मोदी को हराना है तो मोदी बनना पड़ेगा, आज के राजनीतिक हालात में मोदी अजेय हैं, अपराजेय हैं
अब कांग्रेस और अन्य दलों को सोचना पड़ेगा कि 2024 के आमचुनाव में वे मोदी-शाह की जोड़ी को कैसे मात दे पाएंगे.
नई दिल्ली:
यह पहला मौका है जब केंद्र में पहली बार कोई गैर कांग्रेसी सरकार पूर्ण बहुमत से दोबारा सत्ता में आई है. यह मोदी मैजिक ही है जिसके जरिए बीजेपी 2 से 303 सीटों तक पहुंच गई. लोकसभा चुनाव 2019 में भारतीय जनता पार्टी को मिला प्रचंड बहुमत इस बात कहा सबूत है कि बीजेपी अब लोगों की पहली पसंद है. करीब 15 से अधिक राज्यों में बीजेपी को 50 फीसद से अधिक वोट मिले.
अब कांग्रेस और अन्य दलों को सोचना पड़ेगा कि 2024 के आमचुनाव में वो मोदी-शाह की जोड़ी को कैसे मात दे पाएंगे. दरअसल राहुल गांधी पीएम मोदी को चौकीदार चोर बताते रहे और पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने इसे मुद्दा बना लिया. मोदी ने यह साबित कर दिया कि वो सबसे बड़े इवेंट मैनेजर हैं. आज के राजनैतिक हालात में मोदी अजेय है, अपराजेय हैं ! आज मोदी को अगर कोई हरा सकता है तो वो है खुद मोदी . मोदी को हराना है तो मोदी बनना पड़ेगा,उनकी तरह सोचना पड़ेगा. मोदी की खींची गई लकीर से बड़ी खींचनी होगी, मोदी की खींची हुई लकीर को छोटा कर के मोदी को नहीं हराया जा सकता.
2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) वनमैन आर्मी की तरह लड़ते रहे. पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi), भारतीय राजनीति का वो सबसे रहस्यमयी चेहरा जिसके चाहने वाले बेहिसाब हैं. उतने ही उनसे नफरत करने वाले. इस चुनाव में क्या ममता, क्या माया, चंद्रबाबु नायडू हों या फिर राहुल गांधी. सभी ने अपने सारे घोड़े खोल दिए, लेकिन मोदी को चाहने वाले अपनी पूरी ताकत से उसके पीछे खड़े रहे. सोशल मीडिया से लेकर चाय की दुकानों पर चर्चा एक ही बात की होती थी मोदी है तो मुमकीन है. विरोधियों ने ठानी थी कि मोदी को दोबारा आने नहीं देना है समर्थकों की जिद थी कि मोदी को जाने नहीं देना है.
राहुल गांधी ने जब चौकीदार चोर है का नारा दिया तो यह पब्लिक को पसंद नहीं आया. कई सभाओं से तो राहुल के चौकीदार चोर है कहते ही आधी पब्लिक उठ खड़ी हुई. देश की अधिकांश जनता मोदी की ईमानदारी की कस्मे खाते हैं. चौकीदार चोर है वाले बयान पर राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट से माफ़ी मांगनी पड़ी. मोदी ने चुनाव प्रचार में बोफोर्स को भी घसीट लिया और राजीव गांधी को भ्रष्टाचारी नंबर वन बता दिया.
इस चुनाव में समूचे विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं था. विपक्ष बस मोदी को हटाना चाहता था, लेकिन क्यों हटाना है पब्लिक को बता नहीं पाई. समूचे विपक्ष की रणनीति मोदी हटाओ के इर्द-गिर्द घूमती रही. कभी पूरे देश पर एकछत्र राज करने वाली सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इतनी दरिद्र दिखी कि बहुमत के लिए 272 सांसदों की जरूरत होती है लेकिन चुनाव लड़ी 230 सीटों पर.
कांग्रेस के हर वार को मोदी ने हथियार बनाकर उसी के खिलाफ इस्तेमाल करना तो कोई मोदी से सीखे. कल तक चौकीदार चोर है चीखने वाले ये लोग राजीव गांधी को चोर कहे जाने पर नैतिकता की दुहाई देने लगे. राहुल की नैया पार लगाने उतरीं उनकी बहन प्रियंका वाड्रा उनसे भी दो हाथ आगे निकलीं. छोटे छोटे बच्चों से मोदी के खिलाफ कितने आपत्तिजनक और अभद्र नारे लगवाने लगीं.
अब आते हैं चंद्रबाबू नायडू पर. प्रधानमंत्री बनने की इच्छा लिये NDA से अलग हुये आज उनको अपना राज्य बचाना भारी पड़ रहा है. अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव, ममता बनर्जी जैसे दिग्गज कुल मिला कर हताश, निराश हैं. लुटा पिटा विपक्ष के पास मोदी से पार पाने के लिए न तो कोई दिशा थी और न ही मोदी से मुकाबला करने की ताकत. एग्जिट पोल के बाद ईवीएम का रोना रोना था और चुनाव आयोग को कोसना. अगर विपक्ष अपने कार्यों के बजाय सिर्फ मोदी को कोसने में लगा रहेगा तो 2028 में भी वह मोदी के खड़ाऊं से ही हार जाएगा.
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