पूर्णिया में पप्पू यादव की जीत, भावुक अंदाज में जताया जनता का आभार
इस समय देशभर में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के लिए वोटों की गिनती पूरी हो चुकी है. वहीं, बिहार की पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव ने जीत दर्ज की है. इस सीट पर उनकी मेहनत रंग लाई है.
इस समय देशभर में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के लिए वोटों की गिनती पूरी हो चुकी है. वहीं, बिहार की पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव ने जीत दर्ज की है. इस सीट पर उनकी मेहनत रंग लाई है.
बिहार लोकसभा परिणाम 2024( Photo Credit : Newsstate Bihar Jharkhand)
Purnia Lok Sabha Result 2024: इस समय देशभर में लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों के लिए वोटों की गिनती पूरी हो चुकी है. वहीं, बिहार की पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव ने जीत दर्ज की है. इस सीट पर उनकी मेहनत रंग लाई है, यहां कई घंटों तक कांटे की टक्कर चली लेकिन अंत में निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव ने जीत हासिल की. इस सीट पर राजद की बीमा भारती मैदान में थीं. इसके अलावा एनडीए की ओर से जदयू के संतोष कुमार कुशवाहा अपनी किस्मत आजमा रहे थे.
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आपको बता दें कि जीत के बाद पप्पू यादव ने मीडिया के सामने आकर बोलते समय भावुक हो गए. पप्पू यादव ने कहा, ''हम एक बेटा और मां दोनों की भूमिका निभाएंगे. हम पूर्णिया की माता-बहनों की भलाई के लिए काम करेंगे. कोशी-सीमांचल को एक नंबर बनाने के लिए मेरे जीवन का एक-एक कतरा क्यों न बह जाए, लेकिन मैं इसे करके रहूंगा.'' वहीं पप्पू यादव आगे ने कहा, ''हम पूर्णिया को दुनिया में नंबर वन बनाएंगे. पप्पू यादव ने नीतीश कुमार से इंडिया को मदद करने की अपील की.''
पूर्णिया में 2024 का चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के नाम
अरूण दास, बहुजन समाज पार्टी
पप्पू यादव (Pappu Yadav), निर्दलीय
बीमा भारती (Bima Bharti), राष्ट्रीय जनता दल
संतोष कुमार (Santosh Kumar Kushwaha), जनता दल (यूनाइटेड)
किशोर कुमार यादव, ऑल इण्डिया फॉरवार्ड ब्लॉक
नौमान आलम, निर्दलीय
सत्येन्द्र यादव, निर्दलीय
2004 से भाजपा व जदयू का दबदबा, 40 सालों से हाथ खाली
आपको बता दें कि पूर्णिया जिला का विस्तार पूर्व में चांगल तक होने के कारण यह मिश्रित संस्कृति वाला क्षेत्र है. यह कालजयी कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु की धरती है. वहीं, तीन बार मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीनारायण सुधांशु जैसी शख्सियतों ने इसे राजनीति के क्षेत्र में एक अलग पहचान दिलाई है.
इसके अलावा 1952 में अस्तित्व में आया यह संसदीय क्षेत्र पहले पूर्णिया मध्य सीट के नाम से जाना जाता था. 1977 से पहले यहां कांग्रेस का ही शासन था. 1977 में भारतीय लोकदल के लखन लाल कपूर ने कांग्रेस को जीतने से रोक दिया था. 1980 में कांग्रेस ने फिर यहां अपना परचम लहराया. पिछले 40 सालों से कांग्रेस पूर्णिया में खाली हाथ है.