केंद्र की सत्ता चाहिए तो जीतना होगा दिल्ली का दिल, जानें पिछले 21 सालों का ये संयोग
पिछले 21 साल का चुनावी इतिहास अगर हम ध्यान से देखें तो इतिहास गवाह रहा है कि लोकसभा के दंगल में जो इन सात सीटों पर आगे रहा है उसी की केंद्र में सरकार बनी हैं.
नई दिल्ली:
लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabh Election 2010) के तीन चरण पूरे हो चुके हैं राजनीतिक पार्टियों का पारा अपने चरम पर है. नेताओं की राजनीतिक बयान बाजियां अपनी पार्टी को चुनाव जिताने के लिए जारी हैं. चुनावों की इस गहमा-गहमी के बीच हम आपको बताएंगे कि किसके सर सजेगा दिल्ली का ताज राजधानी दिल्ली में भले ही लोकसभा की सिर्फ 7 सीटें हैं लेकिन पीएम की कुर्सी के साथ इन 7 सीटों का बड़ा अजीब संयोग जुड़ा है. पिछले 21 साल का चुनावी इतिहास अगर हम ध्यान से देखें तो इतिहास गवाह रहा है कि लोकसभा के दंगल में जो इन सात सीटों पर आगे रहा है उसी की केंद्र में सरकार बनी हैं. आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के छठें चरण में दिल्ली की सभी सातों सीटों पर एक साथ ही वोटिंग होगी. छठें चरण का चुनाव 12 मई को होना है
2014 से पहले तक तो दिल्ली में दो ही पार्टियों का वर्चस्व था कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी लेकिन आम आदमी पार्टी के आ जाने के बाद इस बार मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. देश की राजधानी दिल्ली में लोकसभा की 7 सीटें हैं नई दिल्ली, पूर्वी दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली, उत्तर पूर्वी दिल्ली, उत्तर पश्चिम दिल्ली, चांदनी चौक और दक्षिण दिल्ली. 2014 में इन सातों सीटों पर बीजेपी को जीत हासिल हुई थी. बीजेपी को 46.4% वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस को 15.1 और आम आदमी पार्टी को 32.9% वोट मिले.
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पीएम की कुर्सी से जुड़ा दिल्ली की लोकसभा सीटों का संयोग
पहले लोकसभा चुनाव में दिल्ली में 4 लोकसभा सीटें हुआ करती थी लेकिन साल 1967 में ये 7 सीटें हो गई तब से अब तक दिल्ली में 7 लोकसभा सीटें ही हैं. पिछले 21 सालों से हम ये अजब संयोग देखते आ रहे हैं. साल 1998 में आया जब दिल्ली की 7 लोकसभा सीटों में से 6 सीटें बीजेपी ने जीती और महज एक सीट कांग्रेस के हाथों में आई तो उस साल केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी इसके अगले साल 1999 में फिर से आम चुनाव हुए और इस बार दिल्ली की 7 सीटों पर बीजेपी ने जीत हासिल की और केंद्र में एक बार फिर अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनी.
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2004-2009 में कांग्रेस ने जीती दिल्ली लोकसभा सीटें
इसके बाद साल 2004 के आम चुनावों में कांग्रेस दिल्ली की 6 सीटें जीतने में सफल रही बीजेपी के खाते में महज एक सीट ही आई, केंद्र में सरकार बनी कांग्रेस की और पीएम की कुर्सी पर बैठे मनमोहन सिंह इसके 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने दिल्ली की 7 सीटों पर बीजेपी का सूपड़ा साफ कर दिया एक बार फिर से सरकार कांग्रेस की बनी और गद्दी पर बैठे डा. मनमोहन सिंह. लेकिन साल 2014 में दिल्ली के मतदाताओं ने अपना जनाधार बदला और सभी सातों सीटें बीजेपी की झोली में डाल दी. 2014 में जब दिल्ली का सियासी मिजाज बदला तो फिर केंद्र में भी बदलाव हुआ और नरेंद्र मोदी सरकार बनी.
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दिल्ली में 2019 की सियासी जंग होगी दिलचस्प
पिछले काफी समय से दिल्ली में कांग्रेस और बीजेपी की जंग होती चली आ रही है लेकिन साल 2019 में यह मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. लंबे समय से दिल्ली में कांग्रेस बनाम बीजेपी की जंग होती आ रही थी. लेकिन आम आदमी पार्टी के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. साल 2014 में पहली बार आम आदमी पार्टी लोकसभा चुनाव में उतरी थी लेकिन उसे एक भी सीट दिल्ली में नहीं मिली. इस चुनाव में आम आदमी पार्टी को 32.9% वोट मिले थे. इसके एक साल बाद साल 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए जिसमें आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीतीं जिसके बाद 2019 की लोकसभा चुनाव में बीजेपी की राह कठिन दिखाई देने लगी. इस बार तीनों राजनीतिक दलों ने दिल्ली में एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है.
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दिल्ली की इन सीटों पर है मुकाबला
1- चांदनी चौक- डॉ. हर्षवर्धन(वर्तमान सांसद)-बीजेपी, जय प्रकाश अग्रवाल-कांग्रेस, पंकज गुप्ता-आम आदमी पार्टी.
2 - उत्तर पश्चिम दिल्ली- हंसराज हंस-बीजेपी, राजेश लिलोथिया-कांग्रेस, गगन सिंह रंगा-आम आदमी पार्टी.
3 - दक्षिणी दिल्ली- रमेश बिधूड़ी(वर्तमान सांसद)-बीजेपी, विजेंदर सिंह-कांग्रेस, राघव चड्ढा-आम आदमी पार्टी.
4- नई दिल्ली- मीनाक्षी लेखी(वर्तमान सांसद)-बीजेपी, अजय माकन-कांग्रेस, ब्रजेश गोयल-आम आदमी पार्टी से.
5- पूर्वी दिल्ली- गौतम गंभीर-बीजेपी, अरविंदर सिंह लवली-कांग्रेस, अतिशी मार्लेना-आम आदमी पार्टी.
6- उत्तर पूर्वी दिल्ली- मनोज तिवारी(वर्तमान सांसद)-बीजेपी, शीला दीक्षित-कांग्रेस, दिलीप पांडे-आम आदमी पार्टी.
7- पश्चिमी दिल्ली- प्रवेश वर्मा(वर्तमान सांसद)-बीजेपी, महाबल मिश्रा-कांग्रेस, बलबीर जाखड़-आम आदमी पार्टी.
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