल्ली प्रभारी पी.सी.चाको गठबंधन के हक़ में खड़े है और हाईकमान को भी गठबंधन के लिए मनाने में लगे है चाको साहब तो अपने रिकार्डेड ऑडियो में कार्यकर्ताओ से रायशुमारी करने में जुटे है. इन नेताओं का तो यहां तक मानना है कि दिल्ली में कांग्रेस -आप ना मिले तो परिणाम भाजपा के हक़ में जायेगा.

कांग्रेस के असमंजस की स्थिति अब आम आदमी पार्टी को भी नागवार गुज़र रही है अभी तक बार बार गठबंधन की गुहार लगाने वाली आप के तेवर इतने कड़े हो गए हैं कि पार्टी नेताओं ने गठबंधन की बात आगे बढ़ाने से ही मना कर दिया है. पार्टी को लगता है कि चुनावो को लेकर कांग्रेस गंभीर नहीं है और भाजपा की बी टीम बन कर काम कर रही है. यही वजह है कि दिल्ली संयोजक गोपाल राय ने गठबंधन की खबर पर विराम लगा दिया.

गौरतलब है कि दिल्ली में 12 मई को चुनाव है और गठबंधन की कोई मंज़िल नज़र आ नही रही ऐसे में 2014 के लोकसभा चुनावों में तीसरे नंबर पर रही कांग्रेस की राह 2019 में आसान नज़र नही आती.