उत्तर प्रदेश के रामपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में इन दिनों बॉलीवुड की 'रुलानेवाली कहानी' चल रही है और वह भी महानाटक, भावुकता, आक्रामकता व थोड़ी कॉमेडी के साथ. प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां यहां समाजवादी पार्टी-बहुजन समाज पार्टी गठबंधन के उम्मीदवार हैं. उन्हें अभिनेत्री से राजनेता बनीं जया प्रदा से मुकाबला कर अपनी सीट बचानी है. जया भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार हैं.
यहां एक चुनावी रैली में आजम खां ने कहा, 'मैंने डांस स्कूल नहीं खोले हैं, खोले हैं तो असली स्कूल और यूनिवर्सिटी खोले हैं.' उनकी यह टिप्पणी जाहिर तौर पर जया प्रदा के लिए थी, जो नृत्य कौशल में निपुण अभिनेत्री के लिए थी.
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उधर, जया प्रदा एक जनसभा में रो पड़ीं. रुंधी आवाज में उन्होंने कहा, 'मैं अब रोना नहीं चाहती. मैं हंसना चाहती हूं और शांति चाहती हूं. मैं यहां आपका आशीर्वाद लेने आई हूं.'
जया के फिल्म निर्माता भाई राजा बाबू भी बहन की जीत के लिए प्रचार कर रहे हैं. उन्होंने एक दूसरी जनसभा में कहा, 'मेरी बहन ने रामपुर को चमका दिया और वो राक्षस ने जया जी को भगा दिया.' यह कहते हुए भाई भी सुबकने लगे, शायद सहानुभूति पाने के लिए.
उसी समय भाजपा कार्यकर्ताओं ने नारा लगाना शुरू किया, 'जया तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं.'
आजम खां और जया प्रदा के बीच चल रही लड़ाई की चर्चा क्षेत्र में समानुपातिक रूप से चल रही है.
आज से 15 साल पहले आजम खां कांग्रेस की नेता बेगम नूर बानो के परिवार की राजनीतिक प्रभुता को चुनौती देने के लिए जया प्रदा को रामपुर लाए थे.
वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में जया प्रदा यहां से चुनाव लड़ीं और नूर बानो को हराया था. अगले पांच साल के दौरान आजम खां से उनके रिश्ते में खटास आ गई और वह अमर सिंह के खेमे में चली गईं.
वर्ष 2009 के आम चुनाव में आजम खां को जया प्रदा से रिश्ते खराब कर लेने के मुद्दे को लेकर सपा से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया. जया यहां से चुनाव जीतीं.
वर्ष 2014 आते-आते अमर सिंह और जया प्रदा को सपा छोड़नी पड़ी. दोनों हार गए. तब तक आजम खां की सपा में वापसी हो चुकी थी.
वर्ष 2019 में आजम खां अपने चुनावी भाषणों में सावधानी बरत रहे हैं. वह जया प्रदा का नाम नहीं ले रहे हैं, मगर स्पष्ट रूप से कटाक्ष उन्हीं पर कर रहे हैं और लोग भी बड़ी उत्सुकता से उनकी बातें सुन रहे हैं.
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इन दिनों उनके दो बयान चर्चा में हैं, 'बूढ़े चूहों की मूंछ निकल जाए तो वो शहर का कप्तान नहीं हो जाता और 'जाको राखे साइयां मार सके ना कोई.'
कुल मिलाकर इस चुनावी मौसम में रामपुर की चुनावी रैलियों में लोगों को नाटक-नौटंकी का मजा भी मिल रहा है.
इस निर्वाचन क्षेत्र में मतदान तीसरे चरण में 23 अप्रैल को होगा.
Source : IANS