लोकसभा चुनाव में असम के धुबरी क्षेत्र से कांग्रेस द्वारा पूर्व विधायक अबु ताहिर बेपारी को मैदान में उतारे जाने से मौजूदा सांसद और ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल के लिए मुस्लिम बहुल क्षेत्र में जीत की राह कठिन हो सकती है. कांग्रेस विधायक रहे बेपारी 2015 में कांग्रेस मंत्री हिमंत बिस्व सरमा के पार्टी छोड़ने के बाद बीजेपी में शामिल हो गए थे. असम के धुबरी जिले में भारत-बांग्लादेश सीमा के समीप गोलकगंज के प्रसिद्ध अल्पसंख्यक नेता बेपारी धार्मिक अल्पसंख्यकों के बीच काफी लोकप्रिय हैं. 2016 के विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा टिकट नहीं दिए जाने के बाद वह फिर से कांग्रेस में शामिल हो गए.
दूसरी तरफ, परफ्यूम ट्रेडर बदरुद्दीन अजमल द्वारा गठित एआईयूडीएफ वर्ष 2011 में 18 विधानसभा सीटें जीतने के बाद राज्य की मुख्य विपक्षी पार्टी बन गई. पार्टी ने 2014 लोकसभा चुनाव में तीन सीटें जीतकर अपनी जड़ें और मजबूत कर लीं.
पिछले साल पंचायत चुनाव के नतीजे हालांकि पार्टी के लिए काफी निराशाजनक रहे. एआईयूडीएफ 2018 पंचायत चुनाव में जिला पंचायत की मात्र 26 सीटों पर कब्जा करने में कामयाब रही, जबकि 2013 में उसने 76 सीटें अपने नाम की थी. पार्टी को तीर चरणों में हुए पंचायत चुनावों में 65 फीसदी से ज्यादा का नुकसान हुआ.
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धुबरी जिले के जालेश्वर इलाके के एक शिक्षक अबुल हुसैन ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, "धुबरी के लोग तंग आ चुके हैं, क्योंकि अजमल ने संसदीय क्षेत्र के लिए कुछ नहीं किया. अजमल दो बार यहां से सांसद निर्वाचित हुए हैं. यहां न तो सड़के हैं और न ही कोई विकास हुआ. हम इस बार अजमल को वोट क्यों दें?"
अजमल और 2014 में बरपेटा लोकसभा सीट से जीत दर्ज करने वाले उनके भाई सिराजुद्दीन अजमल इस बार सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रहे हैं.
अजमल ने हाल ही में कहा था कि उनकी पार्टी केवल तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी, ताकि कांग्रेस और एआईयूडीएफ के बीच धर्मनिरपेक्ष वोटों के विभाजन से बीजेपी को मदद न मिल सके.
धुबरी लोकसभा सीट पर 23 अप्रैल को मतदान होना है. अजमल धुबरी से तीसरी बार सांसद बनने का सपना संजोए हुए हैं वहीं पार्टी ने करीमगंज से राधेश्याम बिस्वास को फिर से चुनाव मैदान में उतारा है. बरपेटा से एआईयूडीएफ ने सिराजुद्दीन अजमल का टिकट काटकर हफीज रफीकुल इस्लाम को टिकट दिया है.
Source : IANS