चुनाव विश्लेषण 2019: लोकसभा चुनाव 2014 में गुजरात का क्या रहा था समीकरण?
2014 के लोकसभा चुनाव में, बीजेपी ने क्लीन स्वीप करते हुए राज्य की सभी 26 संसदीय सीटों पर जीत हासिल की थी और कांग्रेस पिछड़ते हुए शून्य पर आ गई थी.
नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव 2019 नजदीक आ चुका है और चुनाव आयोग मार्च के पहले सप्ताह में चुनाव के तारीखों की घोषणा कर सकती है. राजनीतिक दलों के चुनावी समीकरणों के बीच हम भी चुनावों के लिए तैयार हो रहे हैं और एक चुनावी गणित की सीरीज के साथ आपके सामने हैं. सबसे पहले हम गुजरात के राजनीतिक परिदृश्य को देखते हैं. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राज्य में 1995 से शासन कर रही है (बीजेपी के बागी शंकर सिंह वाघेला और दिलीप पारिख 1996 और 1998 में कम समय के लिए राज्य के मुख्यमंत्री बने).
कांग्रेस पार्टी पिछले दो दशकों से राज्य की सत्ता से बाहर है लेकिन 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में काफी अच्छी वापसी की थी. बीजेपी के विजय रुपाणी राज्य में दूसरी बार मुख्यमंत्री बने, उन्हें पहली बार 2016 में आनंदीबेन पटेल की जगह सीएम पद पर बैठाया गया था. नरेंद्र मोदी 2001 से 2014 तक राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में, बीजेपी ने क्लीन स्वीप करते हुए राज्य की सभी 26 संसदीय सीटों पर जीत हासिल की थी और कांग्रेस पिछड़ते हुए शून्य पर आ गई थी.
2014 लोकसभा चुनाव में गुजरात में क्या हुआ?
2014 लोकसभा चुनाव में, बीजेपी ने पहली बार गुजरात की सभी 26 सीटों पर जीत हासिल की थी. राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को एनडीए के प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में प्रोजक्ट किए जाने से गुजरात में बीजेपी को अभूतपूर्व लहर बनाने में मदद मिली. गुजरात में 2014 लोकसभा चुनाव 30 अप्रैल को हुए थे. बीजेपी को राज्य में 1,52,49,243 वोट (कुल वोट का 60.11 फीसदी) हासिल हुई, जो काफी ज्यादा था. वहीं कांग्रेस 33.45 फीसदी वोटों के साथ कुल 84,86,083 जोड़ पाई. 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने राज्य की 15 सीटों पर कब्जा किया था वहीं कांग्रेस बाकी 11 सीटों को जीतने में सफल हुई थी. 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने बांसकाठा, पाटन, राजकोट, सुरेंद्रनगर, जामनगर, खेड़ा, आणंद, वालसड, दाहोद, बारदोली और पोरबंदर की 11 सीटों को कांग्रेस से छीन लिया था.
2014 में जीत का स्वाद लेने वाले बड़े नामों में लालकृष्ण आडवाणी (बीजेपी-गांधीनगर), परेश रावल (बीजेपी-अहमदाबाद पूर्व), किरिट सोलंकी (बीजेपी-अहमदाबाद पश्चिम), मोहन कुंडारिया (बीजेपी-राजकोट), विट्ठलभाई राडाडिया (बीजेपी-पोरबंदर), मंसुखभाई वसावा (बीजेपी-भरूच), हरिभाई पार्थीभाई चौधरी(बीजेपी-बांसकाठा), राजेश चुडासमा (बीजेपी-जूनागढ़) और पूनमबेन मदाम (बीजेपी-जामनगर) थे. नरेंद्र मोदी ने भी वडोदरा सीट पर भारी जीत हासिल की थी लेकिन उत्तर प्रदेश के वाराणसी सीट पर जीत हासिल करने के कारण इसे छोड़ दिया था. बाद में हुए वडोदरा उप-चुनाव में बीजेपी के रंजनबेन भट्ट ने जीत हासिल की थी.
वहीं दिग्गजों में शंकर सिंह वाघेला (कांग्रेस), भरतसिंह सोलंकी (कांग्रेस), मधुसूदन मिस्त्री (कांग्रेस), दिन्शा पटेल (कांग्रेस), सोमाभाई गांधालाल कोली पटेल (कांग्रेस), भावसिंह राठौड़ (कांग्रेस), जिवाभाई अंबालाल पटेल (कांग्रेस), कुंवरजी भाई बवालिया (कांग्रेस), कांधलभाई सरमनभाई जडेजा (एनसीपी), विक्रमभाई अर्जनभाई मदाम (कांग्रेस), वीरजीभाई थुम्मर (कांग्रेस), डॉ कनुभाई कालसारिया (आम आदमी पार्टी), प्रभा किशोर तेवियाड़ (कांग्रेस), सोमजीभाई दामोर (बीएनपी), तुषार अमरसिंह चौधरी (कांग्रेस) और नारनभाई रठावा (कांग्रेस) को चुनाव में हार मिली थी.
गुजरात विधानसभा चुनाव 2017 का क्या परिणाम रहा?
बीजेपी ने 2017 में विधानसभा चुनाव तो जीत लिया लेकिन दो दशकों में पहली बार कांग्रेस से कड़ी टक्कर देखने को मिली. 182 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी 99 सीटें जीतने में सफल रही. यह पहली बार हुआ था कि बीजेपी विधानसभा की 100 सीटों तक पहुंचने में असफल रही. बीजेपी को 49.05 फीसदी वोट शेयर के साथ कुल 1,47,24,031 वोट मिले थे. कांग्रेस ने भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) और हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी की तिकड़ी के समर्थन के साथ राज्य में कुल 80 सीटों पर जीत हासिल की. कांग्रेस अकेले 77 विधानसभा सीट जीतने में सफल रही और 41.44 फीसदी मतों के साथ कुल 1,24,37,661 वोट हासिल की. वहीं 2012 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 115 सीटें जीती थी वहीं कांग्रेस 61 सीटों पर सफल रहा था. सौराष्ट्र क्षेत्र में हार्दिक पटेल के नेतृत्व में हुए पाटीदार आंदोलन के कारण बीजेपी को बड़ा झटका लगा था.
2019 में मौजूदा स्थिति क्या है?
लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होने जा रहा है. बीजेपी राज्य की सभी 26 सीटों को एक बार फिर जीतने की कोशिश करेगी लेकिन 2017 का विधानसभा चुनाव पार्टी के लिए सबक जैसा रहा. हालांकि पार्टी नरेंद्र मोदी को एक और मौका देने के लिए मतदाताओं को विश्वास दिलाने की कोशिश करेगी. वहीं दूसरी तरफ, कांग्रेस पार्टी के अंदर ही मतभेद का सामना कर रही है. कांग्रेस के दो विधायक पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं और लोकसभा चुनाव से पहले उन्हें मनाना पार्टी के लिए एक बड़ी चुनौती है. कुंवरजीभाई बावलिया और आशाबेन पटेल ने आरोप लगाया था कि पार्टी उनकी उपेक्षा कर रही है. बावलिया पार्टी छोड़ने के बाद बीजेपी में शामिल भी हो गए थे और जसदन सीट से उप-चुनाव में जीत हासिल की थी. इस जीत के साथ ही बीजेपी गुजरात विधानसभा में 100 के आंकड़े पर पहुंच गई थी.
ऐसी रिपोर्ट्स भी सामने आई कि विधायक अल्पेश ठाकोर पार्टी को छोड़ सकते हैं लेकिन उन्होंने नाराजगी की इस खबर को खारिज कर दिया था. इन सबके बीच कांग्रेस के बागी और पूर्व मुख्यमंत्री शंकरसिंह वाघेला हाल ही में शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में शामिल हो गए और राज्य में एक तीसरे मोर्चे के गठन की कोशिश कर रहे हैं. वाघेला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल के करीबी मित्र रह चुके हैं.
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