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Karnataka Election 2023: कौन बांट रहा कितना मुफ्त माल, कैसे टूटेगी कर्नाटक की कमर, जान लें

चुनावों में मुफ्त चीजें बांटने के वादों की शुरुआत दक्षिण भारत से ही मानी जाती है. टीवी, लैपटॉप, वॉशिंग मशीन, सोने की चेन, बाइक और यहां तक कि गाय-भेड़ तक न जाने कैसी-कैसी चीजें देने का पार्टियां वादा करती रही हैं.

Updated on: 10 May 2023, 06:47 PM

highlights

  • घोषणापत्रों में दिल खोलकर मुफ्त की चुनावी रेवड़ियां बांटने का वादा किया
  • कर्नाटक 5 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है
  • मुफ्त चीजें बांटने के वादों की शुरुआत दक्षिण भारत से ही मानी जाती है

नई दिल्ली:

कर्नाटक में इस वक्त चुनावी सरगर्मियां पूरे शबाब पर हैं. 10 मई यानि आज वोटिंग हो रही है और 13 मई को नतीजे आने वाले हैं. कांग्रेस, बीजेपी और जेडीएस जैसी बड़ी पार्टियां वोटरों को खींचने के लिए हर तिकड़म लगा चुकी हैं. होड़ लगी थी कि कौन कितना ज्यादा लुभावने वादे करता है. घोषणापत्रों में दिल खोलकर मुफ्त की चुनावी रेवड़ियां बांटने का वादा किया गया. ये वादे ऐसे समय किए गए, जब कर्नाटक 5 लाख करोड़ रुपये के कर्ज में डूबा है. आइए बताते हैं कि किस पार्टी ने क्या-क्या मुफ्त देने का वादा किया है और इस वादे से सरकारी खजाने पर कितने हजार करोड़ का बोझ पड़ने वाला है.

मुफ्त चीजें बांटने के वादों की शुरुआत

चुनावों में मुफ्त चीजें बांटने के वादों की शुरुआत दक्षिण भारत से ही मानी जाती है. टीवी, लैपटॉप, वॉशिंग मशीन, सोने की चेन, बाइक और यहां तक कि गाय-भेड़ तक न जाने कैसी-कैसी चीजें देने का पार्टियां वादा करती रही हैं. ये चलन धीरे-धीरे पूरे देश में फैल गया. दिल्ली में मुफ्त बिजली देने को लेकर किस कदर विवाद हुआ, ये देखा ही होगा. फ्री में चीजें बांटने का वादा करने वाले इसके पीछे अपनी दलीलें देते हैं, लेकिन बहुत से जानकार लोग इसे गलत मानते हैं. उनका मानना है कि इससे सरकारी खजाना तो खाली होता ही है, लोगों को मुफ्तखोरी की आदत भी लग जाती है. सुप्रीम कोर्ट भी इसे लेकर सख्ती दिखा चुका है. ऐसा करने वाले दलों की मान्यता रद्द करने की मांग तक हो चुकी है.

खैर ये एक अलग बहस है.आइए पहले जान लेते हैं कि कर्नाटक चुनाव में किस दल ने क्या-क्या मुफ्त देने का वादा किया है. उसके बाद बात करेंगे कि इससे कितना बोझ पड़ेगा. कांग्रेस ने हाल ही में अपना चुनावी घोषणापत्र जारी किया है. इसमें बजरंग दल पर बैन जैसी बातों के अलावा कई चीजें फ्री देने के वादे भी हैं. इनमें शामिल हैं-

- हर परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली दी जाएगी.
- हर महीने परिवार की मुखिया महिला को 2000 रुपये दिए जाएंगे.
- सभी महिलाओं को बसों में मुफ्त सफर के लिए पास मिलेंगे
- बेरोजगार स्नातकों को 3000 रुपये दो साल तक दिए जाएंगे.
- बेरोजगार डिप्लोमा धारकों को 1500 रुपये प्रतिमाह दिए जाएंगे.
- गरीब परिवारों को हर महीने 10 किलो चावल मुफ्त मिलेगा.

अब बात बीजेपी की. वैसे तो पार्टी मुफ्त चीजें बांटने के खिलाफ रही है. सुप्रीम कोर्ट में भी अपना रुख स्पष्ट कर चुकी है. लेकिन कर्नाटक चुनाव में वह भी पीछे नहीं रही. देखिए उसके वादों की लिस्ट-

- गरीब परिवारों को रोज आधा लीटर नंदिनी दूध मुफ्त दिया जाएगा.
- 30 लाख महिलाओं को बस के फ्री पास दिए जाएंगे.
- गरीब परिवारों को साल में रसोई गैस के तीन सिलेंडर मुफ्त दिए जाएंगे.
- गरीब परिवारों को तिरुपति, अयोध्या या काशी जाने के लिए 25 हजार रुपये मिलेंगे.
- एससी-एसटी परिवार की महिलाओं के नाम 10 हजार रुपये की एफडी पांच साल के लिए    कराई जाएगी.
- गरीब परिवार को पांच किलो चावल और 5 किलो बाजरा भी दिया जाएगा.

जेडीएस भी मुफ्त माल के वादे करने में पीछे नहीं है. उसके वादों की लिस्ट देख लीजिए-

- गर्भवती महिलाओं को 6 महीने तक 6 हजार रुपये दिए जाएंगे.
- सभी परिवारों को साल में 5 मुफ्त गैस सिलेंडर दिए जाएंगे.
- खेती करने वाले युवकों से शादी करने वाली लड़कियों को 2 लाख रुपये मिलेंगे.
- ऑटोरिक्शा ड्राइवरों और सिक्योरिटी गार्ड्स को 2 हजार रुपये महीना अलाउंस मिलेगा.
- विधवाओं को 900 रुपये की जगह 2500 रुपये हर महीने दिए जाएंगे.
- किसानों को बीज और खाद जैसी चीजों के लिए प्रति एकड़ 10 हजार रुपये दिए जाएंगे.

दो साल तक 3 हजार और डेढ़ हजार रुपये देने का वादा किया

अब देखते हैं कि राजनीतिक दलों की इन चुनावी रेवड़ियों को अगर बांटना पड़ा तो सरकारी खजाने पर कितना बोझ पड़ेगा. कांग्रेस ने बेरोजगार युवाओं और डिप्लोमा होल्डरों को दो साल तक 3 हजार और डेढ़ हजार रुपये देने का वादा किया है. 2020-21 में उच्च शिक्षा पर हुआ ऑल इंडिया सर्वे बताता है कि कर्नाटक में 18.2 लाख अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट थे. मान लिया जाए कि हर साल 6 लाख छात्र भी ग्रेजुएशन करते हैं. तब उन्हें 3 हजार रुपये महीना देने का सालाना खर्च 2160 करोड़ रुपये बैठेगा. दो साल में यह खर्च 4320 करोड़ हो जाएगा. इसी तरह सर्वे में राज्य के डिप्लोमा होल्डरों की संख्या लगभग ढाई लाख बताई गई है. इन्हें 1500 रुपये महीना देने का दो साल का खर्च लगभग 900 करोड़ आने का अनुमान है.

अब हर गरीब परिवार की मुखिया महिला को 2 हजार रुपये देने के वादे की बात करते हैं. इस वक्त लगभग 1.28 करोड़ बीपीएल परिवार हैं. इन्हें 2 हजार रुपये महीना देने का खर्च लगभग 30 हजार करोड़ सालाना बैठेगा. इसके बाद अब 200 यूनिट फ्री बिजली का खर्च भी जान लेते हैं. कर्नाटक में 1.79 करोड़ परिवार हैं. 200 यूनिट बिजली का महीने का खर्च लगभग 1200 रुपये और साल का करीब 14 हजार रुपये बैठता है. सभी परिवारों का खर्च जोड़ें तो कुल रकम 25 हजार करोड़ हो जाती है.

बीपीएल परिवार को आधा लीटर नंदिनी दूध मुफ्त देने का वादा

अब बीजेपी के वादों का गुणा-गणित भी जान लीजिए. बीजेपी ने हर बीपीएल परिवार को आधा लीटर नंदिनी दूध मुफ्त देने का वादा किया है. इसकी कीमत अभी 20 रुपये है. सरकार के मुताबिक, राज्य में 1.17 करोड़ प्रायोरिटी बीपीएल राशन कार्ड हैं. इन पर निर्भर परिवार के सदस्यों की संख्या 3.97 करोड़ है. हर रोज इन्हें आधा लीटर दूध देने का सालाना खर्च लगभग 8500 करोड़ बैठेगा. ये तो सिर्फ एक वादे का गणित है. आप अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर सभी वादों को पूरा करना पड़ा तो कर्नाटक सरकार के खजाने का क्या हाल होगा.

चुनावी घोषणाओं में मुफ्त चीजों के ऐलान मतदाताओं के मन को किस कदर प्रभावित करते हैं, इसका उदाहरण 2019 में हुए एक सर्वे से मिला था. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने यह सर्वे लोकसभा चुनाव के दौरान सभी 534 लोकसभा क्षेत्रों में किया था. इसमें दावा किया गया था कि 40 फीसदी मतदाता मानते हैं कि वे किसे वोट देंगे, यह तय करने में मुफ्त चीजों के वादों की बड़ी भूमिका होती है. बहरहाल, कर्नाटक चुनाव में किए गए फ्री के वादे मतदाताओं पर कितना असर डाल पाएंगे, ये तो वक्त ही बताएगा. हां इतना जरूर है कि इन्हें पूरा करने में सरकार का खजाना जरूर खाली हो जाएगा.

रिपोर्ट: (मनोज शर्मा)

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