विपक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा सरकार बनाने से रोकने के लिए हरसंभव तरीका अपना रहा है. सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोबारा सरकार बनाने से रोकने के लिए राष्ट्रपति से मिलने की योजना बना रहा है. विपक्षी नेता राष्ट्रपति से अनुरोध करेंगे कि खण्डित जनादेश मिलने की स्थिति में वे सबसे बड़े दल (Single Largest Party) को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित न करें.
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NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि ईवीएम और वीवीपैट मामले में सुप्रीम कोर्ट से मात खाने के बाद 21 विपक्षी दल एक चिट्ठी पर दस्तखत करने का मन बना रहे हैं. योजना यह है कि एक बार परिणाम आ जाए तो वैकल्पिक सरकार के लिए राष्ट्रपति को दलों के समर्थन की चिट्ठी देने को वे तैयार रहेंगे.
विपक्ष को इस बात का डर है कि गोवा, कर्नाटक और मणिपुर की तरह राष्ट्रपति बीजेपी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित न कर दें. विपक्षी दलों को डर है कि एक बार सरकार बन जाने के बाद विपक्षी दलों की एकता को बरकरार रखना मुश्किल होगा. बता दें कि गोवा, कर्नाटक और मणिपुर में बहुमत न मिलने के बाद भी बीजेपी ने सरकार बना लिया था और कांग्रेस देखती रह गई थी.
बताया जा रहा है कि यह असामान्य कदम इस वजह से उठाया जा रहा है ताकि राष्ट्रपति किसी बड़े दल को सरकार बनाने का मौका न दें, ताकि क्षेत्रीय दलों में फूट न पड़े. 543 सीटों वाली लोकसभा में सरकार बनाने के लिए 272 सीटों की जरूरत है.
कर्नाटक में चुनाव के बाद कांग्रेस ने एचडी कुमारस्वामी की जनता दल सेक्युलर के साथ गठबंधन किया था. अंतिम समय तक राज्य भाजपा प्रमुख बीएस येदियुरप्पा ने जोर देकर कहा था कि उनकी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाना चाहिए और यह विधानसभा के फर्श पर बहुमत साबित करेगी. मगर बाद में भाजपा द्वारा विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोपों के बीच पहल को रोक दिया गया.
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साल 1998 में केआर नारायणन ने सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने से पहले अटल बिहारी वाजयेपी से दलों का समर्थन पत्र मांगा था. उस वक्त बीजेपी के 178 सीटें थीं और गठबंधन के पास 252 सीटें थीं. यह सरकार 20 महीने बाद 1 वोट के चलते गिर गई थी.
साल 2014 के चुनाव में बीजेपी ने 282 सीटें हासिल की थीं. बीजेपी नेतृत्व वाली NDA के पास लोकसभा में 336 सीटें थीं. बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए छठें चरण का मतदान 12 मई को और सातवें चरण का मतदान 19 मई को होगा. 23 मई को लोकसभा चुनाव के परिणाम आएंगे.
HIGHLIGHTS
- सबसे बड़े दल को आमंत्रित न करने का अनुरोध करेंगे
- ईवीएम-वीवीपैट पर मात खाने के बाद विपक्षी दलों का दूसरा पैंतरा
- क्षेत्रीय दलों में फुट न पड़े, इसके लिए विपक्षी दलों की कवायद
Source : News Nation Bureau