Gujarat Election: मुस्लिम महिलाओं का चुनाव लड़ना हराम, क्या मर्द बचे नहीं: शाही इमाम
Muslim Women contesting election is against Islam: गुजरात में विधानसभा चुनाव का दौर चल रहा है. तमाम राजनीतिक पार्टियों ने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. हिंदुस्तान में लोकतंत्र है. हर समुदाय की भागीदारी बनाने के लिए कुछ सीटों को आरक्षित भी...
highlights
- इस्लाम में महिलाओं का चुनाव लड़ना हराम
- लोकतंत्र की वजह से खतरे में इस्लाम धर्म
- जामा मस्जिद के शाही इमाम ने दिया विवादित बयान
अहमदनगर/नई दिल्ली:
Muslim Women contesting election is against Islam: गुजरात में विधानसभा चुनाव का दौर चल रहा है. तमाम राजनीतिक पार्टियों ने उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. हिंदुस्तान में लोकतंत्र है. हर समुदाय की भागीदारी बनाने के लिए कुछ सीटों को आरक्षित भी किया जाता है. इन तमाम बातों के अलावा जो एक बात भारत के लोकतंत्र को खास बनाती है, वो है सभी के प्रतिनिधित्व की बात. ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां पुरुषों, महिलाओं, तीसरे वर्ग के लोगों को भी टिकट देती हैं. ब्राह्मण, क्षत्रिय, बनिया, मुस्लिम, एससी/एसटी, आदिवासी समाज जैसे हर समाज से उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरते हैं. लेकिन अहमदाबाद के शाही मस्जिद के इमाम का कहना है कि मुस्लिम महिलाओं के चुनाव लड़ने से इस्लाम धर्म ही खतरे में पड़ जाता है.
मुस्लिम महिलाओं को टिकट देकर धर्म को किया जा रहा कमजोर
जी हां, अहमदाबाद की जामा मस्जिद के शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी (Shabbir Ahmed Siddiqui, Shahi Imam of Jama Masjid) ने साफ कहा है कि मुस्लिम महिलाओं को टिकट देकर इस्लाम को कमजोर किया जा रहा है. उन्होंने सवालिया लहज़े में पूछते हुए कहा कि क्या मुसलमान मर्द मर गए हैं, जो महिलाओं चुनाव लड़ाया जा रहा है. जो राजनीतिक पार्टियां महिलाओं को टिकट दे रही हैं, वो इस्लाम को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं.
#WATCH | Those who give election tickets to Muslim women are against Islam, weakening the religion. Are there no men left?: Shabbir Ahmed Siddiqui, Shahi Imam of Jama Masjid in Ahmedabad#Gujarat pic.twitter.com/5RpYLG7gqW
— ANI (@ANI) December 4, 2022
क्या मर्द बचे ही नहीं हैं?
शाही इमाम शब्बीर अहमद सिद्दीकी का कहना है कि महिलाओं का चुनाव लड़ना अपने आप में हराम है. ये धर्म विरुद्ध है. ऐसे में ये काम सिर्फ पुरुष कर सकते हैं. उनका ये बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होने लगा है. बता दें कि एक तरफ तो तमाम राजनीतिक दल महिलाओं के अधिकारों की बात करते हैं, तो दूसरी तरफ एक धर्म विशेष के धर्म गुरु खुले आम कहते हैं कि महिलाओं को इन सब बातों से दूर रखा जाए. ऐसे में समाज का भला कौन कर रहा है, ये सोचने वाली बात है.
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