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यूपी का रण
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में महज 8 सीटों पर पहले चरण में वोट डाले जाएंगे. ये आठों सीटें पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में इन आठों सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी. 2018 में कैराना लोकसभा सीट पर हुई चुनाव में बसपा और सपा के समर्थन से आरएलडी ने बीजेपी से ये सीट छीन ली थी. इस चरण में गठबंधन और बीजेपी के बीज कड़ा मुकाबला है. आइए जानें कहां कौन है भारी..
सहारनपुर
2017 में सहारनपुर जातीय संघर्ष को लेकर चर्चा में रहे पश्चिमी यूपी की इस सीट पर बीजेपी ने फिर राघव लखनपाल पर भरोसा जताया है. वहीं, कांग्रेस ने भी पिछली बार दूसरे नंबर पर रहे इमरान मसूद को टिकट दिया है. इमरान मसूद पिछले चुनाव में पीएम मोदी के खिलाफ विवादित बयान देकर सुर्खियों में रहे थे.
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यहां भीम आर्मी और उसके नेता चंद्रशेखर का उभार भी चुनाव में असर डाल सकता है. गठबंधन कोटे से बीएसपी ने इस सीट पर हाजी फजलुर्रहमान को उतारा है. विपक्ष से दो मुस्लिम उम्मीदवार होने की वजह से अगर वोट बंटता है तो यहां बीजेपी लाभ उठा सकती है.
मुजफ्फरनगर
मुजफ्फरनगर में सांप्रदायिक हिंसा के बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में ध्रुवीकरण हुआ था. बीजेपी ने जहां एक बार फिर केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को उम्मीदवार बनाया है, वहीं एसपी-बीएसपी-आरएलडी गठबंधन के तहत इस सीट से चौधरी अजित सिंह लड़ रहे हैं. आरएलडी सुप्रीमो को पिछले चुनाव में बागपत सीट पर बुरी तरह शिकस्त झेलनी पड़ी थी और वह नंबर तीन पर चले गए थे. यहां करीब साढ़े 5 लाख मुस्लिम, ढाई लाख दलित, और सवा दो लाख के करीब जाट मतदाता हैं. इसके अलावा सैनी और कश्यप वोट भी करीब दो लाख के करीब हैं. यह सीट चौधरी परिवार की राजनीति का भविष्य तय करेगी.
बागपत
पहले चौधरी चरण सिंह और फिर उनके बेटे अजित सिंह की राजनीतिक विरासत को जयंत चौधरी आगे बढ़ा रहे हैं. गठबंधन के तहत यह सीट आरएलडी के हिस्से में आई है. वहीं, बीजेपी ने पिछली बार जयंत के पिता को मात देने वाले सत्यपाल सिंह पर दोबारा दांव खेला है. मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर और वर्तमान में केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह पिछले चुनाव के दौरान काफी चर्चित रहे थे.
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जाटों के गढ़ बागपत के पिछले चुनाव में 2 लाख से जीत दर्ज करने वाले बीजेपी के सत्यपाल सिंह की राह इस बार आसान नहीं नजर आ रही है. पिछले पांच साल से जयंत चौधरी क्षेत्र में हैं. वह लगातार युवाओं मैं अपनी पैठ बना रहे हैं. आरएलडी की इस परंपरागत सीट से चौधरी चरण सिंह 1977, 1980 और 1984 में लगातार चुनाव जीते हैं. जयंत के पिता और आरएलडी अध्यक्ष अजित सिंह 6 बार सांसद रहे.
गाजियाबाद
पिछले लोकसभा चुनाव में यहां बीजेपी ने राज्य में सबसे ज्यादा मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. पूर्व थल सेनाध्यक्ष वीके सिंह को बीजेपी ने यहां से अपना उम्मीदवार बनाया है. गाजियाबाद सीट राजपूत बहुल है और साठा-चौरासी इलाके के तहत आने वाले 144 गांवों में इस समुदाय का बड़ा वोट बैंक है. बीजेपी ने राजपूत रिटायर्ड जनरल वीके सिंह को मैदान में उतारा है. गठबंधन की तरफ से पहले सुरेंद्र कुमार उर्फ मुन्नी शर्मा को उतारा गया था लेकिन बाद में पार्टी ने उनकी जगह पूर्व विधायक सुरेश बंसल को टिकट दिया है. कांग्रेस की ओर से यहां डॉली शर्मा प्रत्याशी हैं.
गौतमबुद्धनगर
गौतमबुद्धनगर यानी नोएडा सीट पर अब तक बीजेपी के पास ही रही है. यहां से केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा के ऊपर कमल खिलाने की जिम्मेदारी है तो वहीं, कांग्रेस के अरविंद सिंह चौहान हाथ के पंजे को मजूबूत करेंगे. बीएसपी ने गुर्जर समाज से आने वाले सतबीर नागर को उतारकर बड़ा दांव खेला है.
कैराना
कैराना लोकसभा सीट अब सपा के खाते में है. यहां से तबस्सुम हसन चुनाव लड़ेंगी. भाजपा ने कैराना से प्रदीप चौधरी को प्रत्याशी घोषित किया है. कांग्रेस ने हरेंदर मलिक को कैराना लोकसभा सीट से दिया है. 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के हुकुम सिंह ने जीती थी, लेकिन बाद में उनके निधन के बाद हुए चुनाव में सपा के समर्थन से ये सीट आरएलडी जीतने में सफल रही थी. इस सीट पर सबसे ज्यादा 5 लाख मुस्लिम, 4 लाख बैकवर्ड (जाट, गुर्जर, सैनी, कश्यप, प्रजापति और अन्य शामिल) और डेढ़ लाख वोट जाटव दलित है और 1 लाख के करीब गैरजाटव दलित मतदाता हैं. 2 लाख के करीब जाट वोटर हैं.
मेरठ
पश्चिम यूपी की मेरठ लोकसभा सीट से बसपा ने हाजी याकूब कुरैशी को मैदान में उतारा है. कांग्रेस ने मेरठ से हरेंद्र अग्रवाल को टिकट दिया है. बीजेपी के राजेंद्र अग्रवाल दो बार से सांसद हैं. इस बार बीजेपी ने उनपर भरोसा किया है. हालांकि इस बार ये सीट मुस्लिम और दलित बहुल मानी जाती है.
बिजनौर
बिजनौर लोकसभा सीट पर मुस्लिम और गुर्जर वोटर ज्यादा हैं. इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और यहां से कुंवर भारतेंद्र सिंह सांसद हैं. कांग्रेस ने बिजनौर से इंदिरा भाटी को टिकट दिया है. बीजेपी भारतेंद्र सिंह को एक बार फिर उतारी है. कांग्रेस नसीमुद्दीन सिद्दीकी को बिजनौर लोकसभा सीट से प्रत्याशी बनाकर बड़ा दांव खेला है. इस सीट पर करीब 35 फीसदी मुस्लिम और तीन लाख दलित और दो लाख जाट मतदाता हैं.
Source : DRIGRAJ MADHESHIA