'नीरज चोपड़ा क्लासिक 2025' में एंडरसन पीटर्स, जूलियस येगो का दिखेगा जलवा
kerala Lottery Result: केरल लॉटरी के पुरस्कारों का ऐलान, एक करोड़ रुपये की प्राइज मनी जीतें
शिवाजी महाराज ने 'हिंदवी स्वराज' के आधार पर अपने राज्य को मजबूत बनाया : ज्योतिरादित्य सिंधिया
फ्रेंच ओपन : लोरेंजो मुसेट्टी की इंजरी ने अल्काराज को दिलाया फाइनल का टिकट
झुग्गी-झोपड़ी डेमोलीशन ड्राइव को लेकर अफवाह फैलाने वालों पर FIR दर्ज, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सख्त चेतावनी
कांग्रेस शासित राज्यों की तुलना में बिहार में अपराध का ग्राफ कम : मनन कुमार मिश्रा
'लाडली बहन योजना' कभी बंद नहीं होगी : एकनाथ शिंदे
RCB के स्टार खिलाड़ी विराट कोहली के खिलाफ दर्ज हुई शिकायत, बेंगलुरु भगदड़ मामले में पुलिस करेगी जांच
Egg Freezing क्या है? जानिए इसे करवाने की सही उम्र क्या है

बिहार: बांका में निर्दलीय उतरी पुतुल सिंह ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला

लोकसभा के चुनावी महाभारत में बांका लोकसभा सीट काफी महत्वपूर्ण हो गया है. बिहार में अन्य क्षेत्रों से अलग राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और महागठबंधन के बीच सीधे मुकाबले को निर्दलीय उम्मीदवार पुतुल सिंह ने त्रिकोणीय बना दिया है

author-image
kunal kaushal
एडिट
New Update
बिहार: बांका में निर्दलीय उतरी पुतुल सिंह ने बनाया त्रिकोणीय मुकाबला

पुतुल सिंह (फाइल फोटो)

लोकसभा के चुनावी महाभारत में बांका लोकसभा सीट काफी महत्वपूर्ण हो गया है. बिहार में अन्य क्षेत्रों से अलग राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) और महागठबंधन के बीच सीधे मुकाबले को निर्दलीय उम्मीदवार पुतुल सिंह ने त्रिकोणीय बना दिया है. पुतुल कुमारी सिंह भी अपनी निशानेबाज बेटी श्रेयसी की मदद से जीत के लक्ष्य पर निशाना लगाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही हैं. समाजवादियों के गढ़ माने जाने वाले इस लोकसभा क्षेत्र से कई दिग्गज नेता चुनाव लड़ चुके हैं. यहां से समाजवादी नेता मधु लिमये, जार्ज फर्नाडीस, पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह और उनकी पत्नी पुतुल कुमारी सिंह भाग्य आजमा चुके हैं. इस चुनाव में इस प्रतिष्ठित सीट के लिए मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है.

Advertisment

बांका लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला राजग की ओर से चुनाव मैदान में उतरे जनता दल (युनाइटेड) के गिरिधारी यादव और महागठबंधन के प्रत्याशी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता जय प्रकाश नारायण यादव के बीच माना जा रहा है, लेकिन इस मुकाबले को भाजपा की पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष पुतुल कुमारी सिंह ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में आकर त्रिकोणीय बना दिया है.

पुतुल कुमारी को विजयी बनाने के लिए उनकी पुत्री अंतर्राष्ट्रीय शूटर श्रेयसी गांव-कस्बों की गलियों में पसीना बहा रही हैं. हालांकि भाजपा ने पुतुल पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है.

वर्ष 2014 के चुनाव में राजद प्रत्याशी जयप्रकाश नारायण यादव ने पुतुल को हराया था. उस चुनाव में जयप्रकाश को जहां 2,85150 मत प्राप्त हुए थे, वहीं पुतुल को 2,75006 मतों से संतोष करना पड़ा था.

इस चुनाव में बांका लोकसभा क्षेत्र जद (यू) के हिस्से में चली गई और जद (यू) ने यहां से गिरिधारी यादव को प्रत्याशी बनाया. इससे नाराज दिवंगत दिग्विजय सिंह की पत्नी पुतुल ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ने का निर्णय लिया.

शूटिंग रेंज छोड़कर अपनी मां के प्रचार में प्रतिदिन 20 से 25 गांवों का दौरा कर रहीं श्रेयसी कहती हैं, "हमारी लड़ाई किसी पार्टी या व्यक्ति से नहीं है. हमें क्षेत्र के रुके पड़े विकास कार्यो को आगे बढ़ाने के लिए जीतना है."

श्रेयसी प्रचार के लिए गांव-गांव तो जा ही रही हैं, रोड शो भी कर रही हैं. वे कहती हैं, "युवाओं और महिलाओं का पूरा समर्थन मिल रहा है. लोग हमारी बातें सुन रहे है."

उन्होंने कहा कि भाजपा के कार्यकर्ता भी उनके साथ हैं. जद (यू) के खाते में यह सीट जाने से वे भी छला हुआ महसूस कर रहे हैं. श्रेयसी नरेंद्र मोदी को ही दोबारा प्रधानमंत्री देखना चाहती हैं.

बांका की राजनीति पर नजदीकी नजर रखने वाले पूर्व प्रखंड शिक्षा अधिकारी नवल किशोर सिंह कहते हैं कि बांका की इस चुनाव में लड़ाई किसी के लिए आसान नहीं है. उन्होंने कहा कि 2014 की मोदी लहर में भी बांका से राजद का प्रत्याशी विजयी हुआ था. इस चुनाव में राजग के अधिकृत प्रत्याशी गिरिधारी यादव को पुतुल कुमारी सिंह के विरोध का भी सामना करना पड़ रहा है.

उन्होंने हालांकि यह भी कहा, "राजद का यहां अच्छा वोट बैंक है, लेकिन नीतीश कुमार सरकार के खिलाफ कोई सत्ता विरोधी लहर नहीं दिख रही है. इसके अलावे बिहार में नीतीश के राजग में शामिल होने से भी चुनावी समीकरण जरूर बदले हैं."

बांका संसदीय क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सुल्तानगंज, अमरपुर, धोरैया, बांका, कटोरिया और बेलहर विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से चार पर जद (यू) का, जबकि एक पर भाजपा और एक पर राजद का कब्जा है.

चार विधानसभा क्षेत्र पर जद (यू) की पकड़ को देखते हुए यहां से इसके उम्मीदवार की राह कठिन नहीं लगती, लेकिन पुतुल अगर अपने पुराने राजपूत-ब्राह्मण वोटबैंक को फिर से एकजुट करने में सफल हो जाती हैं तो इसका खामियाजा राजग उम्मीदवार गिरिधारी यादव को उठाना पड़ सकता है और तब महागठबंधन उम्मीदवार जयप्रकाश नारायण यादव की राह आसान हो जाएगी.

वैसे, बांका के वरिष्ठ पत्रकार नागेंद्र द्विवेदी कहते हैं, "गिरिधारी अगर यादवों की वोट पर सेंध लगाने में सफल हो जाते हैं और पुतुल भी अपनी पुराने वोट बैंक को एकजुट करने में सफल हो जाती हैं, तो इसका खामियाजा राजद के उम्मीदवार को चुकाना पड़ सकता है और पुतुल अपनी बेटी के सहारे इस सीट पर एक बार फिर सटीक 'निशाना' लगाने में सफल हो सकती हैं."

बहरहाल, इस क्षेत्र में दूसरे चरण के तहत 18 अप्रैल को मतदान होना है और कौन उम्मीदवार अपनी रणनीति में कितना सफल हो पाता है, यह तो 23 मई को मतगणना के दिन ही पता चल सकेगा.

Source : IANS

loksabaha election 2019 bihar loksabha election
      
Advertisment