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मोदी और शाह के खिलाफ चुनाव आयोग के कार्रवाई नहीं करने पर कोर्ट पहुंची कांग्रेस

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ शिकायतों पर कथित निष्क्रियता बरतने को लेकर चुनाव आयोग के खिलाफ सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है

Updated on: 29 Apr 2019, 06:55 PM

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कांग्रेस की उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए मंजूरी दे दी, जिसमें दावा किया गया है कि चुनाव आयोग ने मौजूदा लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ कथित रूप से 'घृणा फैलाने वालों बयानों' और 'राजनीतिक उद्देश्यों' के लिए सशस्त्र बलों का 'इस्तेमाल करने के' खिलाफ की गई शिकायत पर कार्रवाई करने से इनकार कर दिया. अदालत मंगलवार को मामले की सुनवाई करेगी. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि चुनाव आयोग की चुप्पी अप्रत्यक्ष रूप से चुनावी आचार संहिता के उल्लंघन का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन करती है.

वरिष्ठ वकील ए.एम. सिंघवी और वकील सुनिल फर्नाडीस ने मामले की तत्काल सुनवाई करने का आग्रह किया, जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को याचिका की सुनवाई करने पर सहमति जता दी.

146 पन्नों की यह याचिका असम के सिलचर से लोकसभा उम्मीदवार सुष्मिता देव द्वारा दाखिल की गई है.

याचिका में, कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि आचार संहिता में वर्णित नियम और दिशानिर्देश प्रधानमंत्री और उनके पार्टी अध्यक्ष के लिए नहीं हैं, बल्कि यह केवल अन्य उम्मीदवारों पर ही लागू होते हैं.

याचिका के अनुसार, "यह सार्वजनिक है कि वे घृणास्पद बयान देने में संलिप्त रहे हैं और लगातार अपने राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भाषण में सशस्त्र बलों का इस्तेमाल करते रहे हैं, जबकि चुनाव आयोग द्वारा स्पष्ट तौर पर इसे बोलने पर रोक लगाई गई थी."

याचिका में कहा गया है कि निर्णय लेने में तीन हफ्तों से ज्यादा की देरी या निर्णय का अभाव वास्तव में खुद में निर्णय है.

कांग्रेस ने कहा कि चुनाव आयोग के संज्ञान में अबतक आचार संहिता के उल्लंघन के 40 अभिवेदन लाए गए हैं, लेकिन आयोग ने अबतक कोई कार्रवाई नहीं की है.

कांग्रेस ने कहा, "यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि उत्तरदाताओं द्वारा बयानों पर निष्क्रियता बयान का समर्थन करना और उन्हें क्लीन चिट देना है, जिनका बयान और कार्य प्रथमदृष्ट्या आरपी अधिनिययम और आचार संहिता समेत चुनाव नियम 1961 के प्रावधानों का उल्लंघन है."

याचिका में कहा गया है कि 10 मार्च से, जब चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की गई थी, मोदी और शाह ने जनप्रतिनिधित्व कानून और चुनावी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया है.

याचिका में कहा गया है कि आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए हाल में मायावती पर अस्थायी प्रतिबंध और उसी समय मोदी और शाह पर कार्रवाई न किया जाना, उन्हें राजनीतिक फायदा पहुंचाने के लिए एक मंच मुहैया कराना है.

याचिकाकर्ता ने गुजरात में मतदान के दिन 23 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली का संदर्भ दिया.

याचिकाकर्ता ने कहा, "साफ-सुथरे और निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए संवैधानिक निकाय होने के बावजूद, चुनाव आयोग संविधान के प्रावधानों और कानूनों व नियमों का उल्लंघन करने वालों के हाथों का एक उपकरण बन गया है."

याचिका में प्रधानमंत्री के कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर वायनाड से चुनाव लड़ने पर टिप्पणी करने का संदर्भ दिया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह वहां से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां अल्पसंख्यक बहुमत में हैं.

याचिका में यह भी कहा गया है कि मोदी ने कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमलों में शहीद सीआरपीएफ जवानों के नाम पर वोट भी मांगे थे.